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14 दिसंबर 2011

मध्यप्रदेशःटीआई से लेकर विधायक तक का काफिला, स्कूल में दिला दो दाखिला!

राजधानी के स्कूलों में बच्चों के दाखिले के लिए अभिभावक एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। पसंद के स्कूल में एडमिशन के लिए वे राजनेताओं से लेकर अफसरों तक की सिफारिशों का सहारा भी ले रहे हैं।

स्कूल संचालक भी स्वीकार रहे हैं कि उनके पास क्षेत्र के टीआई से लेकर पार्षद तक की सिफारिशों का अंबार लग रहा है। उनकी परेशानी यह है कि आखिर वे किस-किस की बात मानें?

शहर के अधिकतर स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। कार्मल कॉन्वेंट व सेंट जेवियर सहित कुछ अन्य स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया तो पूरी हो गई, लेकिन सूची जारी नहीं हुई है। कुछ स्कूलों में जनवरी के तीसरे सप्ताह तक प्रवेश प्रक्रिया चलेगी। भास्कर ने कुछ प्रमुख स्कूलों के संचालकों व प्राचार्यो से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने भी स्वीकारा कि सीटों की तुलना में आवेदनों की संख्या कई गुना ज्यादा है। यही कारण है कि उनके पास आने वाली सिफारिशों की संख्या भी बहुत अधिक हो गई है।


हर किसी की बात सुननी पड़ती है

अरेरा कॉलोनी स्थित सेंट जोसफ को-एड स्कूल के प्राचार्य फादर डॉ. जॉनी पीजे कहते हैं कि उन्हें हर व्यक्ति की बात सुननी पड़ती है। हालांकि कुछ प्राचार्य कहते हैं कि ऐसे में उन अभिभावकों के सामने दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं, जिनके बच्चे पात्र होते हुए भी दाखिले से वंचित रह जाते हैं। 

कार्मल कॉन्वेंट स्कूल की प्राचार्य सिस्टर रेजी सवाल उठाती है कि वे सिफारिशें मानें या शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों के लिए 25 फीसदी रिजर्वेशन लागू करें। आईपीएस के प्राचार्य पीएस कालरा का कहना है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल सिफारिशों से नहीं बच सकता।

इन सबकी सिफारिशें

सेंट जेवियर स्कूल के प्राचार्य फादर फ्रांसिस ने बताया कि एडमिशन प्रक्रिया पूरी होते ही सिफारिशों का दौर शुरू हो जाता है। एडमिशन के लिए क्षेत्रीय पार्षद, विधायक, मेयर, मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी, पुलिस अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री सचिवालय तक की सिफारिशें आईं। तुलसी नगर स्थित सेंट मेरी हायर सेकंडरी स्कूल की प्राचार्य सिस्टर मेरी ने बताया कि सबसे ज्यादा सिफारिशें पुलिस अफसरों की ओर से आ रही हैं।

एडमिशन की लिस्ट लगते ही सिफारिशों का दौर शुरू हो जाता है, क्योंकि जिन बच्चों का लिस्ट में नाम नहीं होता, उनके अभिभावक प्रयास करते हैं कि किसी तरह उन्हें दाखिला मिल जाए। 

- सिस्टर मेरी के अनुसार

कई अभिभावक अभी भी अनजान

पंजाबी बाग में रहने वाले जीपी श्रीवास्तव, साकेत नगर में रहने वाले सुरेंद्र सिंह ठाकुर ऐसे अभिभावक हैं, जो फिलहाल स्कूलों की ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया से अनजान हैं। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि वे पूर्व में जवाहर स्कूल आए थे, तब उन्हें जानकारी नहीं मिल सकी थी। मंगलवार को आए तो पता चला कि एडमिशन प्रक्रिया पूरी हो गई है। अब वे किसी दूसरे स्कूल में अपने बच्चे के दाखिले के लिए संपर्क करेंगे।

स्कूलों में सिफारिशी खतों की भरमार

- राजधानी के एक विधायक ने भेल क्षेत्र के एक मिशनरी स्कूल में अपने कार्यकर्ता के बच्चे को एडमिशन देने के लिए पत्र लिखा है। 

- अरेरा कॉलोनी स्थित एक मिशनरी स्कूल में केंद्र सरकार के बड़े महकमे से केजी वन कक्षा में एडमिशन संबंधी सिफारिशी पत्र आया है। 

- भेल क्षेत्र के मिशनरी स्कूलों में चार दर्जन सिफारिशी पत्र आए हैं। इनमें मुख्यमंत्री सचिवालय, नगरीय प्रशासन मंत्री, महापौर समेत कुछ विधायकों की चिट्ठियां शामिल हैं। 

सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के कारण बनी यह हालत

प्राइवेट, खासकर मिशनरी स्कूलों में एडमिशन के लिए सिफारिशें सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के कमजोर स्तर के कारण की जा रही हैं। सरकारी स्कूलों मंे शिक्षक अच्छे हैं परंतु वे अपेक्षानुसार नहीं पढ़ाते हैं। वहीं, प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ाया जाता है(अनुराग शर्मा, दैनिक भास्कर,भोपाल,14.12.11)।

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