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17 नवंबर 2011

बिलासपुरःबेरोजगारों को बनाया शिक्षाकर्मी, फर्जी आदेश से 7 को दे दी नौकरी

एक शिक्षाकर्मी ने वह कारनामा कर दिखाया है, जो शायद आईएएस अफसर भी न कर सकें। रामप्यारे कश्यप नामक शिक्षाकर्मी ने न सिर्फ खुद के लिए फर्जी संशोधन आदेश बनाया, बल्क 7 और बेरोजगारों को भी इसी तरह शिक्षाकर्मी की नौकरी बांट दी और ज्वाइनिंग भी करा दी। जिला पंचायत और सिटी कोतवाली पुलिस मामले की जांच कर रही है, जिसमें अब तक 8 नाम सामने आए हैं। आरोपियों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। पुलिस ने सरगना सहित 5 को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।

जिला पंचायत बिलासपुर एक बार फिर फर्जी शिक्षाकर्मियों को लेकर चर्चा में है। दरअसल जिला पंचायत की जांच में 8 ऐसे शिक्षाकर्मियों के नाम सामने आए हैं, जिनकी कभी नियुक्ति ही नहीं हुई और वे सभी फर्जी अटैचमेंट और संशोधन आदेश के सहारे शिक्षाकर्मी की नौकरी कर रहे थे। जिला पंचायत और पुलिस मामले की जांच कर रही है, जिसमें फर्जीवाड़ा करने वालों की संख्या 15 के पार पहुंचने की आशंका है। जांच में बाधा न आए, इसलिए जिला पंचायत और पुलिस मामले में गोपनीयता बरत रही है। जानकारी के मुताबिक शिक्षाकर्मी वर्ग-2 के पद पर कार्यरत रामप्यारे कश्यप पूरे मामले का सूत्रधार है। रामप्यारे डेढ़ साल पहले जांजगीर जिले से स्थानांतरण में बिलासपुर जिले में पदस्थ हुआ। उसकी पदस्थापना पूर्व माध्यमिक शाला केकती में हुई।


वर्तमान में वह पूर्व माध्यमिक शाला हांफा में पदस्थ है। केकती से हांफा आने के लिए उसने आंशिक संशोधन का सहारा लिया था। जांच में पता चला है कि यह संशोधन आदेश पूर्णत: फर्जी है। माना जा रहा है कि रामप्यारे ने फर्जी आदेश के सहारे अपनी पदस्थापना मनचाहे स्कूल में करा लिया। उसने अपनी इसी सफलता को लखपति बनने का जरिया बना लिया। उसने अपने ही रिश्तेदार और जान-पहचान वालों को शिकार बनाया। वह किसी के भी नाम पर संशोधन और संलग्नीकरण आदेश जारी करने लगा। जिला पंचायत सीईओ से लेकर तखतपुर बीईओ व जनपद सीईओ के दस्तखत स्कैन कर आदेश जारी होने लगा। अब तक की जांच में रामप्यारे सहित 8 शिक्षाकर्मियों का नाम सामने आया है, जो फर्जी आदेश के जरिए तखतपुर और पथरिया ब्लाक के स्कूल में बतौर शिक्षाकर्मी कार्यरत हैं।

पेमेंट कैसे मिलता
इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि शिक्षाकर्मियों को वेतन कहां से मिलता और जब वेतन नहीं मिलता तो कोई कितने दिनों तक काम करता। इस सवाल को सुलझाने पर फर्जीवाड़े के आगे की कहानी सामने आई। रामप्यारे फर्जीवाड़े में इतना माहिर हो गया था कि उसने बिलासपुर में लगभग 40 लोगों को इसी तरीके से शिक्षाकर्मी बनाया है। इनमें से 20 शिक्षाकर्मी जांजगीर जिले में फर्जी ट्रांसफर आदेश से पदस्थ हुए हैं। वे सभी फर्जी लास्ट पेमेंट स्लीप (एलपीसी) से वेतन भी लेने लगे हैं। जो नाम सामने आया है, उन शिक्षाकर्मियों को भी कुछ दिन बाद फर्जी ट्रांसफर आदेश के सहारे जांजगीर में पदस्थ किया जाता और वेतन दिलाया जाता। ट्रांसफर के लिए परिवीक्षा अवधि पूरा करना जरूरी है। रामप्यारे चार महीने में ट्रांसफर कराने के बहाने फर्जी नियुक्ति पाने वालों को सेलरी की मांग नहीं करने पर राजी करता था।

तखतपुर पुलिस करेगी जांच
तखतपुर सीईओ और बीईओ ने मामले की शिकायत सिटी कोतवाली पुलिस से की थी। कोतवाली पुलिस ने सरगना रामप्यारे कश्यप के अलावा प्रदीप, हेमंत, दिलाराम और मनोज कश्यप को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। सभी आरोपी तखतपुर ब्लाक से संबंधित हैं, इसलिए सिटी कोतवाली पुलिस इस मामले को तखतपुर रेफर कर रही है। अब आगे की जांच और कार्रवाई तखतपुर पुलिस करेगी।


