मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

24 जनवरी 2011

झारखंडः35469 शिक्षकों की कमी

झारखंड प्राथमिक से लेकर उच्च व तकनीकी शिक्षा तक शिक्षकों की कमी ङोल रहा है. स्वीकृत पद के मुकाबले कम से कम 35469 शिक्षक कम हैं. आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य व निशुल्क शिक्षा कानून लागू हो चुका है. इसके बावजूद राज्य में प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च विद्यालयों में ही सबसे अधिक 34000 शिक्षकों की कमी है. कई स्कूलों में तो बच्चे बगैर गुरु के ज्ञान अर्जित कर रहे हैं. राज्य में उच्च शिक्षा का हाल भी बेहतर नहीं है. इस नॉलेज एरा में भी राज्य के विद्यार्थियों को पठन-पाठन की सुविधा से वंचित किया जा रहा है. ऐसे में शिक्षकों के बगैर 64 लाख स्कूली बच्चों को कैसे शिक्षा का अधिकार मिल सकता है. राज्य के 40 हजार 41 प्राथमिक, 10 हजार 235 माध्यमिक और 1235 उच्च विद्यालयों में पढ़नेवाले 64 लाख बच्चों के लिए करीब 34 हजार शिक्षक कम हैं. इनमें उर्दू विद्यालय, उत्क्रमित उच्च विद्यालय और कस्तूरबा बालिका विद्यालय भी शामिल हैं. उत्क्रमित उच्च विद्यालयों और कस्तूरबा बालिका विद्यालयों में तो झारखंड में नियुक्तियां ही नहीं हुई हैं.वर्तमान में प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 1.26 लाख शिक्षकों में से 79 हजार पारा शिक्षक हैं. इन पारा शिक्षकों में लगभग 20 हजार अप्रशिक्षित (अनटेंड) हैं.

पांच विश्वविद्यालय : राज्य में पांच विश्वविद्यालय हैं. रांची विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय, सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय और नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय. इन विश्वविद्यालयों में लेक्चरर-प्रोफ़ेसर के स्वीकृत पद 3278 हैं. इसके विरुद्ध 2740 कार्यरत हैं. रांची विश्वविद्यालय को छोड़ सभी शिक्षकों के लिए तरस रहे हैं.


मेडिकल कॉलेज : राज्य के तीन मेडिकल कॉलेजों में से रिम्स को स्वायत्तता हासिल है. यहां कुल स्वीकृत 330 पदों के विरुद्ध 18 खाली हैं. धनबाद में पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) और जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज में असिसटेंट प्रोफ़ेसर, एसोसिएट प्रोफ़ेसर व प्रोफ़ेसर की संख्या अपर्याप्त है. इन दोनों मेडिकल कॉलेजों में स्वीकृत पद 32 के विरुद्ध 22 प्रोफ़ेसर हैं. वहीं एसोसिएट प्रोफ़ेसर 40 के विरुद्ध 21 व असिस्टेंट प्रोफ़ेसर 55 के विरुद्ध 15 हैं.इंजीनियरिंग कॉलेज सरकारी क्षेत्र में दो इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. बीआइटी सिंदरी व यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, विनोबा भावे यूनिवर्सिटी, हजारीबाग. 

इनमें हजारीबाग कॉलेज नया है, लेकिन बीआइटी सिंदरी में निदेशक सहित लेक्चरर व प्रोफ़ेसर के स्वीकृत पद 197 हैं. वहीं वहां स्थायी निदेशक सहित 98 पद रिक्त हैं. गौरतलब है कि इंजीनियरिंग का यह संस्थान काफी नामी है.पॉलिटेक्निक राज्य के 14 राजकीय पॉलिटेक्निकों में प्राचार्य से लेकर लेक्चरर तक के कुल 240 पद स्वीकृत हैं. 

वहीं कार्यरत स्थायी शिक्षकों की संख्या सिर्फ 93 है. इन संस्थानों में प्राचार्यो का पद तो पिछले आठ वर्षो से खाली है. इधर, इन संस्थानों में आइटी सहित नये ब्रांच खुलने से विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है. विज्ञान व प्रावैधिकी निदेशक के अनुसार अब स्वीकृत पदों की संख्या करीब 700 करनी होगी.आइटीआइ श्रम नियोजन व प्रशिक्षण विभाग राज्य भर में तीन महिला आइटीआइ सहित कुल 20 आइटीआइ का संचालन करता है. 

