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03 अक्तूबर 2011

छत्तीसगढ़ःपरीक्षा परिणाम में बदल रहे हैं माता-पिता के नाम

दो दिन पहले माशिमं द्वारा दसवीं-बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं की प्रक्रिया शुरू करते सभी जिलों में आवेदन पत्र भेजे गए हैं। 5 से 30 अक्टूबर तक स्कूलों में छुट्टियां रहेंगी। जबकि उक्त फार्म भरवा कर बोर्ड कार्यालय में जमा करवाने की आखिरी तिथि 20 अक्टूबर है। इसे देखते हुए स्कूलों में आवेदन भरने का काम शुरू हो चुका है। फार्म भरने वाले काफी बच्चे अपनी डाटा शीट को देखकर हैरान हैं। किसी बच्चे के पिता, कहीं मां के नाम लिखने में जहां गलती हुई है। वहीं बायो समूह के बच्चों के फार्म पर गणित विषय लिखा हुआ है। इतना ही नहीं कहीं-कहीं पर जन्म तिथि और जाति में भी त्रुटियां हैं।

खास बात यह है कि दसवीं के छात्र पहली बार बोर्ड का फार्म भरते हैं। उन्हें इस काम की ज्यादा समझ नहीं रहती। डाटा शीट पर उक्त कमियां देखकर बच्चे अध्यापकों से पूछते हैं। सर, मम्मी-पापा का तो नाम गलत हो गया है। दूसरी ओर बोर्ड ने आनन-फानन में स्कूलों को फार्म भेजे हैं। जिसके चलते गलतियां सामने आ रही हैं। दिक्कत यह है कि ऐसे मामलों में सुधार करते बोर्ड को काफी ज्यादा समय लग जाता है। जिसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ता है। इस संबंध में वरिष्ठ अध्यापकों का मानना है कि परीक्षाओं और रिजल्ट तैयार करना काफी गंभीर मसला होता है। इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए। माशिमं के स्थानीय कार्यालय के प्रभारी सूर्या राव के मुताबिक डाटा शीट में बच्चे या उनके माता-पिता के नाम समेत कोई अन्य त्रुटि है तो उसे नियमानुसार सूची बनाकर प्राचार्यो द्वारा सूची बनाकर बोर्ड को भेजा जाता है। जिसे तुरंत सुधार दिया जाता है।


कवायद ट्रेनिंग की
शिक्षा की गुणवत्ता ऊंची रखने के नाम पर पिछले दो-तीन साल से माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा पेपर सेट करने और उत्तर पुस्तिका जांचने के नाम पर अध्यापकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके लिए बकायादा मास्टर ट्रेनर्स समेत मंडल के अधिकारी जुटे हुए हैं। हाल ही में ट्रेनिंग लेने वाले कुछ अध्यापकों ने बताया कि इस काम में औपचारिकता ही पूरी हो रही है। वास्तव में यदि इसका असर होता तो हर साल पुनर्मूल्यांकन, पुनर्गणना से लेकर उत्तर पुस्तिकाओं की फोटो कापी मांगने वालों की संख्या कम होनी चाहिए थी। दूसरी ओर इस तरह की आवासीय ट्रेनिंग के नाम पर काफी राशि खर्च भी होती है। मुख्य बात यह है कि इससे मकसद भी हल नहीं हो रहा हैं(दैनिक भास्कर,जगदलपुर-रायपुर,3.10.11)।

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