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13 दिसंबर 2011

महाराष्ट्रःछात्राओं को 30 फीसदी आरक्षण!

उच्च शिक्षा में लड़कियों की घटती संख्या से चिंतित राज्य सरकार अब जूनियर कालेज की प्रवेश प्रक्रिया में छात्राओं के लिए 30 प्रतिशत कोटा निर्धारित करने की तैयारी कर रही है। छात्राओं के लिए आरक्षण नीति का प्रस्ताव उच्च शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को भेज दिया है। अमूमन पाया गया है कि माता-पिता बेटियों को स्कूल भेजने से कतराते हैं। किसी तरह लड़कियां दसवीं तक पढ़ाई कर भी लें तो उच्च शिक्षा में उनकी संख्या घटती जाती है। खासकर ग्रामीण इलाकों में यह समस्या अधिक देखी जाती है। पिछले कुछ सालों का आकलन करें तो लड़कियां दसवीं कक्षा में लड़कों से बाजी मारती रही हैं। पर इसके आगे की पढ़ाई पर गौर करें तो लड़कियों का पढ़ाई छोड़ने का प्रतिशत अधिक है। ग्रामीण इलाकों में घर से कालेज दूर होने के कारण सुरक्षा के लिहाज से माता-पिता बेटियों को स्कूल भेजने से कतराते हैं।

इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने नजदीकी जूनियर कालेजों में लड़कियां को प्रवेश में 30 प्रतिशत कोटा देने का प्रस्ताव तैयार किया है। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री फौजिया खान के मुताबिक प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेजा जा चुका है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह कोटा सभी 75,000 जूनियर कालेजों में अमल में लाया जाएगा। छात्राओं की प्रस्तावित आरक्षण नीति का कई सामाजिक संगठनों व अभिभावकों ने स्वागत किया है। एसोसिएशन आफ नान-गवर्नमेंट कालेज (एनजीसी) के अध्यक्ष व हिंदुजा कालेज के प्रधानाचार्य डा. टीए शिवारे के अनुसार प्रस्तावित आरक्षण नीति स्वागत योग्य है।


जिसका फायदा निश्चित तौर पर ग्रामीण इलाकों की छात्राओं को मिलेगा। न केवल नजदीकी कालेज में उनका प्रवेश सुरक्षित होगा, बल्कि वे आगे की पढ़ाई के लिए भी प्रोत्साहित होंगी। रूईया कालेज के प्रधानाचार्य सुहास पेडणोकर के मुताबिक छात्राओं की आरक्षण नीति को जल्द से जल्द अमल में लाना चाहिए। 

छात्राओं के पढ़ाई छोड़ने के प्रमाण को देखते हुए आरक्षण नीति सफल साबित होगी। खासकर ग्रामीण इलाकों में इसके फायदे कुछ साल बाद नजर आने लगेंगे(दैनिक भास्कर,मुंबई,13.12.11)।

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