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17 नवंबर 2011

झारखंड की 24 जातियां ओबीसी में

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की केंद्रीय सूची में करीब चार दर्जन नई जातियां शामिल होंगी। इनमें झारखंड की 24 जातियां शामिल हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। अधिकृत सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद करीब 70 जातियों को इस वर्ग में शामिल करने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने इनमें से करीब चार दर्जन जातियों को शामिल करने की हरी झंडी दिखाई है। समाज कल्याण मंत्रालय ओबीसी सूची में संशोधन संबंधी अधिसूचना जल्द ही जारी करेगा।

यह होगा लाभ

ओबीसी सूची में शामिल होने वाली जातियों के लोगों को केंद्र सरकार की नौकरी और केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलेगा। फिलहाल, सरकार ओबीसी को रोजगार और पढ़ाई-लिखाई में 27 फीसदी आरक्षण दे रही है। 

राज्य की ये जातियां शामिल
केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के अनुसार ओबीसी की सूची में वैश्य जातियों में सूढ़ी, हलवाई, रौनियार, पनसारी, मोदी, कसेरा, केशरवानी, ठठेरा, पटवा, सिंदुरिया, बनिया, महुरी, वैश्य, अवध बनिया, अधरखी तथा अगराहारी वैश्य को शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा सूची में बढ़ई और मुस्लिम के भट्ट, भाट, गंधर्व, मुस्लिम, कैइबरता, कमार, लोहार, कर्मकार, विश्वकर्मा, कुर्मी में महतो, मल्लाह में केवट, मुरावारी, मंगर, मौरीआरी, मौरीआरो, पाल के भेरिहार, गड़ेड़ी में गड़ेड़िया, सोनार, सुनार, तमोली, तमबोली, तांती, टांटिया शामिल होगी। इसके अलावा धनकर, कलाल, इराकी,कलवार और परया जातिको भी नयी सूची में शामिल किया जाएगा। सहाय ने बताया कि झारखंड के वैश्य जाति समेत कई उप जातियों का नाम छूट गया था, जिसे केंद्र सरकार ने सूची में शामिल करने पर हरी झंडी दे दी है। अब इन्हें केंद्रीय शिक्षण संस्थान और नौकरियों में तय आरक्षण का लाभ मिलेगा।

20 राज्यों को लाभ
ओबीसी की केंद्रीय सूची में संशोधन के फैसले से करीब २क् राज्यों की पिछड़ी जातियों को लाभ होगा। इनमें गोवा और उत्तराखंड जैसे राज्य भी हैं, जहां जल्दी ही चुनाव होने वाले हैं। अन्य राज्यों में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, अंडमान निकोबार, दिल्ली और पुडुचेरी शामिल हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले से राज्य में ओबीसी विवाद तो लगभग समाप्त हो गया, मगर कुरमी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का मामला अभी भी लंबित है। आजादी से पहले छोटानागपुर क्षेत्र के कुरमी अनुसूचित जनजाति में शामिल थे। बाद में इन्हें पिछड़ा वर्ग में शामिल कर लिया गया। तभी से राज्य के मूलवासी कुरमी अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को लेकर आंदोलनरत हैं।

राज्य सरकार ने इसे अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए केंद्र से अनुशंसा कर चुकी है। मगर केंद्र ने जो सवाल उठाए, उसका जवाब राज्य सरकार ने अब तक नहीं दिया है। बहरहाल छोटानागपुर क्षेत्र में रहनेवाले कुरमी ओबीसी के एनेक्सर वन और संथाल परगना क्षेत्र के बिहार से जुड़े कुरमी (कुर्मी) ओबीसी एनेक्सर टू में शामिल हैं। राज्य ने जो अनुशंसा भेजी है, उसमें उन्हें एक ही रूप में अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की बात कही है(दैनिक भास्कर,रांची,17.11.11)।

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