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21 सितंबर 2011

बिलासपुरः10 बीएड कालेजों की काउंसिलिंग निरस्त

सेंट्रल यूनिवर्सिटी को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के बाद एससीईआरटी ने दस बीएड कालेजों की काउंसिलिंग निरस्त कर दी है। इन कालेजों को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद एससीईआरटी ने काउंसिलिंग में शामिल किया था।

एससीईआरटी (स्टेट कौंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) ने कार्रवाई करते हुए काउंसिलिंग में शामिल दस बीएड कालेजों की काउंसिलिंग ही निरस्त कर दी है। एससीईआरटी की यह कार्रवाई गुरू घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के बाद हुई है। इस कार्रवाई से 1000 सीटें प्रभावित होंगी। इससे पहले ये कालेज हाईकोर्ट के आदेश के बाद एससीईआरटी की काउंसिलिंग में शामिल हुए थे।


हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया था कि एडमिशन लेने वाले छात्रों का यह एडमिशन जरूरी नहीं कि रेगुलर हो, इसलिए वे अपने रिस्क पर एडमिशन लें। इसके बाद सभी बीएड कालेजों को एससीईआरटी ने काउंसिलिंग में शामिल कर लिया था और इसके बाद सीट भी आबंटित हो गई थी। सीट आबंटन के बाद कई बीएड कालेजों में एडमिशन भी शुरू कर दिया गया। इस बार नियामक आयोग के फीस फिक्सेशन के बाद एडमिशन राशि करीब 28,200 रुपए नियत की गई थी। काउंसिलिंग निरस्त होने के बाद एडमिशन ले चुके छात्र अब इन बीएड कालेजों में पढ़ाई नहीं कर पाएंगे।

हर तरफ बीएड की मांग: सरकारी और प्राइवेट कालेजों के साथ ही ओपन यूनिवर्सिटी भी बीएड का कोर्स करा रही है। हर साल हजारों स्टूडेंट्स बीएड के लिए पहुंच रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह शिक्षाकर्मी भर्ती है। बीएड कॉलेजों में पढ़ाने वालों की कमी हो गई है। रिसर्च स्कॉलर और पीएचडी में कम संख्या होने के कारण ही यह स्थिति बनी है। सुप्रीम कोर्ट में मामला चले जाने के बाद अब इन बीएड कालेजों में अंतिम फैसला होने तक पढ़ाई बाधित रह सकती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ही इन्हें काउंसिलिंग में शामिल करने या नहीं करने के बारे में तस्वीर साफ हो पाएगी।

वर्जन
हाईकोर्ट के आदेश के बाद इन बीएड कालेजों को काउंसिलिंग में शामिल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट का स्टे मिलने के बाद इनकी काउंसिलिंग निरस्त कर दी गई है। छात्र यदि एडमिशन ले चुके हैं, तब वे कालेज से अपनी एडमिशन फीस वापस ले सकते हैं। 
अनिल राय, डायरेक्टर 
एससीईआरटी

यह है मामला
अतिरिक्त फीस वापस नहीं करने पर एससीईआरटी में शिकायत के बाद इन कालेजों का नाम सेंट्रल यूनिवर्सिटी से मांगा गया था। सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने इन बीएड कालेजों की संबद्धता समाप्त कर काउंसिलिंग भी निरस्त करने की सिफारिश एससीईआरटी से की थी। एससीईआरटी ने इन बीएड कालेजों की काउंसिलिंग समाप्त कर दी थी। इसके बाद बीएड कालेज हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद इन्हें फिर काउंसिलिंग में शामिल किया गया लेकिन सेंट्रल यूनिवर्सिटी को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के बाद इनकी काउंसिलिंग पुन: निरस्त कर दी गई।

ये कालेज प्रभावित
बिलासपुर में सिद्धपीठ महामाया एजुकेशन कालेज, शुभम् शिक्षण समिति, डीएलएस कालेज के अलावा हरिशंकर एजुकेशन कालेज जांजगीर, राहौद एजुकेशन सोसायटी राहौद, कोनार्क कालेज ऑफ एजुकेशन, खोखसा-जांजगीर, श्री महंत लाल दास एजुकेशन कालेज शिवरीनारायण, ज्ञानोदय एजुकेशन कालेज जांजगीर व ज्ञानदीप एजुकेशन कालेज जांजगीर पर यह कार्रवाई की गई है। 

क्या होगा स्टूडेंट्स का
काउंसिलिंग में शामिल होने और सीट आबंटन के बाद भी कई लोगों को हाईकोर्ट के फैसले की सही जानकारी नहीं थी। इस वजह से कई कालेजों में छात्र एडमिशन ले चुके थे। इसके लिए उन्होंने एडमिशन के लिए तय 28,200 रुपए की फीस भी जमा की थी। काउंसिलिंग निरस्त होने के बाद अब इन छात्रों का क्या होगा? उनकी पढ़ाई और समय दोनों बर्बाद हो चुका है और फीस भी उन्हें उन बीएड कालेजों से वापस लेनी होगी, जो पहले ही अतिरिक्तफीस वापस नहीं करने के आरोपों से जूझ रहे हैं(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,21.9.11)।

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