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21 सितंबर 2011

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहाःआरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नहीं रखा जा सकता सामान्य सूची में

हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों के सामान्य वर्ग की सूची में जाने पर रोक लगा दी है, जिन्होंने पहले ही फीस के अलावा आयु, शारीरिक दक्षता परीक्षण या अन्य कोई छूट या लाभ लिया हो।

इस मामले में हाईकोर्ट ने गृह सचिव, कार्मिक सचिव, डीजीपी व आईजी भरतपुर सहित सात को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायाधीश एम.एन.भंडारी ने यह अंतरिम आदेश प्रदीप कुमार की याचिका पर दिया।

अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि सरकार ने धौलपुर जिले में पुलिस कांस्टेबल (सामान्य) के 58 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की। प्रार्थी लिखित व शारीरिक दक्षता परीक्षण में सफल रहा, लेकिन मेरिट में नहीं आया।


जब उसने आरटीआई कानून के तहत जानकारी ली तो पाया कि मेरिट में उसका नंबर 59 था और सामान्य वर्ग की सूची में अधिकतर अभ्यर्थी आरक्षित वर्ग के हैं। 

याचिका में कहा कि सामान्य वर्ग की सूची में आरक्षित वर्ग के जिन अभ्यर्थियों को शामिल किया है, वे फीस लाभ के अलावा आयु छूट व अन्य लाभों को पहले ही ले चुके हैं। ऐसे में उन्हें सामान्य वर्ग की सूची में शामिल नहीं किया जा सकता, चाहे उनके अंक सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी से अधिक ही क्यों न हो।

न्यायाधीश ने याचिका पर सुनवाई करते हुए लाभ ले चुके आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के सामान्य वर्ग की सूची में जाने पर रोक लगाते हुए गृह सचिव, कार्मिक सचिव सहित अन्य से जवाब मांगा(दैनिक भास्कर,जयपुर,21.9.11)।

1 टिप्पणी:

  1. कोर्ट का यह निर्णय गांव की कीसी पंचायत मे बैठकर उन पंचो के फैसले की तरह है जो किसी विषेश का पक्ष ध्यान मे रखकर फैसला करते है। संविधान मे दी गयी आरक्षण की व्यवस्था को ध्यान में रखकर ही कोर्ट को निर्णय देने चाहिए। आरक्षण विरोधी लोगो ने ,जो नही चाहते की इस देश में सच्चा लोकतन्त्र कायम हो एक समावेषी समाज का निर्माण हो ,कोर्ट को आरक्षण के खिलाफ हथियार बना लिया है।

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