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01 नवंबर 2011

पुरातत्व में करिअर

पुरातत्वविद की मांग सरकारी से लेकर आजकल निजी क्षेत्रों में भी खूब है। कॉरपोरेट हाउस में रिकॉर्डस के रखरखाव और संरक्षण के लिए विशेषज्ञ रखे जा रहे हैं। एएसआई में पुरातत्वविद के पदों के लिए यूपीएससी हर वर्ष परीक्षा आयोजित करता है

सैकड़ों पुरानी इमारतें हो या उन पर चकित कर देने वाली कलाकृतियां, दरख्तों के बीच झांकती सीढ़ियां हों या हरे-भरे खूबसूरत लैंडस्केप। ये नजारे हर किसी को एकबारगी अपने अतीत की ओर ले जाते हैं। भारत में इस तरह की दृश्यावलियां कोने-कोने में पसरी पड़ी हैं। चारों तरफ फैली सांस्कृतिक धरोहरों और पुरातात्विक संसाधनों का व्यवस्थित लेखा-जोखा और उनके प्रबंधन का काम आसान नहीं है। इसके लिए हुनरमंद व पेशेवर लोगों की जरूरत पड़ती है। इन जरूरतों ने ही पुरातत्व विभाग में अलग से करियर पैदा किया है। अतीत की विरासत को संरक्षित रखने के प्रति इस लगाव के कारण बहुत सारे युवा इस ओर ख्ंिाचे चले आ रहे हैं। ये पुरातत्वविद के रूप में आर्किटेक्चर्स मॉन्यूमेंट्स, शिलालेख, मुहर, बर्तन, औजार जैसे तमाम छोटे-बड़े साक्ष्य का अध्ययन करते हैं और वैज्ञानिक छानबीन कर तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचना ही इनका मुख्य मकसद है। पुरातत्व में न्यूमिस्मैटिक्स, इपिग्राफी, आर्काइव्स और म्यूजियोलॉजी आदि मुख्य शाखाएं हैं। खास बात यह कि यह फील्ड मल्टी-डिसिप्लिनरी क्षेत्र है, जिसमें मानव विज्ञान, समाजशास्त्र, आर्किटेक्चर, पोलियोजि योलॉजी, पोलियो बॉटनी, स्ट्रक्चरल कंजव्रेशन ऑफ मैनेजमेंट ऑफ मॉन्यूमेंट्स, हेरिटेज मैनेजमेंट, अंडरवाटर आर्कियोलॉजी आदि विषयों के भी जानकार होते हैं।

योग्यता


प्राचीन व मध्यकालीन इतिहास, आर्कियोलॉजी, एंथोपोलॉजी, जियोलॉजी विषयों में से किसी विषय में मास्टर डिग्री वाले छात्र पुरातत्व विभाग में अपना करियर बना सकते हैं। एक और बात यह कि एक बेहतरीन पुरातत्वविद अथवा म्यूजियम प्रोफेशनल्स बनने के लिए कुछ क्लासिकल भाषा जैसे पाली, संस्कृत, प्राकृत, अरेबियन, परसियन भाषाओं में से किसी एक की जानकारी कामयाबी की राह पर आगे ले जा सकती है। अगर हेरिटेज कंजर्वेशन के क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो आपके पास सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक अथवा आर्किटेक्चर कंजव्रेशन में बैचलर्स डिग्री होना जरूरी है। इसके अलावा, पुरातत्व में आनेवाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों केमिस्ट प्लस रिस्टोरर के पदों के लिए रसायनशास्त्र में एमएससी की डिग्री जरूरी है। इस क्षेत्र में खुदाई की विधियों, डॉक्यूमेंटेशन और आर्कियोलॉजिकल रिसर्च की कार्यपद्धतियों को अहम माना जाता है।

कोर्स

पुरातत्व विभाग में जुड़े रेगुलर कोर्स में पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल व पीएचडी देश के अलग अलग विविद्यालयों में संचालित किए जा रहे हैं। हालांकि हेरिटेज मैनेजमेंट औ र आर्किटेक्चरल कंजवर्े शन से जुड़े कोर्स गिने-चु ने संस्थानों में ही पढ़ाए जा रहे हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग में दो साल का डिप्लोमा कोर्स कराया जाता है। इसमें प्रवे श परीक्षा के आधार पर दाखिला दिया जाता है। यहां कुछ शॉर्ट टर्म को र्स भी चल रहे हैं। इसी तरह आईपी यूनिवर्सिटी से संबद्ध संस्थान में पुरातत्व और हेरिटेज मै नेजमेंट में दो वर्षीय मास्टर कोर्स कराया जा रहा है। कई संस्थानों में डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा के अलावा डिप्लोमा इन आर्काइव्स कीपिंग और पीजी डिप्लोमा इन म्यूजियोलॉ जी जैसे को र्स लोकप्रिय हो रहे हैं।

नौकरी

पुरातत्वविद की मांग सरकारी से लेकर आजकल निजी क्षेत्रों में भी खू ब है। कॉरपोरेट हाउस में रिकॉर्डस के रखरखाव और संरक्षण के लिए विशेषज्ञ रखे जा रहे हैं। एएसआई में पुरातत्वविद के पदों के लिए यूपीएससी हर वर्ष परीक्षा आयोजित करता है। इसी तरह राज्यों के पुरातत्व विभाग में सहायक पुरातत्वविद रखे जाते हैं । कई जगह सहायक अधीक्षण पुरालेखवेत्ता रखे जाते हैं। इसके लिए प्राचीन भारतीय इतिहास सहित संस्कृत-पाली में मास्टर डिग्री सहित पांच साल का अनुभव होना जरूरी है। यूजीसी की नेट परीक्षा पास करने के बाद कॉलेजों में प्राचीन इतिहास या पुरातत्व की पढ़ाई के लिए सहायक प्रोफेसर के रूप में रखा जाता है। इसमें रुचि रखने वाले के लिए एक बड़ा और बेहतर अवसर लेकर अंतर्जलीय पुरातत्व भी लेकर आया है ।

विशेषज्ञ की राय

दिल्ली विविद्यालय में इतिहास विभाग के अध्यक्ष व प्राचीन इतिहास के विशेषज्ञ प्रो. आर सी ठकरान कहते हैं, प्राचीन संस्कृति और इतिहास के प्रति भारत में जागरूकता बढ़ी है। आज पर्यटकों के बीच प्राचीन कला, इतिहास व संस्कृति को संजोकर कैसे रखा जाए, इसको लेकर सरकार और निजी स्तर पर कई प्रयास शुरू हुए है। इसके लिए विशेषज्ञ और संजोकर रखने का हुनर आना जरूरी है। रोजगार के बाजार में इस लिहाज से ऐसे लोगों की खासी जरूरत पड़ रही है ।

वेतन

इस क्षेत्र में आने पर न्यूनतम सैलरी 24 हजार रुपये हैं। निजी क्षेत्रो में यह वेतनमान 35 से 40 हजार रुपये हैं। कॉलेजों में अध्यापन में सैलरी 40 हजार से ऊपर से शुरू होती है।

संस्थान

इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी, दिल्ली कुरुक्षेत्र विविद्यालय, कुरुक्षेत्र पंजाब विविद्यालय, पंजाब गुरुकुल कांगड़ी विविद्यालय, हरिद्वार दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट, नई दिल्ली बनारस हिन्दू विविद्यालय, वाराणसी, छत्रपति साहू जी महाराज विविद्यालय, कानपुर हरिसिंह गौर विविद्यालय, सागर

(अनुपम,राष्ट्रीय सहारा,1.11.11)

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