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13 दिसंबर 2011

दिल्लीःबहुत पुराना है शिक्षा से नाता

शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली में जो 100 सालों में घटा उसकी शुरुआत ही बेहद रोचक थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी बनने के पहले ही कॉलेज अस्तित्व में आ चुके थे। दिल्ली विश्वविद्यालय की शुरुआत 1922 में ओल्ड सेक्रेटेरिएट से हुई। उसके साथ जुड़े थे तीन कॉलेज-सेंट स्टीफं स, हिन्दू कॉलेज और रामजस कॉलेज। तीनों ही कॉलेज विश्वविद्यालय के शुरू होने से पहले से दिल्ली में शिक्षण कार्य में जुटे थे। सेंट स्टीफंस कॉलेज की शुरुआत 1881 और हिन्दू कॉलेज 1899 में अस्तित्व में आया। जबकि, रामजस कॉलेज की शुरुआत डीयू से चंद वर्ष पहले 1917 में शुरू हुई।

कॉलेजों की कहानी

कॉलेजों के विश्वविद्यालय से पुराने होने की कहानी में एक ओर ऐसा नाम है जिसे भुलाया नहीं जा सकता है और वह है दिल्ली ओरिएंटल कॉलेज, यानी जाकिर हुसैन कॉलेज। मुगलकालीन शासक औरंगजेब के शासनकाल में मदरसे के तौर पर शुरू हुए इस कॉलेज को 1823 में दिल्ली ओरिएंटल कॉलेज के तौर पर पहचान मिली, लेकिन इस पहचान के साथ वह ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह पाया और 1857 में इसे बंद कर दिया गया। इसके बाद यह कॉलेज लाहौर चला गया। 1925 में कॉलेज दिल्ली विश्वद्यिालय से जुड़ा और 1929 में इसे डिग्री कॉलेज के तौर पर पहचान मिली। 1948 में दिल्ली कॉलेज के तौर पर इसे नई पहचान मिली और 1975 में इसका नाम जाकिर हुसैन कॉलेज पड़ा, अब यह दिल्ली विश्वविद्यालय का हिस्सा है। इस तरह धीरे-धीरे राजधानी के अन्य हिस्सों में कॉलेज बनते गए और डीयू का हिस्सा बनते चलते गए आज इनकी संख्या 77 तक पहुंच गई है। 


विश्वविद्यालय की जमीन 
डीयू की जमीनी हकीकत पर नजर डालें तो इसकी शुरुआत 1922 में पुराने सचिवालय में हुई थी। यहीं 23 मार्च 1923 को इसका पहला दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। डीयू के पहले कुलपति थे हरी सिंह गौर। विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति अब्दुल रहमान के दौर में यह अक्तूबर 1933 में वाइस रीगल लॉज पहुंची, जहां कभी वॉयसराय लॉर्ड हार्डिग रहा करते थे। यहीं यूनिवर्सिटी का ऑफिस, लाइब्रेरी पहुंच। तब से लेकर आज तक विश्वविद्यालय का प्रबंधन वहीं से चल रहा है। हालांकि, दक्षिणी दिल्ली के छात्रों की सहूलियत के लिए दक्षिणी परिसर की जरूरत को समझते हुए इसकी स्थापना 1973 में हुई। यहां शुरुआत हुई कुछ पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की जो आर्ट्स फैकल्टी के कुछ विभागों व सोशल साइंसेस से जुड़े थे। किराये के भवन में शुरू हुए सॉउथ कैम्पस को धोला कुआं में जगह मिली जहां यह 1983 में शुरू हो गया। भले ही सॉउथ कैम्पस दिल्ली विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर से दूर हो, लेकिन इसका प्रबंधन अभी कुलपति कार्यालय, यानि वाइस रीगल लॉज से ही होता है। 

