इस बार से शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम लागू होने के बाद भी अभिभावकों की समस्याएं कम नहीं हुई हैं। यह अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से लागू किया गया था। इस अधिकार के तहत 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए एक शिक्षा मौलिक अधिकार है। अधिनियम में प्रावधान है कि विद्यार्थियों की पहुंच के भीतर वाला कोई भी निकटवर्ती स्कूल किसी को प्रवेश देने से इनकार करता है तो उस स्कूल पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन, चंडीगढ़ में यह नियम सख्ती से लागू नहीं हो पाया है। दरअसल, यहां के कई निजी स्कूल इसके बीच रोड़ा अटका रहे हैं। जो लोग अपने बच्चों को आरटीई लागू होने के बाद बड़े स्कूलों में पढ़ाने का सपना पाल रहे थे, वे चकनाचूर होने लगे हैं। कई दिनों से बच्चों के अभिभावक शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों के पास जाकर गुहार लगा रहे हैं, लेकिन स्कूल प्रिंसिपल हैं कि मानते नहीं। जिला शिक्षा अधिकारी चंचल सिंह ने अपनी टीम के साथ कई स्कूलों का दौरा कर यह जानने की कोशिश की कि क्या स्कूल मनमानी कर रहे हैं? उन्होंने कई स्कूलों के खिलाफ जांच के आदेश भी दिए। इन स्कूलों के खिलाफ कई अभिभावकों की शिकायत आई थी। सेक्टर-18 स्थित न्यू पब्लिक स्कूल में 250 रुपये में आवेदन पत्र बिक रहे थे, जबकि विवेक हाईस्कूल में आरटीई के खिलाफ नामांकन किए जाए रहे थे। इसके अतिरिक्त सेंट कबीर स्कूल के खिलाफ भी जांच की जा रही है। शिक्षा का अधिकार कानून 2009 को लेकर शिक्षा विभाग में दो माह तक काफी हंगामा होता रहा। प्राइवेट स्कूलों को नोटिस भेजे जाते रहे, लेकिन शहर के कुछ प्राइवेट स्कूलों में दाखिले में शिक्षा विभाग आरटीई के सारे नियम कानून भूल गए। वहीं. चार कान्वेंट स्कूल कार्मल स्कूल सेक्टर-9, सेंट ऐंस सेक्टर-32, सेंट जोंस सेक्टर-26 एवं सेक्रेड हार्ट स्कूल में दाखिला प्रक्रिया में आरटीई का उल्लंघन भी सामने आया। इन स्कूलों के प्रिंसिपलों का कहना है कि वह नियमों का बदलाव नहीं करेंगे। दूसरी तरह प्रशासन आरटीई लागू करना चाहती है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी चंचल सिंह का कहना है कि किसी भी कीमत पर चंडीगढ़ के सभी स्कूलों में आरटीई लागू की जाएगी(ओजस्कर पाण्डेय,दैनिक जागरण,चंडीगढ़,24.1.11)।
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