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19 सितंबर 2011

यूपीःडिग्री कॉलेज भी जूझ रहे हैं शिक्षकों की कमी से

पढ़ाई का स्तर बढ़ाने का भगीरथ प्रयास फिलहाल सफल होता नहीं दिखायी दे रहा है। एक तरफ हर साल प्रवेश के दौरान 20 फीसद अतिरिक्त सीटों का इजाफा कर दिया जाता है और दूसरी तरफ शिक्षकों का टोटा छात्रों के भविष्य पर पानी फेरने को आतुर है। आंकड़े गवाह हैं सूबे के सरकारी व एडेड डिग्री कालेज भी विश्वविद्यालयों की राह पर हैं। प्रदेश के 978 डिग्री कालेजों में शिक्षकों के सृजित पदों में एक तिहाई से लेकर एक चौथाई पद आज भी तैनाती के इंतजार में हैं। राजकीय डिग्री कालेज तो शिक्षकों की कमी के मामले में सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों से भी चार कदम आगे हैं। इन पदों को भरनेमें शासन और आयोग दोनों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रदेश की राजधानी में शिक्षकों की कमी पर न जर डालें तो यहां 20 अनुदानित महाविद्यालयों में एक केकेसी में सबसे ज्यादा 44 शिक्षकों के पद रिक्त हैं, तो केकेवी में इनकी संख्या भी 10 के पार हो चुकी है। कमोबेश यही स्थिति दूसरे डिग्री कालेजों की भी है। राजधानी में राजकीय डिग्री कालेजों की संख्या चार है। इनमें तीन डिग्री कालेज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के हैं, लेकिन इन महाविद्यालयों में भी शिक्षकों के एक तिहाई पद खाली हैं। इन पदों को भरने के लिए शासन ने कई बार कयायद की, लेकिन हर बार नियुक्तियों में अड़गा लग गया। राजधानी के बाद आइये, सूबे की उच्च शिक्षा पर भी नजर डाल लें। प्रदेश में 850 एडेड डिग्री कालेज और 128 राजकीय डिग्री कालेज हैं। एडेड डिग्री कालेजों में शिक्षकों के 10,700 पद सृजित हैं। इनमें तकरीबन 2,400 सौ पद खाली हैं। इन पदों पर नियुक्ति अभी तक नहीं हो सकी है। बात करें राजकीय डिग्री कालेजों की तो प्रदेश के 128 राजकीय डिग्री कालेजों में 3,000 के आसपास शिक्षकों के पद सृजित हैं, लेकिन एक हजार से ज्यादा पद खाली हैं। राजकीय डिग्री कालेजों में भी कई विभाग एकल शिक्षक के भरोसे पर हैं तो शारीरिक शिक्षा के प्रवक्ता पढ़ाई के बगैर ही तनख्वाह ले रहे हैं। डिग्री कालेजों में शिक्षकों की कमी से सूबे की उच्च शिक्षा में गुणवत्ता तो दूर, पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है। महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए दो अलग-अलग सोर्स हैं। एडेड डिग्री कालेजों में उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग से शिक्षक चयनित होते हैं, लेकिन राजकीय डिग्री कालेजों में शिक्षकों का चयन राज्य लोक सेवा आयोग से होता है। दोनों स्तरों से नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं और आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में भी बदलाव होने से शिक्षकों के चयन पर काली छाया और भी गहरा सकती है(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,19.9.11)।

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