पढ़ाई-लिखाई 
तीन कॉलेजों के साथ शुरू हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रांे की संख्या पहले 750 थी। तीन कॉलेज व दो फैकल्टी ऑर्ट्स व साइंस के साथ शुरू हुए विश्वविद्यालय में अक्तूबर 1933 में वाइस रीगल लॉज पहुंचा। इसके बाद 1942 में नॉर्थ कैम्पस पहुंचा पहला कॉलेज सेंट स्टीफंस और उसके पीछे-पीछे हिन्दू, रामजस और श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स ने भी यहां कदम रखे। बस इसके बाद और कॉलेज जुड़ते गए और आज यहां 16 फैकल्टी और करीब 86 विभाग के साथ 77 कॉलेज व 5 सम्बंद्ध इंस्टीट्यूट इसके दायरे में आते हैं। छात्रों की बात करें तो आज यहां करीब 1 लाख 35 हजार रेगुलर छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं और पत्राचार व नॉन कोलिजिएट छात्र-छात्राओं की बात करें तो इनकी संख्या तीन लाख के पार है।

1948 में बने सरकारी स्कूल 
100 साल पहले दिल्ली में स्कूली शिक्षा की बात करें तो पाठशाला तक सीमित ज्ञान को 1948 में आकर स्कूलों का रूप मिला। 1948 में सरकारी स्कूल अस्तित्व में आए और 1958 में नगर निगम के गठन के साथ ही प्राथमिक शिक्षा की जिम्मेदारी इसे दी गई। स्कूली शिक्षा को विस्तार मिला दिल्ली सरकार की ओर से शुरू किए गए माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के जरिये। सरकारी शिक्षा व्यवस्था के विस्तार के साथ-साथ निजी संस्थाओं, ट्रस्टों ने भी इस क्षेत्र में कदम बढ़ाए और प्राइवेट स्कूलों की शुरुआत भी सरकारी स्कूली व्यवस्था के साथ हो चली। आज राजधानी में 2000 से ज्यादा मान्यता प्राप्त निजी स्कूल हैं और गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या इससे कहीं ज्यादा पहुंच गई है। हर गली-मोहल्ले में दर्जनों स्कूल शिक्षण कार्य में जुटे हैं। सरकारी स्कूलों पर नजर डालें तो दिल्ली सरकार के तहत 950 स्कूल आते हैं जिनमें 15 लाख बच्चे को 40 हजार शिक्षक पढ़ा रहे हैं। इनमें ऐसे प्रतिभा विकास विद्यालय भी हैं जिन्हें निजी स्कूलों से टक्कर लेने के लिए और मेधावी छात्रों को बेहतर शिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने शुरू किया है। इसी तरह, नगर निगम के स्कूलों की संख्या 1729 पहुंच गई है, जिसमें 10 लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं और इनकी जिम्मेदारी 21 हजार शिक्षकों के कंधों पर है।

जामिया-जेएनयू ने बढ़ाया शिक्षा का दायरा
जामिया मिलिया इस्लामिया की शुरुआत 1920 में अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुई थी। 1925 में यह अलीगढ़ से दिल्ली के करोलबाग इलाके में पहुंचा और 1936 में जामिया नगर, ओखला स्थित अपने मौजूदा कैम्पस में पहुंच गया। जामिया के इतिहास पर नजर डालें तो 1962 डीम्ड यूनिवर्सिटी के तौर पर पहचान बनाने वाले जामिया को 1988 में केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला और 22 फरवरी 2011 में यह अल्पसंख्यक केन्द्रीय विश्वविद्यालय बना। विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, सोशल साइसेंस, नेचुरल साइसेंस से लेकर एजुकेशन व लॉ सम्बंधी पाठच्यक्रम उपलब्ध हैं, जिसमें 14-15 छात्र-छात्राओं को अध्ययन का अवसर उपलब्ध है। जामिया से परे दिल्ली के दक्षिणी कोने पर 1970 में एक रिसर्च यूनिवर्सिटी के तौर पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की शुरुआत हुई। जेएनयू ने चंद सालों में ही देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक अपनी ख्याति का डंका बजा दिया। लाल दुर्ग के तौर पर पहचाना जाने वाला जेएनयू कैम्पस करीब 11 सौ एकड़ में फैला है और भाषा ज्ञान से अनुसंधान के क्षेत्र में विशेषज्ञता के साथ-साथ अपनी छात्र राजनैतिक गतिविधियों, चर्चा व ढाबा कल्चर के लिए विश्वविख्यात है। यहां पर शिक्षण कार्य में जुटे छात्र-छात्राओं की संख्या पर नजर डालें तो यह करीब 7 हजार के आसपास है(शैलेन्द्र सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,12.12.11)।

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