प्रदेश के 20 इंजीनियरिंग कॉलेज एडमिशन का खाता भी नहीं खोल सके हैं, जबकि 60 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक दर्जन छात्रों ने भी प्रवेश नहीं लिया है। जून में आयोजित हुए प्री इंजीनियरिंग टेस्ट में प्रदेश भर में लगभग एक लाख 11 हजार छात्र शामिल हुए थे।
इसके बाद छात्रों को एडमिशन देने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित काउंसलिंग में लगभग 70 हजार छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। हालांकि एडमिशन महज 50 हजार छात्रों ने ही लिया। इसके चलते प्रदेश के 60 से अधिक कॉलेजों की अलग-अलग ब्रांचों में एक दर्जन एडमिशन भी नहीं हो सके। प्रदेश में 223 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं।
जिन कॉलेज में एक छात्र का एडमिशन भी हुआ है, वहां भी कॉलेज संचालक छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं। एआईसीटीई को इन हालातों को देखते हुए प्रदेश में नए कॉलेज खोलने की परमिशन नहीं देनी चाहिए।
-सुनील बंसल, अध्यक्ष प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज एसोसिएशन
कॉलेज चलाना मुश्किल हो जाएगा
एडमिशन कम होने से संचालकों को कॉलेज चलाना मुश्किल हो जाएगा। छात्रों की कम संख्या होने से स्टॉफ का खर्च निकालना भी मुश्किल होगा। छात्रों के एडमिशन नहीं लेने की मुख्य वजह ये है कि उनके पास इंजीनियरिंग के अलावा भी कई विकल्प मौजूद हैं, जो कम फीस और कम समय में पूरे हो जाते हैं।
-प्रो. शैलेंद्र जैन, एडमिशन इंचार्ज मैनिट
इन कॉलेजों में एक भी स्टूडेंट नहीं
-ग्लोबस इंजीनियरिंग कॉलेज, भोपाल आईटी 60
-भोपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल आईटी 60
-इस्कॉम फॉच्यरून, भोपाल आईटी 30
-सुरभि ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन, भोपाल मैकेनिकल 120
-कैलाश नारायण पाटीदार इंजी.कॉलेज, भोपाल मैकेनिकल 90
-गार्गी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल आईटी 60
-लक्ष्मीपति इंजीनियरिंग कॉलेज, भोपाल आईटी 60
(स्रोत: तकनीकी शिक्षा विभाग की रिपोर्ट)(अभिषेक दुबे,दैनिक भास्कर,भोपाल,15.9.11)
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