बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी ने पीएचडी के एंट्रेंस टेस्ट का खाका तैयार कर लिया है। अगले साल से शुरू होने वाला यह टेस्ट सौ नंबरों का होगा। इसमें सौ प्रश्न पूछे जाएंगे। बीयू द्वारा तैयार इस प्रस्ताव को राजभवन भेजा जा रहा है, जिसे मंजूरी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा।
बीयू कार्यपरिषद ने पिछले सप्ताह पीएचडी के लिए यूजीसी के नए नियमों को लागू करने की मंजूरी दी थी। यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक अक्टूबर 2009 के बाद छात्रों को पीएचडी की मंजूरी देने से पहले यूनिवर्सिटी स्तर पर एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करना होगा।
ऐसे होगा एंट्रेंस टेस्ट : बीयू के परीक्षा विभाग द्वारा यूनिवर्सिटी में रजिस्टर्ड सभी पीएचडी गाइड से उनके पास उपलब्ध खाली सीटों के बारे में जानकारी ली जाएगी। अब तक एक पीएचडी गाइड छह छात्रों को पीएचडी करा सकता है, लेकिन नए नियमों के मुताबिक यह संख्या बढ़कर आठ हो जाएगी।
जानकारी एकत्रित करने के बाद जून में खाली सीटों के लिए विषयवार विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा। इसके आधार पर छात्र आवेदन कर सकेंगे। इसके बाद यूनिवर्सिटी उसका लिखित टेस्ट लेगी। इसमें सौ वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे।
टेस्ट, छात्र द्वारा दी गई पीजी की परीक्षा के सिलेबस पर आधारित होगा। इस आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। इसके बाद छात्रों के इंटरव्यू होंगे। इसमें सफल होने पर छात्रों को आरडीसी में बैठने की अनुमति दी जाएगी।
इसके बाद छात्र को छह महीने का सेमेस्टर वर्क करना होगा और टेस्ट पास करने होंगे। जिसके बाद छात्र रिसर्च शुरू कर सकेगा। रिसर्च थीसिस जमा करने के पहले छात्र को ग्रुप प्रजेंटेशन देना होगा, साथ ही कम से किसी रिसर्च स्कॉलर में कम से कम एक रिसर्च पेपर प्रकाशित कराना जरूरी होगा। इसके बाद यूनिवर्सिटी से पीएचडी अवॉर्ड हो जाएगी।
चुकानी होगी दोगुनी फीस : छात्रों के लिए पीएचडी करना आर्थिक रूप से महंगा पड़ेगा। बीयू प्रशासन रजिस्ट्रेशन फीस से लेकर बाकी सारी फीस दोगुनी करने पर विचार कर रहा है। साथ ही लंबी प्रक्रिया के चलते भी पीएचडी हासिल करना महंगा हो जाएगा(अभिषेक दुबे,दैनिक भास्कर,भोपाल,13.12.11)।
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