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21 सितंबर 2011

जामिया मिल्लिया को अल्पसंख्यक दर्जे का समर्थन गलत : मल्होत्रा

दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने पर केंद्र सरकार के समर्थन की कड़ी निंदा की। प्रो. मल्होत्रा ने इसे असंवैधानिक बताया। केंद्र सरकार का यह कदम संविधान व सर्वधर्म समभाव के विरुद्ध तो है ही, साथ ही अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग के भी खिलाफ है। जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय जो पहले सद्भावना की मिसाल होता था, अब धीरे-धीरे सांप्रदायिक व कट्टरपंथी ताकतों का गढ़ बनता जा रहा है। प्रो. मल्होत्रा ने कहा कि जामिया को अल्पसंख्यक दर्जा मिलने से सबसे अधिक नुकसान अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग को हुआ है। पहले इनके दाखिले और शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण था, जो अब समाप्त कर दिया गया है। अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग के सैकड़ों छात्रों को भी अब दाखिला नहीं मिलेगा। प्राध्यापकों की भर्ती का कोटा भी समाप्त हो गया और वर्तमान शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर भी समाप्त हो गए। प्रो. मल्होत्रा ने कहा कि जामिया विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय है और उसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार वहन करती है। यह विश्वविद्यालय अपनी स्थापना से ही आम विश्वविद्यालय रहा है। आजादी से पहले और बाद भी इसका धर्मनिरपेक्ष रूप कायम रहा, परंतु आजादी के 63 वर्ष बाद अचानक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने इसे अल्पसंख्यक संस्थान घोषित कर दिया, जो काम जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में नहीं हुआ, वह मनमोहन सिंह व सोनिया गांधी के कार्यकाल में हो गया(दैनिक जागरण,दिल्ली,21.9.11)।

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