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21 अक्तूबर 2011

दिल्लीःसरकारी स्कूलों में बच्चों का स्वास्थ्य ताक पर

सरकारी स्कूल के बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवा़ड़ हो रहा है। स्कूलों के बाहर ध़ड़ल्ले से जंकफूड बिक रहा है और स्कूल प्रबंधन आंखे मूंदकर बैठा है। सरकार और कोर्ट द्वारा जंकफूड पर सख्त रवैया अपनाने के बावजूद दिल्ली सरकार का एक स्कूल जंकफूड परोसने वाले दुकानदारों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। यही नहीं स्कूल परिसर का भी हाल बहुत बुरा है। बच्चे इन अव्यवस्थाओं से परेशान हैं।

रघुबीर नगर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक बाल-बालिका विद्यालय के बाहर ध़ड़ल्ले से जंकफूड बेचा जा रहा है। और तो और स्कूल की दीवार के साथ एक दुकानदार महीनों से अपनी चाय और खाने-पीने की चीजों की दुकान लगाए बैठा है। दोपहर को स्कूल में ल़ड़कों की पाली लगती है। स्कूल लगने से घंटों पहले रेह़ड़ी, साइकिल और खोमचे वाले तमाम तरह की खान-पान की वस्तुएं लेकर यहां पहुंच जाते हैं। स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों से महरूम छोटे-छोटे बच्चे जंकफूड का जमकर सेवन करते हैं।

जबकि सरकार और कोर्ट ने हाल ही में स्कूलों के बाहर बिकने वाले जंकफूड पर रोक लगाने के लिए स्कूल प्रबंधनों को निर्देश दिए थे कि वह इस मामले में सख्त कदम उठाए। निर्देश में यह भी कहा गया था कि स्कूल प्रबंधन जंकफूड परोसने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई करें। लेकिन कार्रवाई दूर को कौ़ड़ी साबित होती दिखाई दे रही है। स्कूल के आठवीं और नौवीं कक्षा के छात्रों ने बताया कि स्कूल में पानी की बहुत समस्या है। कुल ६ शौचालय हैं, लेकिन अधिकतर दिन पानी नहीं होता। जब स्कूल में स्थित शौचालयों की जांच-प़ड़ताल की गई तो चौकाने वाली बात सामने आई।


शौचालयों में पानी होना तो दूर, नल और पाइप लाइन तक दिखाई नहीं दी। इसके अलावा जिस जगह बच्चे पानी पीते हैं वहां नलों के पास गंदगी का जमाव़ड़ा लगा था। इतना ही नहीं शौचालयों के पास सीवर के मुंह खुले हुए थे। हालांकि सीवरों में पानी नहीं था, लेकिन खाली पानी की बोतलें और कू़ड़ा भरा प़ड़ा था।

रघुबीर नगर इलाके में स्थित दिल्ली सरकार का यह स्कूल चि़ड़ियाघर के नाम से लोकप्रिय है। स्कूल के प्रवेश द्वार के बाहर भी सीवर लाइन के मुंह खुले हुए हैं। दीवार पर स्कूल प्रबंधन की ओर से यह तो लिखा गया है कि सौ मीटर के दायरे में धूम्रपान की वस्तुएं बेचना मना है, लेकिन आते-जाते साइकिल और खोमचे वाले सिगरेट व बी़ड़ी बेचते हुए दिख गए। जंकफूड की बिक्री पर जब स्कूल में ल़ड़कों की पाली के उप-प्राचार्य बी.पी मीणा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पहले शिक्षा विभाग से स्कूल में दाखिल होने और उनसे बात करने की लिखित अनुमति ली जाए, तभी वो बात करेंगे(रोहित राय,नई दुनिया,दिल्ली,21.10.11)।

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