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12 दिसंबर 2011

मेडिकल शिक्षा : सिब्बल-आजाद में विवाद खत्म

मेडिकल शिक्षा को लेकर पिछले दो वर्षो से मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच चल रही खींचतान समाप्त हो गई है और इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद की जीत हुई और मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को अपने कदम पीछे करने पड़े। राष्ट्रीय उच्च शिक्षा और अनुसंधान आयोग विधेयक से मेडिकल शिक्षा को बाहर कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि उक्त विधेयक को लेकर आजाद और सिब्बल आमने-सामने आ गए थे और कैबिनेट में भी इस विधेयक को लेकर विवाद हुआ था। इस लिए संसद के चालू सत्र में भी इस विधेयक को लेकर प्रधानमंत्री तक चर्चा हुई थी और सत्र से पहले ही इस विधेयक में संशोधन के संकेत मिल गए थे। इस आशय की खबर ‘राष्ट्रीय सहारा’ने सत्र से पहले ही प्रकाशित कर दी थी। शुक्रवार को उक्त विवाद उस समय समाप्त हो गया जब दोनों मंत्रालयों के बीच सहमति बन गई और अब स्वास्थ्य मंत्रालय मेडिकल शिक्षा को लेकर एक अलग से विधेयक पेश करेगा जिसमें मेडिकल, डेंटल नर्सिग, फाम्रेसी, भौतिक चिकित्सा सहित स्वास्थ्य से जुड़ी सभी तरह की शिक्षा एक राष्ट्रीय आयोग के दायरे में आ जाएंगी और उसके अधीन मेडिकल काउंसिल, डेंटल काउंसिल, नर्सिग काउंसिल, फाम्रेसी काउंसिल काम करेंगी। इसमें मानव संसाधन मंत्रालय का कोई दखल नहीं रहेगा मगर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो विधेयक तैयार किया है उसमें कुछ अधिकार उन विविद्यालयों के कुलपतियों को दिए गए है जिनके कार्य- क्षेत्र में मेडिकल चिकित्सा से जुड़ा कोई भी कालेज आता होगा। सिब्बल सभी तरह की शिक्षा को एक ही आयोग के अधीन लाना चाहते थे मगर स्वास्थ्य मंत्रालय को उसमें आपत्ति थी। लेकिन एमसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष डा. केतन देसाई की कथित घूसखोरी और सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद मानव संसाधन मंत्रालय को मौका मिल गया और पारदर्शिता लाने का तर्क देकर मंत्रालय ने मेडिकल शिक्षा को अपने दायरे में लेने की कवायद शुरू कर दी थी(ज्ञानेंद्र सिंह,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,12.12.11)।

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