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13 दिसंबर 2011

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव : छात्र नहीं, प्रशासन होगा सर्वेसर्वा

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में अब सिर्फ छात्रों की ही नहीं चलेगी। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दिए गए आदेश के तहत छात्रसंघ चुनाव के लिए गठित होने वाले चुनाव आयोग में छात्र प्रतिनिधि तो शामिल होंगे, पर सर्वेसर्वा की भूमिका में प्रशासन की ओर से बनने वाली ग्रीवांस रीड्रेसल कमेटी होगी। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गठित होने वाली इस कमेटी की कमान डीन छात्र कल्याण के हाथ में होगी। चुनाव आयोग को कमेटी को रिपोर्ट करना होगा। गौरतलब है कि पुरानी व्यवस्था के तहत चुनाव आयोग का गठन छात्रों की ओर से छात्रों को ही चुनकर किया जाता था। छात्र प्रतिनिधियों के इस चुनाव आयोग के पास चुनाव कराने के सारे अधिकार रहते थे।


कमेटी के जरिए छात्रों के चुनाव आयोग पर अंकुश लगने की आशंका भर से कैंपस में सक्रिय छात्र संगठन परेशान हैं। संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्य व दिल्ली एसएफआई प्रमुख रोशन किशोर ने कहा कि ग्रीवांस कमेटी तो परेशानी की वजह है, लेकिन आगामी छह जनवरी, 2012 को आम सभा में इसे लेकर आम राय बनाई जाएगी। जेएनयू एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष सुनील झांझरिया का कहना है कि जेएनयू छात्रसंघ चुनावों का इतिहास रहा है कि प्रशासन इस प्रक्रिया में शामिल नहीं रहता था, पर अब ऐसा होगा, जो सही नहीं है। कहीं न कहीं छात्रसंघ चुनावों पर इस कमेटी के माध्यम से प्रशासनिक अंकुश लगाया जाएगा। हमारी कोशिश होगी कि इससे निपटने के लिए इस कमेटी में छात्र प्रतिनिधियों को भी जगह मिले, ताकि छात्रों के नजरिए को नजरअंदाज न किया जा सके।

उधर, डीन छात्र कल्याण प्रो. सच्चिदानंद सिंहा ने बताया कि न्यायालय के आदेश के तहत छात्रसंघ चुनाव के दौरान ग्रीवांस रीड्रेसल कमेटी के गठन की बात कही गई है। हालांकि, इसका कार्यकाल क्या होगा, अधिकार क्या होंगे, कमेटी में छात्र प्रतिनिधि शामिल होंगे या नहीं, इन सभी पहलुओं को लेकर स्थिति स्पष्ट होने में समय लगेगा। अभी न्यायालय के आदेश का लीगल सेल अध्ययन कर रही है और वह अपनी रिपोर्ट कुलपति को सौंपेगी। विश्वविद्यालय के आलाधिकारियों की मानें तो लीगल सेल की रिपोर्ट के आधार पर ग्रीवांस रीड्रेसल कमेटी के गठन का मार्ग प्रशस्त होगा और इस बाबत कुलपति के निर्देशों पर अमल होगा(शैलेन्द्र सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,13.12.11)।

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