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22 अगस्त 2011

लखनऊःबिना मान्यता के चल रहा राजकीय अंधता बालिका इण्टर कालेज

विकलांग कल्याण विभाग ने मोहान रोड पर दृष्टिबाधित बालिकाओं के लिए राजकीय दृष्टिबाधित बालिका इण्टर कालेज शुरू तो करा दिया, लेकिन इस स्कूल को आज भी सिर्फ प्राथमिक तक ही मान्यता है जबकि इस विद्यालय में इण्टर तक की कक्षाओं की पढ़ायी करायी जा रही है। दो सौ छात्राओं की क्षमता वाले इस बालिका इण्टर कालेज में तीन वर्ष के दौरान सिर्फ 68 छात्राओं ने प्रवेश लिया है। विभागीय लापरवाही का आलम यह है कि यहां पर इण्टर तक की कक्षाओं के संचालन की जिम्मेदारी भी मात्र सात शिक्षिकाओं के ऊपर है जिसमें तीन शिक्षिकाएं संविदा पर तैनात हैं। स्कूल को मान्यता न होने के कारण यहां पर छात्राएं प्रवेश लेने से भी कतरा रही हैं। प्रदेश सरकार के निर्देश पर विकलांग कल्याण विभाग ने मोहान रोड पर वर्ष 2007 में राजकीय दृष्टिबाधित बालिका इण्टर कालेज का संचालन तो शुरू करा दिया लेकिन न तो शिक्षक- शिक्षिकाओं का इंतजाम किया और न अन्य स्टाफ की। विभागीय लापरवाही का अदांजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन वर्ष कक्षाएं चलने के बावजूद अभी तक इस स्कूल को इण्टर तक मान्यता माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से नहीं दिलायी जा सकी है। इण्टर तक संचालित होने वाले इस आवासीय विद्यालय में छात्राओं की संख्या भी पूरी नहीं हो पा रही है इसका प्रमुख कारण स्कूल को इण्टर की मान्यता न मिल पाना हैं। विभागीय सूत्र बताते है कि शासन के निर्देश पर विद्यालय का संचालन शुरू करा दिया गया लेकिन विभाग ने आज तक न तो शिक्षक- शिक्षिकाओं की नियुक्ति की और न अन्य कर्मचारियों की। इस विद्यालय में पढ़ाने की जिम्मेदारी मात्र सात शिक्षिकाओं पर है जिसमें तीन शिक्षिकाएं संविदा पर तैनात हैं। तीन वर्षो के दौरान अब तक मात्र 68 छात्राओंने प्रवेश लिया। विभागीय सूत्र बताते है कि यहां पर छात्राओं के प्रवेश न लेने का कारण ही मान्यता न मिलना है। निशुल्क शिक्षा, किताबें व भोजन समेत आवासीय सुविधा होने के बावजूद तीन वर्ष बीतने के बावजूद छात्राओं का निर्धारित लक्ष्य पूरा न हो पाने के बाबत यहां की शिक्षिकाओं का कहना है कि शिक्षिकाओं की कमी होने के कारण कक्षा एक से लेकर 12 तक की छात्राओं को मात्र सात शिक्षिकाओं का पढ़ा पाना मुश्किल काम है। इसके अलावा रसोइया, चौकीदार, चपरासी समेत 15 शिक्षक-शिक्षिकाओं के पद खाली है। इस बाबत यहां की प्रधानाचार्या श्रीमती पुष्पा देवी का कहना है कि स्कूल का मान्यता न होने के कारण अभिभावक छात्राओं का प्रवेश कराने से डरता है। इसके अलावा अभी तक उनके यहां पर कक्षा आठ तक की 68 छात्राएं ही हैं। इस सम्बन्ध में विकलांग कल्याण के उपनिदेशक अखिलेन्द्र सिंह ने कहा कि इस कालेज की मान्यता की प्रक्रिया शिक्षा विभाग में चल रही है। यहां पर संविदा पर शिक्षक व कर्मचारियों को रखे जाने की कार्यवाही विभाग द्वारा की जा रही है। जल्द ही शिक्षक- शिक्षकों की तैनाती कर दी जाएगी(राम सुरेश पाल,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,22.8.11)।

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