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20 अक्तूबर 2011

लैब टेक्नोलोजिस्ट के तौर पर करिअर

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए पहले इनके बारे में बारीकी से जानना पड़ता है। डॉक्टर रोगी के परीक्षण के दौरान सिर्फ बीमारी का अनुमान लगाता है। इस अनुमान को जांचने के लिए वह मेडिकल लेबारेट्री टेक्नोलॉजी की मदद लेता है। इसमें रोगी के अंदरूनी शरीर की पूरी तरह से जांच-पड़ताल की जाती है।
मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी को क्लीनिकल लेबोरेट्री साइंस भी कहा जाता है। क्लीनिकल लेबोरेट्री साइंस के अंतर्गत बीमारी की जांच और लेबोरेट्री टेस्ट के जरिए बीमारी के इलाज और रोकथाम के तरीके निकाले जाते हैं। मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी के अंतर्गत काम करने वाले व्यक्ति को मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट कहते हैं। मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट रोगी के खून की जांच, टीशू, माइक्रोआर्गनिज्म स्क्रीनिंग, केमिकल एनालिसिस और सेल काउंट से जुड़े परीक्षण को अंजाम देता है। मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट बीमारी के होने या न होने संबंधी ज़रूरी साक्ष्य जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट का काम बेहद जिम्मेदारी भरा होता है। ऐसे में इस क्षेत्र में करिअर बनाने के लिए पहली मांग है अपने काम के प्रति पूरी तरह ईमानदार होना। जब आप पूरी ईमानदारी से काम को अंजाम देंगे तभी रोगी की शारीरिक समस्या दूर हो पाएगी। देश में जिस तेजी से मेडिकल सेक्टर का विकास हो रहा है उससे मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी में करिअर बनाना सही फैसला होगा।
मेडिकल लेबोरेट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को दो अलग-अलग शाखाओं में विभाजित किया जाता है, टेक्नीशियन और टेक्नोलॉजिस्ट। मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट लेबोरेट्री के पांच अलग-अलग क्षेत्रों में काम करता है, यह है ब्लड बैंकिंग, क्लीनिकल कैमेस्ट्री, हेमाटोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी। इसके अलावा टेक्नोलॉजिस्ट साइटोटेक्नोलॉजी, फेलबोटॉमी, यूरिनएनालिसिस, कॉग्यूलेशन, पैरासीटोलॉजी और सेरोलॉजी से संबंधी परीक्षण भी करता है। टेक्नीशियन की तुलना में मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट की जिम्मेदारियां और काम ज्यादा बड़े व जटिल होते हैं। टेक्नोलॉजिस्ट टीशू के माइक्रोस्कोपिक परीक्षण, खून में बैक्टीरिया या फंगी की जांच जैसे मुश्किल कामों को अंजाम देता है। कुछ लैबोरेट्री में टेक्नोलॉजिस्ट मेडिकल शोधकर्ताओं के साथ मिलकर शोध कार्यों में भी योगदान देते हैं। इसके उलट मेडिकल टेक्नीशियन इंस्ट्रक्शन के आधार पर रोजमर्रा की लेबोरोट्री टेस्टिंग को अंजाम देते हैं। टेक्नीशियन, टेक्नोलॉजिस्ट या सुपरवाइजर के सहयोगी के रूप में काम करते हैं। सामान्य तौर पर टेक्नीशियन ऐसी मशीनों को ऑपरेट करता है जो स्वत: ही परीक्षण करने में सक्षम हैं। इन्हें ऑपरेट करने के लिए किसी विशेष योग्यता की ज़रूरत नहीं होती है। इसके साथ ही टेक्नीशियन उपकरणों की साफ-सफाई और लेबोरेट्री में मेंटीनेंस का भी काम संभालता है। लेबोरेट्री में इस्तेमाल होने वाले स्टैंडर्ड सोल्यूशन बनाने की जिम्मेदारी भी टेक्नीशियन की ही होती है।
मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नालॉजी में बेहतर करिअर व्यक्ति के एकेडेमिक और टेक्निकल नॉलेज पर भी निर्भर करता है। कुशल मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नीशियन को हॉस्पिटल, इमरजेंसी सेंटर, प्राइवेट लेबोरेट्री, ब्लड डोनर सेंटर और डॉक्टर के आफिस या क्लीनिक में से कहीं भी आसानी से काम मिल सकता है। अच्छे-खासे अनुभव और शैक्षिक योग्यता के चलते टेक्नीशियन, टेक्नोलॉजिस्ट के तौर पर भी काम करना शुरू कर सकता है। अस्पतालों और लेबोरेट्री की संख्या लगातार बढऩे से मेडिकल टेक्नीशियन की मांग हर समय बनी ही रहती है। इस क्षेत्र में रोजगार के कई अवसर रिसर्च लेबोरेट्री और मिलेट्री में भी उपलब्ध हैं। प्रमोशन होने पर टेक्नोलॉजिस्ट लैब या हॉस्पिटल में सुपरवाइजरी या मैनेजमेंट की पोस्ट तक पहुंच सकता है। कुशल टेक्नोलॉजिस्ट लैबोरेट्री मैनेजर, कंसल्टेंट, सुपरवाइजर, हैल्थकेयर एडमिनिस्ट्रेशन, हॉस्पिटल आउटरीच कॉर्डीनेशन, लेबोरेट्री इंफार्मेशन सिस्टम एनोलिस्ट, कंसल्टेंट, एजुकेशनल कंसल्टेंट, कॉर्डीनेटर, हेल्थ एंड सेफ्टी आफिसर के तौर पर भी काम कर सकता है। मेडिकल क्षेत्र के क्षेत्र में प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्किटिंग, सेल्स, क्वालिटी इंश्योरेंस, इन्वायरमेंट हेल्थ एंड इंश्योरेंस जैसे क्षेत्रों में भी मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट की आवश्यकता बनी रहती है।
योग्यता :- मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी में करिअर बनाने के लिए डिप्लोमा कोर्स करना होता है। यह कोर्स 12वीं के बाद किया जा सकता है। डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं में बॉयोलॉजी विषय का होना अनिवार्य है। डिप्लोमा कोर्स की अवधि दो वर्ष की होती है। डिप्लोमा कोर्स के अलावा लैब टेक्नीशियन के रूप में करिअर बनाने के लिए कई अन्य सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं। टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में करिअर की शुरुआत करने के लिए बैचलर इन मेडिकल टेक्नोलॉजी के तीन साल के प्रोग्राम में प्रवेश ले सकते हैं। यह प्रोग्राम देश की कई यूनिवर्सिटीज और हॉस्पिटल द्वारा चलाया जाता है।
प्रमुख संस्थान -
डॉक्टर एनपीजे आट्ïर्स एंड साइंस कालेज, कोयंबटूर, तमिलनाडु
आचार्य इंस्टीच्यूट ऑफ हेल्थ साइंस कालेज ऑफ मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी, बंगलुरु
ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नयी दिल्ली
अल्वा कालेज ऑफ मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी, मूडबिदरी, कर्नाटक
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर, तमिलनाडु
सिटी कालेज ऑफ मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी, मंगलोर, कर्नाटक
कॉलेज आफ एलाइड हेल्थ साइंस, मनीपाल यूनिवर्सिटी, कर्नाटक
डा. भीमराव अंबेडकर मेडिकल कालेज, हॉस्पिटल, बंगलुरु, कर्नाटक
डॉक्टर एमवी शेट्टी इंस्टीच्यूट ऑफ हेल्थ साइंस, मंगलोर, कर्नाटक
हल्दिया इंस्टीच्यूट आफ हेल्थ साइंस, हल्दिया, पश्चिम बंगाल
हॉली माथा कॉलेज ऑफ माडर्न टेक्नोलॉजी, एरनाकुलम, केरल
आईएएसई डीम्ड यूनिवर्सिटी, चुरु, राजस्थान
इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामेडिकल, मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजीस, नई दिल्ली
बिरला इंस्टीच्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी, राजस्थान
बिरला इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची, झारखंड(जी एस नंदिनी,दैनिक ट्रिब्यून,5.10.11)

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