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15 नवंबर 2011

मध्यप्रदेशःस्कूलों में गीता ज्ञान को लेकर शुरू हुई ‘महाभारत’

स्कूलों में बच्चों को भागवत गीता का ज्ञान हर हाल में देने के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऐलान के बाद इस मामले को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। हिंदू धर्म के आचार्यो ने मुख्यमंत्री के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि गीता सार्वभौमिक ग्रंथ है, इसका बच्चों को ज्ञान देने पर किसी को आपत्ति नहीं होना चाहिए।

वहीं, ईसाई व मुस्लिम संप्रदायों के धर्म प्रमुखों का कहना है कि प्रदेश के स्कूलों में सभी धर्मो के बच्चे पढ़ते हैं, जिन्हें किसी एक धर्म के ग्रंथ का ज्ञान देना या पूजा पद्धति सिखाना उचित नहीं है। कुछ प्राइवेट स्कूलों की भी यही राय है। इधर सरकार ने गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव राय के लिए विधि विभाग को भेज दिया है।


श्री चौहान ने रविवार को इंदौर के सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान में दिए भाषण में कहा था कि गीता कोई साम्प्रदायिक ग्रंथ नहीं है। कर्म करो फल की चिंता मत करो, इस वाक्य में कौन सी सांप्रदायिकता है? अगर इससे किसी को तकलीफ होती है तो होती रहे। सीएम के इस बयान के बाद एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। करीब 5 माह पहले भी मुख्यमंत्री ने स्कूलों में गीता पढ़ाने की बात कही थी। स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग ने 12 वीं तक की कक्षा के लिए गीता के पाठ पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार कर परीक्षण के लिए विधि विभाग को भेजा है।

मामला हाईकोर्ट में

स्कूलों में गीता का सार पढ़ाए जाने के फैसले को बिशप काउंसिल ने हाईकोर्ट जबलपुर में चुनौती दी है। याचिका में काउंसिल ने कहा था कि स्कूलों में धर्म विशेष के ग्रंथ को शामिल किया जाता है तो अन्य धर्मो के ग्रंथों को भी पढ़ाया जाए। 

बताया जाता है कि सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया था कि गीता धर्मग्रंथ नहीं बल्कि जीवन का सार है, लिहाजा पहले उसका अध्ययन किया जाए। इसके बाद प्रकरण की सुनवाई अनिश्चित अवधि के लिए बढ़ा दी गई। काउंसिल की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट राजेश चंड के अनुसार अब वे फिर से हाईकोर्ट में यह तथ्य प्रस्तुत कर साबित करेंगे कि गीता में कही गईं बातें एक धर्म विशेष को ध्यान में रख कर कही गई हैं(दैनिक भास्कर,भोपाल,15.11.11)।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल नहीं पढ़ाया जाना चाहिए यह…धर्म को एकदम स्वतंत्र मामला होना चाहिए…

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  2. भगवद्गीता मनुष्य की अस्मिता का विज्ञान है यह धर्म को यथार्थ रूप से सुस्पष्ट करने वाला ग्रन्थ है. इसका प्रत्येक शब्द भौतिक शास्त्र के नियमों पर खरा उतरता है. यह आने वाले युग की जेनेटिक्स का आधार है. इस ग्रन्थ का किसी कौम से कोई सम्बन्ध नहीं है. यह ज्ञान विज्ञान एवम तर्क शास्त्र पर आधरित ग्रन्थ है.
    ऐसे अमूल्य मानव जाती की धरोहर पर राजनैतिक और तथाकथित धार्मिक विवाद करना निंदनीय है.
    कृपया नाम पर न जाएँ, केवल भगवद्गीता एक बार पढ़ लें फिर कुछ भी गलत लगे तो विवाद करें. आपके प्रत्येक प्रश्न और शक शंका समाधान के लिए मैं सदेव तत्पर हूँ.

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