मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

02 नवंबर 2011

निजी प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों पर टेढ़ी होगी नजर

केंद्र सरकार की पहल के बाद निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डाक्टरों पर राज्य सरकारों की नजर होगी और उन डाक्टरों पर गाज भी गिरेगी जो निजी प्रैक्टिस न करने का भत्ता भी ले रहे है और चोरी-चुपके मरीजों को भी देख रहे हैं। पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद की इस टिप्पणी के बाद, कि दिल्ली को छोड़ कर देशभर में सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कालेजों के डाक्टर निजी प्रैक्टिस में इतने ज्यादा व्यस्त है कि उन्हें मरीजों के लिए समय ही नहीं है। इससे अस्पतालों का बुरा हाल है। उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि निजी प्रैक्टिस पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। एक विशेष मुलाकात के दौरान स्वास्थ्य मंत्री आजाद ने बताया कि यदि स्वास्थ्य मंत्रालय की नियंतण्रमें होता तो पूरे देश में निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगा होता, मगर यह काम राज्य सरकारों का है और अफसोस कि बार-बार लिखने के बाद भी राज्यों में खुलेआम निजी प्रैक्टिस हो रही है। कुछ बड़े शहरों में तो हालत यह है कि डाक्टरों के सरकारी बंगलों में मरीजों की लंबी-लंबी कतारे लगती हैं और सरकारी अस्पतालों में जब इन डाक्टरों का टर्न होता है तो सन्नाटा पसरा रहता है क्योंकि वहां पर जिस डाक्टर की नेम प्लेट टंगी होती है, उनकी जगह उनका कोई जूनियर मरीज देख रहा होता है। इसके चलते बड़े शहरों में अस्पतालों का ही नहीं बल्कि मेडिकल कालेजों की स्थिति खराब हो रही है क्योंकि यहां पढ़ने वाले छात्रों को भी प्रोफेसर-डाक्टर इसलिए ज्यादा समय नहीं दे पाते क्योंकि उन्हें अपने रुटीन काम में ही कम से कम चार घंटे (सुबह-शाम) का समय घर पर आने वाले मरीजों को देना पड़ता है और उसके बदले में मरीजों से ली जाती है लंबी-चौड़ी फीस। उल्लेखनीय है कि किसी जमाने में दिल्ली में भी निजी प्रैक्टिस होती थी मगर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था और विरोध होने पर सरकार ने तय कर दिया था निजी प्रैक्टिस न करने के एवज में डाक्टरों को उनके मूल वेतन का 25 फीसद अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। मगर यह भुगतान लेने के बाद भी यदि कोई सरकारी डाक्टर निजी प्रैक्टिस करते हुए पकड़ा गया तो उसके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकार दिल्ली में तो निजी प्रैक्टिस बंद हो गई मगर कई राज्य ऐसे भी है जहां पर निजी प्रैक्टिस भत्ता लेने के बाद भी डाक्टर निजी प्रैक्टिस कर रहे है और उसके बदले में कुछ अंश वे अपने वरिष्ठ व प्रशासनिक अधिकारियों को दे रहे हैं(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,2.11.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।