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27 अगस्त 2011

बिहारःलोक सेवा आयोग को UPSC की तर्ज पर मूल्यांकन करने का निर्देश

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) अब वैकल्पिक लिखित परीक्षा की कापियों का मूल्यांकन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तरह करेगा। ऐसा करने का निर्देश उसे पटना उच्च न्यायालय ने दिया है। इस बाबत नियम बनाने के लिए आयोग को छह महीने का समय दिया गया है। यूपीएससी स्केलिंग व मोडरेट विधि से कांपियों का मूल्यांकन करती है। सभी वैकल्पिक विषयों के अलग-अलग शिक्षक प्रश्न चुनते हैं जो कठिन व आसान हो सकता है। इससे किसी अभ्यर्थी को फायदा होगा तो किसी को घाटा। इसमें एकरूपता लाने के लिए किसी विषय के सबसे ज्यादा नंबर व कम नंबर को अन्य विषयों के ज्यादा व कम मूल्यांकित कर एक अलग नंबर तय किया जाता है और उसी आधार पर छात्रों की नंबर दिया जाता है। यही प्रक्रिया मोडरेटिंग में भी अपनाई जाती है। क्योंकि किसी एक विषय के कांपी की जांच कई शिक्षक करते हैं। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार कटरियार व न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने बीपीएससी से कहा कि वह यूपीएससी की तरह वैकल्पिक विषयों के मूल्यांकन को लेकर नीति बनाये। इसके लिए पीठ से उसे छह महीने का समय दिया। साथ ही कहा कि वर्तमान में जो 53 से लेकर 55वीं बीपीएससी परीक्षा का मेंस लिया जाना है, उसका भी मूल्यांकन यूपीएससी की तरह करे। पीठ ने कहा कि वर्तमान में बहुत से बदलाव आये हैं जबकि बीपीएससी अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। जरूरी है कि वह भी वैज्ञानिक विधि अपनाये। वह अपनी व्यवस्था में बदलाव लाये और इस बाबत ठोस कदम उठाये। पीठ ने यह फैसला 53-55वीं परीक्षा के अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया जिसके अधिवक्ता कुमार कौशिक ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। उन्होंने कहा था कि किसी वैकल्पिक विषय में कठिन प्रश्न आ जाने के कारण कम नंबर मिलता है(राष्ट्रीय सहारा,पटना,27.8.11)।

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