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15 सितंबर 2011

आइआइटी की फीस बढ़ी, वसूली नौकरी के बाद होगी

आइआइटी काउंसिल ने आइआइटी की फीस को मौजूदा 50 हजार रुपये सालाना से बढ़ाकर दो लाख करने का फैसला किया है। हालांकि छात्रों को बढ़ी हुई डेढ़ लाख रुपये की फीस का भुगतान नौकरी पाने के बाद किस्तों में करने में करने की छूट होगी। इसके साथ ही राज्यों की सहमति लेकर आइआइटी, एनआइटी समेत देश के सभी सरकारी और गैर सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए 2013 से राष्ट्रीय स्तर पर एक ही प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) की काउंसिल की बुधवार को यहां हुई बैठक के बाद मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया कि काकोदकर कमेटी ने आइआइटी की सालाना 50 हजार रुपये की फीस को बढ़ाकर दो लाख रुपये करने की सिफारिश की थी। चूंकि सरकार का आइआइटी के एक छात्र की पढ़ाई पर छह से आठ लाख खर्च आता है। लिहाजा काउंसिल ने तय किया है कि फीस अब भी हर साल 50 हजार ही रहेगी। इस तरह कोर्स पूरा होने और नौकरी मिलने के बाद फीस की बची हुई राशि छात्र के सेवायोजकों से किश्तों में वसूली जाएगी। छात्रों के डीमैट सर्टिफिकेट में दर्ज होगा कि उसके ऊपर फीस बकाया है। बढ़ी फीस दलित, पिछड़े व क्रीमीलेयर के नीचे के छात्रों पर नहीं लागू होगी। जबकि जो छात्र ग्रेजुएट बनने के बाद पीएचडी, एम. फिल, एम.टेक या फिर इस तरह के दूसरे पाठ्यक्रम में पढ़ाई जारी रखेंगे, बढ़ी फीस उनसे भी नहीं वसूली जाएगी। सिब्बल ने कहा कि 2013 से सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ही प्रवेश परीक्षा होगी। मंशा, गांवों और गरीबों के बच्चों को भी आइआइटी सिस्टम में आसानी से दाखिला दिलाने की है। अभी यह धनी लोगों के लिए ही है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई में दाखिले के लिए छात्रों पर परीक्षाओं व कोचिंग सेंटर का बोझ कम करना जरूरी है। लिहाजा देश के सभी 39 स्कूल शिक्षा बोर्ड में छात्रों को इंटरमीडिएट में बीते चार में मिले अंकों को लेकर भारतीय सांख्यकीय संस्थान उनका औसत आकलन करेगा। उसके आधार एक मेरिट बनेगी, इंजीनियरिंग में दाखिले में उसको महत्व दिया जाएगा। उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रवेश परीक्षा होगी। उसकी मेरिट लिस्ट बनेगी। बाद में दोनों मेरिट लिस्ट के नतीजों को जोड़कर राष्ट्रीय मेरिट लिस्ट बनेगी। वह मेरिट और काउंसिलिंग दाखिले का आधार होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य सरकारें, राज्य शिक्षा बोर्ड व निजी इंजीनियरिंग कॉलेज इस पर सहमत होंगे? उन्होंने कहा कि अभी भी राज्यों की प्रवेश परीक्षा के बाद ही दाखिले हो रहे हैं। सरकार इस पर राष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार समिति (केब) की बैठक व राज्यों के शिक्षा मंत्रियों से मशविरा करेगी। हाल के वर्षो में आइआइटी में छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं बढ़ी हैं। वजहों की तह में जाने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने का फैसला हुआ है। सिब्बल ने कहा कि काउंसिल ने इसके साथ ही 2020 तक विज्ञान में 40 हजार पीएचडी (शोध) कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि काउंसिल में आइआइटी की अकादमिक व प्रशासनिक स्वायत्तता बढ़ाने पर चर्चा हुई है। उसके जरिए निदेशकों, फैकल्टी का वेतन बढ़ाने, निदेशकों की नियुक्ति आदि का मामला है। धन का प्रबंध इसके आड़े आयेगा। नतीजे में आइआइटी और बेहतर क्या करेंगे? सभी निदेशक चार हफ्ते में इस पर रिपोर्ट देंगे। उनकी रिपोर्ट के बाद सिब्बल ने इस पर वित्त मंत्री से मशविरे का भरोसा दिया है(दैनिक जागरण,दिल्ली,15.9.11)।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट भी देखिएः
सरकार ने फैसला किया है कि वह आईआईटी की फीस तो बढ़ाएगी , लेकिन पढ़ाई के दौरान स्टूडेंट को सिर्फ मौजूदा फीस 50,000 रुपये सालाना ही चुकानी होगी , बाकी फीस वह नौकरी लगने के बाद चुका सकता है। यह भी तय किया गया है कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए देश भर में सिंगल एंट्रेंस टेस्ट शुरू किया जाए। इन दोनों ही बदलावों के 2013 से लागू होने की योजना है।

बुधवार को दिल्ली में आईआईटी काउंसिल की बैठक में हुए इन फैसलों की जानकारी मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने दी। सिंगल टेस्ट के मसले पर सरकार की योजना है कि एक मैथमैटिकल फॉर्म्युले के जरिए देश में मौजूदा सभी 42 एजुकेशन बोर्ड्स के रिजल्ट को समान कर दिया जाए। फिर 12 वीं के मार्क्स के आधार पर एक वेटेज तैयार किया जाएगा। स्टूडेंट को सिंगल टेस्ट देना होगा , जो जीके या एप्टिट्यूड पर आधारित हो सकता है। इस टेस्ट से प्राप्त मार्क्स व 12 वीं के वेटेज के आधार पर देश भर की मेरिट बनेगी। इसी के आधार पर इंजीनियरिंग में दाखिला दिया जाएगा।

क्या है स्कीम
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अनिलकाकोडकर समिति की सिफारिशों को मानते हुए आईआईटी की फीस को दो लाख रुपये सालाना करने के प्रस्ताव को सैद्घांतिक मंजूरी दे दी है। शुरू में स्टूडेंट को 50,000 रुपये ही देने होंगे। नौकरी लगने पर वह बाकी रकम को किश्तों में चुका सकेगा।

बढ़ी फीस के दायरे में सिर्फ 25 पर्सेंट स्टूडेंट ही आएंगे , जिनके पैरंट्स की सालाना आय साढ़े चार लाख रुपये से ज्यादा होगी। एससी , एसटी , ओबीसी , वजीफे और ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के 75 पर्सेंट स्टूडेंट इससे बचे रहेंगे।

अगर स्टूडेंट एमटेक , पीएचडी करता है या किसी अन्य क्षेत्र में पढ़ाई जारी रखता है या फिर बतौर फैकल्टी अपना करियर शुरू करता है तो उसे बाकी किश्त नहीं चुकानी होगी।

आने वाले समय में हर डिग्री का एक अकाउंट होगा , जिसमें दर्ज किया जाएगा कि स्टूडेंटस को कितनी और कैसे - कैसे रकम चुकानी है। यह नौकरी देने वाले की भी जिम्मेदारी होगी , कि वह सरकार का पैसा वापस कराने में सजग रहे।

1 टिप्पणी:

  1. वाह। अब गरीब लोग ऐसे ही मरेंगे। हिन्दी पर आपकी टिप्पणियों से यहाँ तक आया। खाओ देश को ऐसे ही तब तैयार होंगे पी एच डी। जैसे कान पकड़ कर के पीएचडी करा लेंगे ये!

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