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12 दिसंबर 2011

उत्तराखंड में लोकभाषाओं की दिशा व दशा पर मंथन आज से

उत्तराखंड भाषा संस्थान व हिन्दी अकादमी के दो दिवसीय शोध सम्मेलन में देशभर के भाषा विज्ञानी और साहित्यकार लोक भाषाओं की मौजूदा दशा व दिशा पर मंथन करेंगे। दून विवि में 12 और 13 जून को आयोजित इस कार्यक्रम में ‘लोकभाषाओं का साहित्य व उसके सांस्कृतिक आयाम’ विषय पर मंथन किया जाएगा। संस्थान की सविता मोहन व डा. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल उत्तराखंड हिन्दी अकादमी के डा. मुनीराम सकलानी ने संयुक्त रूप से बताया कि कार्यक्रम में डा. ताराचन्द्र त्रिपाठी, नंदकिशोर नौटियाल, गंगाप्रसाद विमल, केशवदत्त, डा. प्रयाग जोशी, बीआर पुरोहित व उमा भट्ट समेत अनेक आंचलिक साहित्यकार, समालोचक व भाषाविद् भाग लेंगे। इनके द्वारा शोधपत्र भी प्रस्तुत किए जाएंगे। कार्यक्रम में भाषा संस्थान की पुस्तक प्रकाशन अनुदान योजना के लिए आंचलिक शोध पुस्तकों के प्रकाशन हेतु पुस्तकों का चयन भी समिति द्वारा किया जाएगा। कार्यक्रम के दूसरे दिन चयनित आंचलिक व भाषायी लेखकों को मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया जाएगा(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,12.12.11)।

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