मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

12 दिसंबर 2011

उत्तराखंडःसंविदा प्रवक्ताओं को लगा झटका

राज्य के राजकीय डिग्री कॉलेजों में वर्षो से संविदा प्रवक्ताओं के रूप में काम कर रहे शिक्षकों को तदर्थ नियुक्ति देने का मामला पहले ही लटका हुआ था, अब आयु में छूट भी मिली तो भी शायद ही कोई संविदा प्रवक्ता नियमावली के तहत आवेदन कर पाए। डिग्री कॉलेजों में प्रवक्ताओं की नियुक्ति के लिए शासन ने जो नियमावली राज्य लोक सेवा आयोग को भेजी है, उसके तहत केवल नेट व यूजीसी रेगुलेशन एक्ट-09 के तहत पीएचडी करने वाले ही अर्ह होंगे। ऐसे में संविदा प्रवक्ता अगर पुराने मानकों के तहत की गई पीएचडी के आधार पर आवेदन करते हैं भी तो वे स्वत: ही रद्द हो जाएंगे। राज्य के पीएचडी धारकों के साथ ही नियमित होने का ख्वाब देख रहे संविदा प्रवक्ताओं को भी शासन ने करारा झटका दे दिया है। राज्य के राजकीय डिग्री कॉलेजों में लगभग 550 संविदा प्रवक्ता तैनात है। दो माह से ये तमाम प्रवक्ता तदर्थीकरण की मांग को लेकर सड़कों पर थे। राज्य सरकार ने इस मामले में संविदा प्रवक्ताओं को आयु में छूट देने की बात कही थी, लेकिन अब राज्य लोक सेवा ने नियक्ति के लिए जो मानक जारी किए हैं, उनके अनुसार शायद ही कोई संविदा प्रवक्ता आवेदन कर सके। शासन द्वारा आयोग को भेजे गए नियमों के तहत केवल नेट क्वालीफाई अभ्यर्थी ही आवेदन कर सकते हैं, हालांकि यूजीसी रेगुलेशन अधिनियम-09 के तहत पीएचडी करने वालों को छूट दी गई है। सवाल वही है कि वर्षो से डिग्री कॉलेजों में पढ़ा रहे अधिकांश संविदा प्रवक्ता नेट पास नहीं हैं और उनकी पीएचडी भी पुराने मानकों के अनुसार है। ऐसे में आयु में छूट किस काम की। बात तदर्थीकरण की करें तो उस पर ही यही नियमावली लागू होगी। स्पष्ट है कि पुराने मानकों पर पीएचडी मान्य नहीं होगी और तदर्थीकरण का ख्वाब अधूरा ही रहेगा। इस मामले में राजकीय महाविद्यालय संविदा प्रवक्ता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. डीसी बेबनी का कहना है कि राज्य सरकार उनके साथ ही नहीं राज्य के युवाओं के साथ भी छलावा कर रही है। अन्य राज्य जहां 2009 तक पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वाले सभी अभ्यर्थियों को अर्ह मान रहे हैं, वहीं उत्तराखंड में शासनादेश होने के बाद इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि इस छलावे का जवाब राज्य के युवा व संविदा प्रवक्ता सरकार को देंगे। उधर, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. डीपी जोशी पहले ही कह चुके हैं कि नियम उत्तराखंड शासन ने तय किए हैं, आयोग इनके अनुसार ही नियुक्ति करेगा(दैनिक जागरण,देहरादून,12.12.11)।

1 टिप्पणी:

  1. यह तो सरासर ना इंसाफी है| आखिर पी. एच. डी. तो पुराने लोगों ने भी की है|

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।