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03 सितंबर 2010

आईआईटी में घटेगी झारखंड की हिस्सेदारी

आईआईटी प्रवेश परीक्षा में प्रदेश के छात्रों की हिस्सेदारी कम हो जाएगी। राज्य के ग्रामीण इलाकों के छात्रों का आईआईटी में जाने का सपना टूट जाएगा। आईआईटी-जेईई में सुधार के लिए गठित कमेटी ने अब ड्राफ्ट रेगुलेशन पर विचार शुरू कर दिया है। नयी नियमावली में 12वीं कक्षा के अंकों को अधिक वरीयता देने का निर्णय लिया गया है। इसका सीधा लाभ सीबीएसई बोर्ड के छात्रों को मिलेगा। जबकि राज्य बोर्ड के छात्रों के लिए यह नियम काफी परेशानी में डालने वाला होगा। आईआईटी खड़गपुर व आईआईटी चेन्नई द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट रेगुलेशन में 12वीं कक्षा के अंकों को 70 फीसदी वेटेज दिए जाने की बात कही गयी है। इसके लिए 12वीं स्तर पर छात्रों के संपूर्ण प्रदर्शन को ध्यान में रखा जाएगा। हालांकि इस मामले पर अभी तक सभी राज्यों के बोर्ड की अनुमति नहीं ली गयी है। कई राज्यों के बोर्ड ने तो इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। ड्राफ्ट रेगुलेशन पर सहमति के लिए काउंसिल ऑफ बोर्ड फॉर सेकेंडरी एजुकेशन (कॉब्से) को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। कॉब्से शीघ्र सभी राज्यों के बोर्ड की बैठक बुलाकर सभी मसलों पर एक सामान्य सहमति प्राप्त करने का प्रयास करेगा। आईआईटी जेईई कमेटी की बैठक में ड्राफ्ट रेगुलेशन पर विचार के दौरान बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष प्रो. एकेपी यादव ने 12वीं के अंक को अधिक तबज्जो देने का विरोध किया। प्रो. यादव ने दूरभाष पर बताया कि राज्यों के बोर्ड के साथ बड़ी परेशानी उनके मूल्यांकन प्रणाली को लेकर है। इस नियम को लागू किए जाने से राज्य बोर्ड के छात्र पिछड़ जाएंगे।

नियमावली फंसाएगी पेंच :
आईआईटी की कमेटी द्वारा तैयार नियमावली में 12वीं के अंक की महत्ता 70 फीसदी होगी। इससे 12वीं में अधिक अंक लाने वाले छात्रों को फायदा मिल जाएगा। अगर बोर्डवार आंकड़ा देखें तो झारखंड एकेडमिक काउंसिल की 12वीं की परीक्षा में इस वर्ष मात्र 30 फीसदी छात्र सफल हुए। साइंस विषय में 75 फीसदी से अधिक अंक लाने वाले छात्रों की संख्या करीब एक हजार है। इस लिहाज से यह आंकड़ा महज .15 प्रतिशत होता है। वहीं बिहार बोर्ड में भी स्थिति अच्छी नहीं है। वहां इंटर साइंस में 75 फीसदी से अधिक अंक लाने वाले छात्रों की संख्या 0.7 फीसदी है। उत्तरप्रदेश बोर्ड में यह संख्या 0.9 फीसदी और महाराष्ट्र बोर्ड में छह फीसदी है। सीबीएसई बोर्ड में इस वर्ष 12वीं स्तर पर 35 फीसदी छात्र 75 फीसदी से अधिक अंक लेकर आए हैं। अगर आईआईटी प्रशासन नियम लागू करता है तो राज्यों के बोर्डो से उतीर्ण छात्रों के लिए आईआईटी का दरवाजा लगभग बंद हो जाएगा। इसके अलावा प्रवेश परीक्षा को ऑनलाइन लेने की भी योजना है। झारखंड व बिहार के बोर्ड तर्क दे रहे हैं कि अधिकांश इलाकों में कंप्यूटर की सुविधा नहीं है। इससे भी उनके छात्रों को परेशानी होगी(राहुल,दैनिक जागरण,रांची,3.9.2010)।

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