इन औद्योगिक प्रशिक्षण स्कूलों में व्यवसाय अनुदेशक (इंस्ट्रक्टर) के करीब 500 पद खाली हैं. उप प्राचार्य या उपाधीक्षक के 17 स्वीकृत पद रिक्त हैं. वहीं 16 सहायक अधीक्षक के विरुद्ध सिर्फ एक कार्यरत हैं. अन्य शैक्षणिक पदों की भी यही स्थिति है.ये कहते हैंपॉलिटेक्िनक संस्थानों में शिक्षकों का पद योजना व गैर योजना में बंटे रहने से भी नियुक्ति नहीं हो पायी. अब यह बंटवारा समाप्त कर दिया गया है. शिक्षकों की संख्या पूरी कब होगी, कहना मुश्किल है, क्योंकि यह गैप शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के कारण बढ़ रहा है. निविदा पर शिक्षक रखने के मामले में वित्त विभाग से सहमति नहीं मिली. 

- डॉ अरुण कुमार, निदेशक विज्ञान व प्रावैधिकीचार सौ से अधिक अनुदेशकों की बहाली के लिए परीक्षा हो गयी है. इनकी मेरिट लिस्ट भी तैयार है. कुछ लोगों को स्थापना दिवस समारोह में नियुक्ति पत्र दिये गये, शेष की प्रक्रिया जारी है. सहायक निदेशक, प्राचार्य व उप प्राचार्य वगैरह के लिए सेवा नियमावली बननी है. तब तक डेपुटेशन के आधार पर अस्थायी नियुक्ति के लिए प्रपोजल बनाया गया है. 

- विश्वनाथ साह, निदेशक नियोजन व प्रशिक्षण (श्रम विभाग)पहले जेपीएससी से शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी. लेकिन बहुत कम लोग नियुक्त हो पाये. फिर झारखंड कंबाइड से परीक्षा लेकर नियुक्ति का प्रस्ताव बना. तब तक कर्मचारी चयन आयोग का गठन हो गया. हमलोगों ने रोस्टर क्लियरेंस करवा कर आयोग को प्रपोजल दिया, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है. अब मंत्रीजी को यह प्रपोजल दिया गया है कि किसी और एजेंसी से शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द पूरी करवायी जाये. अभी इस पर फ़ैसला होना है. 

- डीके सक्सेना, निदेशक प्राथमिक शिक्षाशिक्षकों की इस कमी पर सरकार का ध्यान है. विभिन्न पदों के लिए विज्ञापन निकाले गये हैं. जहां प्रमोशन का मामला लटका है, उसे भी क्लियरेंस किया जा रहा है. नियुक्तियां जल्द होंगी. - एके सरकार, सचिव स्वास्थ्य विभागरांची को छोड़ कर सभी विवि शिक्षकों के मामले में रो रहे हैं. रांची में तो ट्रांसफर करवा कर लोग भर गये हैं. नियुक्ति की प्रकिया चल रही है. कई मामलों में रोस्टर क्लियरेंस करवाना है. एक बात और कि शिक्षकों के लिए प्रति सप्ताह 25 क्लास के यूजीसी के नॉर्म्स का पालन हो, तो कुल शिक्षक सरप्लस हो जायेंगे, लेकिन नॉर्म्स का पालन नहीं हो रहा. 

क्या है कारण
शिक्षकों की कमी का मामला मानव संसाधन विभाग, श्रम विभाग, स्वास्थ्य विभाग और विज्ञान व प्रावैधिकी विभाग से जुड़ा है. सरकार के सभी विभागों में नियुक्ति की प्रक्रिया ठप है. इसके कई कारण रहे हैं. पहले तो नियुक्तियों में स्थानीयता का मुद्दा छाया रहा. वहीं ज्यादातर विभागों का रोस्टर क्लियरेंस नहीं है या वे अभी तक नियुक्ति की प्रक्रिया में ही उलङो हैं. नियुक्त करनेवाली एजेंसियों में लोगों व संसाधन की कमी भी एक मुख्य कारण है.

भविष्य के साथ खिलवाड़
शिक्षकों की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है. क्लास नहीं होती, बच्चे स्वाध्याय कर अधूरी सफलता पाते हैं. उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. इसके असर का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि बीआइटी सिंदरी के विद्यार्थियों को बीसीसीएल व डीवीसी सहित अन्य सरकारी उपक्रमों में इंटर्नशिप ( औद्योगिक प्रशिक्षण) की इजाजत नहीं मिलती. एक अधिकारी के अनुसार ऐसा शिक्षकों सहित पठन-पाठन के लिए जरूरी मापदंडों को पूरा न कर पाने की वजह से है(संजय,प्रभात खबर,रांची,24.1.11).

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।