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11 दिसंबर 2010

यूपीः430 आबकारी निरीक्षकों की नियुक्ति छह साल से ठंडे बस्ते में

आबकारी विभाग के 430 निरीक्षक पदों की नियुक्ति पर पिछले छह साल से ग्रहण लगा है। इससे विभाग का कार्य प्रभावित हो रहा है लेकिन नियुक्ति के सिलसिले में अब तक की सारी कोशिशें फाइलों में ही सिमट कर रह गई हैं। वहीं विभागीय अधिकारी लोक सेवा आयोग को दोषी ठहरा चुप्पी साध लेते हैं। इससे विभाग को करोड़ों रुपये की राजस्व हानि हो रही है। आबकारी निरीक्षक के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 759 है। वर्तमान समय में कार्यरत आबकारी निरीक्षकों की कुल संख्या 329 है। इसमें सीधी भर्ती के 232 और प्रोन्नति के 97 पद हैं। विभाग को अभी 430 आबकारी निरीक्षकों की जरूरत है। इसमें 375 सीधी भर्ती और प्रोन्नति के 55 पद हैं। यानि इन आंकड़ों से साफ है कि प्रदेश में राजस्व वसूली में दूसरे नंबर पर रहने वाले विभाग में स्वीकृत पद के सापेक्ष आधे से कम आबकारी निरीक्षकों से काम चलाया जा रहा है। उन्हीं के बल पर प्रदेश सरकार वर्ष 2010-11 के छह हजार 770 करोड़ रुपये के राजस्व वसूली के टार्गेट को प्राप्त करना चाहती है। इसे लेकर आबकारी निरीक्षकों में काफी आक्रोश है। उन पर लक्ष्य प्राप्ति का भारी दबाव है। एक अधिकारी के मुताबिक यदि रिक्त चल रहे 430 आबकारी निरीक्षकों के पदों पर तैनाती हो जाए तो विभाग दस हजार करोड़ तक की राजस्व वसूली के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। इससे शराब के फलते-फूलते अवैध व्यवसाय पर रोक लगाने में आसानी होगी। विभाग के बाबुओं में भी कम आक्रोश नहीं। उनके भी प्रोन्नति का रास्ता बंद है। इस संबंध में 22 नवंबर को मुख्यालयमें एक बैठक भी हुई थी। लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कोटे को लेकर मामला फिर से खटाई में पड़ गया। इन पदों पर भर्ती के लिए विभाग की तरफ से लोक सेवा आयोग को कई बार पत्र लिखा जा चुका है लेकिन प्रक्रिया लटकी हुई है। आयोग द्वारा इस संबंध में कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया, इसका विभागीय अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,11.12.2010)।

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