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05 दिसंबर 2011

संस्कृत की स्वरलहरियों पर तहजीब की हिलोरें

देश में भाषा के नाम पर घृणा व उन्माद फैलाने वालों को,बिहार के अरवल जिले का श्री राम संस्कृत कालेज सरौती आइना दिखा रहा है। इस संस्था में संस्कृत की स्वलहरियों पर गंगा-जमुनी तहजीब हिलोरें ले रही है। यहां हिन्दू छात्रों के बीच दर्जनों मुस्लिम छात्र भी संस्कृत की संस्कारिता शिक्षा पाकर धन्य हो रहे हैं। यहां जब हिन्दु-मुस्लिम छात्र एक साथ संस्कृत के स्लोकों का पाठ पढ़ते हैं तो लोगों को सुखद अनुभूति होती है। कालेज प्रबंधन भी इन मुस्लिम छात्रों को उनके शिक्षण कार्य में सहयोग करता है। यहां पूर्व में भी दर्जनों मुसलमान छात्र उप शास्त्री व शास्त्री की डिग्री ले चुके हैं। आकिब जावेद, शमीम अख्तर, एनामुल हक व तैयब हुसैन सरीखे छात्र बताते हैं कि कि संस्कृत सीखकर उन्हें काफी संतोष मिल रहा है। अगर संभव हुआ तो वे इसमें अपना कैरियर भी बनाएंगे। छात्रों का कहना है कि किसी भाषा को किसी समुदाय की परिधि तक सीमित नहीं रखा जा सकता। भाषा तो एक सेतु है, जो विभिन्न संप्रदाय से लेकर विश्र्व के विभिन्न स्थलों की दूरी को खत्म कर देता है। यहां परवेज आलम, फरहाना खातून सहित दर्जन भर छात्र-छात्राएं सरौती संस्कृत कालेज में संस्कृत शिक्षा परंपरा के मजबूत संवाहक बने हैं। उल्लेखनीय है कि कालेज में संस्थापक व तत्कालीन महान संत व संस्कृत के महान विद्वान स्वामी परंकुशाचार्य जी महाराज ने संस्था के स्थापना उद्देश्य में ही कालेज को सभी प्रकार की संकुचित बंधनो से परे रखा था। आज संस्था के वर्तमान प्रमुख स्वामी रंगरामानुजाचार्यजी महाराज अपने गुरु द्वारा स्थापित परंपरा को व्यापकता प्रदान करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। आज हुलासगंज तथा सरौती में ब्रांाणों के साथ दलित वर्ग के विद्यार्थी भी समान गरिमा व सम्मान के साथ संस्कृत की शिक्षा लेकर अपने को धन्य पा रहे हैं। राजनीति तथा सामाजिक क्षेत्रों के स्थापित लोग इसे राष्ट्रीय तथा सामाजिक एकता के लिहाज से बेहतरीन संस्थागत प्रयास मान रहे हैं। कालेज के प्राचार्य डा. सर्वानंद शर्मा भारद्वाज ने बताया कि कामेश्र्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्र्व विद्यालय से संबद्धता प्राप्त उनके कालेज में संस्कृत शिक्षा के लिए प्रतिवर्ष मुसलमान छात्रों का रुझान क्रमश: बढ़ रहा है, यह संस्कृत शिक्षा के हालिया स्थिति के लिहाज से काफी प्रेरक है। फिलहाल कालेज में शास्त्री व उपशास्त्री के लगभग चार सौ छात्र अध्ययनरत हैं(मृत्युंजय/मनिन्द्र,दैनिक जागरण,जहानाबाद,5.12.11)।

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