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21 अक्तूबर 2011

दिल्ली वालों को नौकरी में तरजीह देने पर उभरे मतभेद

नगर निगम की नौकरियों में दिल्ली वालों की तरजीह देने के निर्णय पर भाजपा में उभरे मतभेद आज खुलकर सामने आ गये। प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आज साफ कर दिया कि इस मामले में पार्टी का कोई निर्णय लिया है। साथ ही यह भी कहा कि फिलहाल यह मामला केवल चर्चा के स्तर तक ही सीमित है। दरअसल नगर निगम में सत्तारूढ़ भाजपा ने बीते 17 अक्टूबर को निगम की बैठक में एक प्रस्ताव पास किया है। जिसमें कहा गया है कि नगर निगम की तीसरी और चौथी श्रेणी की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 85 फीसद आरक्षण दिया जायेगा। यह प्रस्ताव भाजपा पाषर्द विजय प्रकाश पाण्डेय और गुलशन भटिया के अलावा नेता विपक्ष जयकिशन शर्मा की ओर से लाया गया था। प्रस्ताव पास करने के बाद से ही प्रदेश भाजपा में इस मुद्दे पर विरोध उभर रहा था। इस मामले में सवाल करने पर प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने साफ कहा कि इसमें पार्टी का कोई निर्णय नहीं है। यह पाषर्दों की व्यक्तिगत इच्छा हो सकती है। साथ ही यह भी जोड़ा कि यह मामला एक चर्चा के अलावा कुछ भी नहीं है। इसके साथ ही प्रदेश सह- प्रभारी रामेर चौरसिया ने रुख बदलते हुए कहा कि जो दिल्ली में रह रहा है वह दिल्ली का ही निवासी है। इसलिए नौकरियों में उसे ही मौका मिलेगा। सूत्रों का कहना है कि पाषर्दों के इस प्रस्ताव से पार्टी में हड़कंप मचा हुआ है। प्रदेश प्रभारी ने उन पाषर्दों को तलब किया था। जिन पाषर्दों के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर थे। प्रभारी ने पाषर्दों को डांटते हुए कहा कि इस तरह की हरकतें बंद की जायें। साथ ही प्रदेश नेतृत्व को भी मशविरा दिया है कि पाषर्दों को समझाया जाये कि इस तरह के प्रस्ताव भविष्य में न लाने से बचा जाये। प्रभारी ने तर्क दिया कि दिल्ली में भाजपा के सभी वर्गो में वोट हैं। उधर इस मामले में निगम के एक पदाधिकारी ने बात को टालते हुए कहा कि गलती से प्रस्ताव लग गया था(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,21.10.11)।

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