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19 नवंबर 2011

बिहार में टीईटी प्रशिक्षित अभ्यर्थी सिर्फ 97 हजार

राज्य सरकार ने टीईटी मामले में सुनवाई के दौरान पटना उच्च न्यायालय से कहा कि उसके पास मात्र 97 हजार ही प्रशिक्षित अभ्यर्थी हैं। इसी वजह से उसने अप्रशिक्षितों को बहाल करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है। याचिकाकर्ता ने इसे झूठ बताया और कहा कि एक लाख 23 हजार तो वर्ष 2003 में ही थे। आठ साल में लाखों और बढ़ गये। इस मामले में शुक्रवार को न्यायालय में सुनवाई शुरू हो गयी। अगली सुनवाई सोमवार 21 नवम्बर को होगी। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने न्यायमूर्ति आरके दत्त से कहा कि परीक्षा के लिए 27 लाख लोगों ने आवेदन दिये थे जिसमें से दो लाख के आवेदन को निरस्त कर दिया गया। शेष 25 लाख आवेदकों में से 97 हजार ही प्रशिक्षित हैं। उन्होंने न्यायालय से कहा कि यह प्रतियोगिता परीक्षा नहीं है। शिक्षक पद की पात्रता के लिए है। जब बहाल किया जाएगा तब देखा जाएगा। उन्होंने न्यायालय को आस्त किया कि पात्रता परीक्षा पास किये जाने वाले प्रशिक्षित अभ्यर्थी को ही पहले लिया जाएगा। उसके बाद ही अप्रशिक्षितों को लिया जाएगा। उन्होंने याचिका दाखिल करने के औचित्य पर भी सवाल खड़ा किया। वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से वरीय अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने सरकार के जवाब को गलत ठहराया और कहा कि सवा लाख से ऊपर तो वर्ष 2003 में ही थे। अब लाखों प्रशिक्षित हो गये हैं। राज्य सरकार ने केंद्र से झूठ बोलकर अप्रशिक्षितों को बहाल करने की अनुमति ली है। सरकार के पास जितनी सीट है उससे ज्यादा प्रशिक्षित हैं। याचिका के औचित्य पर उन्होंने कहा कि दाखिल करने वालों में तीन प्रशिक्षित हैं। उन्हें याचिका दाखिल करने का अधिकार है। केंद्र सरकार ने अपने अधिवक्ता एसएन पाठक के माध्यम से कहा कि उसने राज्य सरकार के आंकड़ों के आधार पर उसे 2015 तक अप्रशिक्षितों को बहाल करने की अनुमति दे दी है। वैसे शिक्षक पद पर प्रशिक्षितों को ही बहाल करने का नियम है। सरकार शिक्षकों को बहाल करने को लेकर 15 व 16 दिसम्बर को पात्रता परीक्षा लेने जा रही है। उसके लिए सोमवार से प्रवेश पत्र जारी करने का काम शुरू होने वाला है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को अप्रशिक्षितों को बहाल करने की अनुमति 2015 तक के लिए दे दी है। राज्य में वर्ष 2007 से शिक्षकों की बहाली नहीं हुई है। राज्य सरकार फिलहाल तीन लाख शिक्षकों को बहाल करने को लेकर परीक्षा ले रही है जिसमें प्रशिक्षित व अप्रशिक्षित दोनों तरह के अभ्यर्थी हैं। अप्रशिक्षितों को बहाल किये जाने को न्यायालय में चुनौती दी गयी है। राज्य सरकार ने 11 फरवरी को केंद्र को पत्र लिखकर कहा था कि उसे तीन लाख शिक्षकों की बहाली करनी है। इतनी संख्या में उसके पास प्रशिक्षित नहीं है और न ही प्रशिक्षण के लिए संस्था हैं। उसे अप्रशिक्षितों को भी बहाल करने की अनुमति दे दी जाय। इसके बाद उसने 20 मई को शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए विज्ञापन निकाला था। याचिकाकर्ता नुजहत इकबाल की तरफ से वरीय अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद सिंह एवं निरंजन कुमार ने न्यायालय से कहा है कि राज्य में वर्तमान समय में डेढ़ लाख से ज्यादा प्रशिक्षित शिक्षक हैं और सरकार ने यह भी नहीं बताया कि वह कितने शिक्षकों को बहाल करना चाहती है। उस स्थिति में सरकार से कहा जाय कि वह सिर्फ प्रशिक्षितों को ही शिक्षक पद पर बहाल करे और दिसम्बर में होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा में सिर्फ प्रशिक्षितों को ही परीक्षा देने की अनुमति दे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने खुद नागेर ओझा मामले में सर्वोच्च न्यायालय से कहा है कि वह शिक्षक पद पर प्रशिक्षितों को ही बहाल करेगी। ऐसा कानून भी है लेकिन राज्य सरकार इसका पालन नहीं कर रही है। प्रशिक्षितों को बहाल करने संबंधी वर्ष 2002 के आदेश का अभी तक पालन नहीं किया गया है और सर्वोच्च न्यायालय के कहने के बावजूद अभी तक 34 हजार प्रशिक्षितों की बहाली शिक्षक पद नहीं हो पायी है। इसके बाद से कई शिक्षक अवकाश भी ग्रहण कर चुके हैं। राज्य सरकार के संस्थान एवं गैर सरकारी संस्थान प्रति वर्ष 12 सौ छात्रों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। राज्य के ही कई छात्र दूसरे राज्यों से प्रशिक्षित हो रहे हैं। सरकारी आंकड़े को ही मान लिया जाय तो बिहार में वर्ष 2002 से अबतक 1.30 लाख छात्र प्रशिक्षित हो चुके हैं। इस आधार पर सरकार कैसे कह रही है कि उसके पास शिक्षक पद पर बहाली के लिए प्रशिक्षित अभ्यर्थी नहीं है। उसने केंद्र सरकार के समक्ष झूठ बोलकर अप्रशिक्षितों को शिक्षक पद पर बहाल करने की अनुमति ले ली है। राज्य सरकार से इस बारे में पूछा जाय और उसे पहले प्रशिक्षितों को ही शिक्षक पद पर बहाल करने को कहा जाय(राष्ट्रीय सहारा,पटना,19.11.11)।

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