सभी रिश्तेदार
अब तक की जांच के बाद पकड़े गए 8 फर्जी शिक्षाकर्मियों में से 4 रामप्यारे के रिश्तेदार हैं। प्रदीप कुमार कश्यप रामप्यारे का जीजा है। हेमंत कश्यप भांजा व मनोज कश्यप गांव का पारिवारिक भाई है। दिलाराम कश्यप रामप्यारे के दामाद की बहन का जेठ है।

ट्रांसफर की सिफारिश से हुआ रैकेट का खुलासा
शिक्षाकर्मियों के ट्रांसफर पर शासन ने रोक लगा दी थी, जिसके कारण पिछली गर्मी में कहीं भी ट्रांसफर नहीं हुआ। जिला पंचायत सीईओ भुवनेश यादव को उनके परिचित ने एक शिक्षाकर्मी के ट्रांसफर के लिए फोन किया। सीईओ ने कहा कि शासन से अनुमति ही नहीं मिली है तो ट्रांसफर कैसे होगा। परिचित व्यक्ति ने बताया कि बिलासपुर जिले के कई शिक्षाकर्मी जांजगीर आए हैं और बिलासपुर जिले में भी संशोधन के सहारे ट्रांसफर हो रहा है। इसी सूचना पर सीईओ ने गोपनीय तरीके से जांच शुरू की। रामप्यारे कश्यप की जिला पंचायत में सक्रियता के कारण उस पर संदेह हुआ। उसके पदस्थापना की जानकारी लेने पर पता चला कि वह केकती के बजाय हांफा में पदस्थ है। चूंकि वह वर्ग-2 का शिक्षाकर्मी है, लिहाजा उसका संशोधन आदेश जिला पंचायत से जारी होना था। जिला पंचायत के रजिस्टर में वह आदेश क्रमांक ही नहीं मिला, जिसका उल्लेख उसके संशोधन पत्र में है। 

मकान, गाड़ी खरीदी
रामप्यारे पिछले 8 महीने में इतना पैसेवाला बन गया कि उसने उसलापुर फाटक के आगे एक कालोनी में आलिशान मकान ले लिया। इसके अलावा उसने 3 चार पहिया वाहन भी खरीद लिए, जिन्हें वह किराये पर चला रहा है।

दो से ढाई लाख में सौदा
पकड़े गए आरोपियों में से एक ने दैनिक भास्कर से बातचीत में हकीकत बयां की। उसने बताया कि रामप्यारे और उसके रिश्तेदार ग्राहक ढूंढते थे और दो-ढाई लाख रुपए में शिक्षाकर्मी बनाने का दावा करते थे। सौदा तय होने पर 50 फीसदी राशि पहले ली जाती और शेष ज्वाइनिंग के बाद। उसने बताया कि फर्जी संशोधन आदेश को ही नियुक्ति आदेश बताया जाता था। स्कूल में ज्वाइनिंग मिलने पर उम्मीदवार मान लेता था कि उसे नौकरी मिल गई।

विवादों में रहा तखतपुर
शिक्षाकर्मियों की फर्जी तरीके से भर्ती को लेकर तखतपुर ब्लाक पिछले पांच सालों से विवादों में है। हर साल यहां नए-नए मामले उजागर हो रहे हैं। 8 माह पहले ही 5 ऐसे शिक्षाकर्मियों के नाम सामने आए थे, जो फर्जी ट्रांसफर आदेश के सहारे कवर्धा जिले से तखतपुर में पदस्थ हुए थे। इनमें से 4 ने दूसरे जिले में ट्रांसफर करा लिया है, जबकि एक तखतपुर जनपद पंचायत में ही पदस्थ रहा। इन पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सभी बतौर शिक्षाकर्मी कार्यरत हैं।

अफसरों की मिलीभगत
जांच अधिकारी भले ही आला अधिकारियों की मिलीभगत से भले ही इंकार करें, लेकिन यह फर्जीवाड़ा अधिकारियों के मिलीभगत के बगैर संभव नहीं है। इस पूरे मामले में तखतपुर सीईओ डीके कौशिक कटघरे में हैं। सरगना रामप्यारे कश्यप व डीके कौशिक के बीच बेहतर संबंध रहे हैं। रामप्यारे को हमेशा सीईओ के केबिन में बैठे देखा गया है। सूत्र बताते हैं कि आला अफसरों के एक गुट को पूरे मामले की जानकारी थी। पता चलने पर जिला पंचायत सीईओ ने जांच के निर्देश दिए, इसलिए न चाहते हुए भी हकीकत सामने लानी पड़ी।


फर्जी शिक्षाकर्मी
:रामप्यारे कश्यप
मिडिल स्कूल हांफा


:प्रदीप कुमार कश्यप
प्राइमरी स्कूल डिघोरा


:हेमंत कश्यप
प्राइमरी स्कूल मेड़पार


:मनोज कश्यप
प्राइमरी स्कूल मेड़पार


:दिलाराम कश्यप
प्राइमरी स्कूल 
सफरीभाठा


:नरेश कुमार वैष्णव
प्राइमरी स्कूल मेड़पार


:ममता देशमुख
मिडिल स्कूल सिलदहा(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,17.11.11)

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