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21 अक्तूबर 2011

बिहारःहाईकोर्ट ने कहा,आईसीएसई बोर्ड की फीस बढ़ाए जाने पर रोक नहीं

आईसीएसई बोर्ड के स्कूली छात्रों की फीस बढ़ाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को पटना उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति टी. मीणा कुमारी व न्यायमूर्ति विकास जैन की पीठ ने कहा कि फीस बढ़ाये जाने से याचिकाकर्ता आहत नहीं हुआ है। जो आहत हुआ है वह याचिका दाखिल करे। इस मामले में याचिकाकर्ता सुधीर कुमार ओझा को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। बोर्ड की तरफ से वरीय अधिवक्ता एनके अग्रवाल, जयदीप बेटी व अमरेश कुमार सिन्हा ने न्यायालय से कहा था कि बोर्ड एक स्वायतशासी संस्था है और उसे सरकार की तरफ से किसी तरह का वित्तीय सहयोग नहीं मिलता है। उसे अपने खच्रे के अनुसार फीस बढ़ाने का पूरा अधिकार है। फीस पूरे देश के लिए बढ़ायी गयी है न कि सिर्फ बिहार के स्कूलों के लिए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वीके सिंह ने कहा था कि बोर्ड ने बिना किसी आधार के अगस्त 2008 में दो सौ फीसदी फीस बढ़ा दिया है। इससे उसने अभिभावकों पर काफी वित्तीय भार बढ़ गया जो उचित नहीं है। देश में शिक्षा मौलिक अधिकार है। छात्रों को शिक्षा मुफ्त में दी जानी चाहिए। नहीं तो खर्च के हिसाब से ही फीस बढ़ायी जानी चाहिए। बोर्ड ने नहीं बताया है कि उसका खर्च क्या है और उसने बिना आधार के फीस बढ़ा दिया है। उसके फीस बढ़ाये जाने के आदेश को निरस्त कर दिया जाय। इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से अधिवक्ता विनय कुमार पांडे ने कहा था कि सरकार बोर्ड को कोई वित्तीय अनुदान नहीं देती है(राष्ट्रीय सहारा,पटना,21.10.11)।

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