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24 जनवरी 2011

मानवाधिकार में करिअर

मानवाधिकार सभी मनुष्यों के जन्मजात अधिकार हैं, चाहे वे हमारी राष्ट्रीयता, निवास स्थान, जाति, श्रेणी, लिंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति से संबंधित हों। हम सभी बिना किसी भेदभाव के अपने मानवाधिकारों के समान रूप से हकदार हैं। मानवाधिकारों के सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्य में चार पहलू शामिल हैं जैसे कि मनुष्य होने के फलस्वरूप सभी द्वारा उपभोग्य दावे, शक्ति, सुविधा और सुरक्षा।

गौरतलब है कि द्वितीय विश्व युद्ध में हुए विनाश, विध्वंस और दुर्दशा ने संयुक्त राष्ट्र सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा-१९४८ के प्रवर्तन के माध्यम से मानवाधिकार की धारणा दी। इस घोषणा में, इसके तीन अनुच्छेदों में निहित अनेक अधिकार शामिल हैं, जिनमें मानवता के संपोषण तथा विकास के लिए जीवन,स्वतंत्रता, समानता, सुरक्षा तथा साधन आदि सम्मिलित हैं। सार्वभौमिक मानवाधिकार अधिकांशतः प्रतिज्ञा पत्रों, सम्मेलनों, संघ पत्रों, प्रचलित अंतरराष्ट्रीय विधि, सामान्य सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय विधि के अन्य स्रोतों के रूप में विधि द्वारा व्यक्त एवं प्रत्याभूत किए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार विधि, किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता को प्रोत्साहन देने तथा उसकी सुरक्षा करने के लिए कई दिशाओं में कार्य करने या कई कृत्यों से बचने के लिए सरकारों के दायित्व निर्धारित करती है।

भारत में मानवाधिकार शब्द, मानवाधिकार परिरक्षण अधिनियम की धारा-२ (घ) के अंतर्गत परिभाषित है। मानवाधिकार का तात्पर्य संविधान द्वारा निर्धारित या अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञा पत्रों में सम्मिलित तथा भारत में न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय वैयक्तिक जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा से संबंधित अधिकारों से है। अधिनियम में मानवाधिकारों के बेहतर परिरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा मानवाधिकार न्यायालयों के गठन का प्रावधान किया गया है। विगत दो दशकों के अनुभव ने मानवाधिकार के संकटकालीन महत्व को दर्शाया है। परंपरागत रूप से राज्य या उसके कर्ताओं के कारण मानव अधिकारों का उल्लंघन होता है, तथापि समकालीन समय में मानवाधिकारों का उल्लंघन वैयक्तिक, संस्थाओं द्वारा तथा उच्च वर्ग स्तर पर देखा गया है। भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कई वर्षों से नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक अधिकारों सहित मानव अधिकार उल्लंघन के सैकड़ों मामले दर्ज करता रहता है। ये उल्लंघन तथा अत्याचार खाद्य अधिकार, स्वास्थ्य अधिकार, शिक्षा अधिकार, हिंसा तथा शोषण के विरुद्ध महिला अधिकार, दुर्व्यवहार तथा शोषण के विरुद्ध बाल अधिकारों से संबंधित मामलों और प्रवासी अधिकार तथा जाति, सिद्धांत, क्षेत्र तथा धर्म पर आधारित उनके उल्लंघनों से संबंधित हैं। वर्तमान समय में मानव अधिकार के क्षेत्र में कॅरिअर के उजले अवसर उपलब्ध हैं। सामाजिक न्याय, बाल अपराध संबंधी न्याय, लिंग भेद संबंधी न्याय, परिरक्षक न्याय तथा अब प्रत्यक्ष सेवा, निगरानी एवं मूल्यांकन, लॉबिंग और नेटवर्किंग, एडवोकेसी, नीति विकास, प्रलेखन एवं अनुसंधान सहित जलवायु न्याय के उभर रहे क्षेत्रों में सामाजिक कार्यकर्ता के लिए रोजगार के उजले अवसर विद्यमान हैं। इन कार्यों में विश्व के सभी क्षेत्रों में मानव अधिकार अत्याचारों के निवारण तथा उन्हें समाप्त करने पर बल देते हुए अनुसंधान, मानव अधिकार विकास पर निगरानी रखने, तथ्य निष्कर्ष एवं अन्वेषण संचालन, मानव अधिकार की स्थितियों पर केस अध्ययन एवं रिपोर्ट लेखन, मानव अधिकार उल्लंघनों, मुकदमेबाजी एवं लॉबिंग को उजागर करने तथा कमी लाने के लिए एडवोकेसी और सामाजिक तथा राजनीतिक ढांचों में मानव अधिकार प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के कार्य सम्मिलित हैं। इनके अतिरिक्त, मानवाधिकार कार्यकर्ता परामर्श एवं शैक्षिक सेवाएं, शरणार्थी सहायता, पीड़ितों के पुनर्वास, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के लिए नीति विश्लेषण, संस्था निर्माण तथा परियोजना विकास एवं मानवाधिकार आधारित नागरिक-समाज संगठनों के क्षेत्र में प्रबंधन में सहायता देते हैं।

मानवाधिकार में डिग्री, डिप्लोमा अथवा प्रमाणपत्रधारी कोई भी उम्मीदवार मानवाधिकार के क्षेत्र में उजला कॅरिअर बना सकता है। मानवाधिकार के क्षेत्र में पाठ्यक्रम करने हेतु पात्रता सामान्यतः किसी भी विषय में स्नातक डिग्री है। कई सरकारी जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य मानवाधिकार आयोग, अंतरराष्ट्रीय तथा गैर सरकारी संगठन जैसे, एमनेस्टी इंटरनेशनल, क्राई, ह्यूमन राइट्स वॉच, एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स आदि हैं। इनके अलावा मानवाधिकार मामलों पर कार्य करने वाली कई संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां हैं जो मानवाधिकार के जानकारों को रोजगार प्रदान करती हैं। मानवाधिकार के क्षेत्र में वेतन कार्य की प्रकृति के आधार पर निर्भर होता है।


मानवाधिकार के प्रमाण-पत्र, डिप्लोमा तथा डिग्री पाठ्यक्रम इन संस्थानों में उपलब्ध हैं-
भारतीय मानवाधिकार संस्थान, नई दिल्ली।


 इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली।

 एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, मुंबई।

 राष्ट्रीय भारतीय विधि विश्वविद्यालय, बेंगलुरु।

 मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई।

 नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर।

 बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

 मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर।

 देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय, इंदौर। 

(जयंतीलाल भंडारी,नई दुनिया,दिल्ली,24.1.11)

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