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25 जनवरी 2011

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 372 परीक्षकों पर पुत गई कालिख

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 2010 की परीक्षाओं के मूल्यांकन कार्य में लापरवाही बरतने वाले प्रदेश के 372 परीक्षकों को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। तीन परीक्षकों को सदैव के लिए परीक्षक कार्य से वंचित किया गया है।

बोर्ड सचिव मिरजूराम शर्मा के मुताबिक 2010 की सीनियर सेकंडरी व सेकंडरी सैद्धांतिक परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने के लिए करीब 30 हजार शिक्षकों को बतौर परीक्षक लगाया गया था। इनमें से 375 परीक्षकों ने उत्तर पुस्तिकाएं जांचने में गंभीर लारवाही बरती। इनमें से सीनियर सेकंडरी परीक्षा के मूल्यांकन में लापरवाही बरतने वाले 135 परीक्षकों को अगले तीन साल तक के लिए परीक्षक कार्य से वंचित कर दिया गया है।इनमें अनिवार्य हिंदी के 26, अंग्रेजी के 23, वाणिज्य वर्ग के 16, विज्ञान वर्ग के 31, कला वर्ग के 30 और प्रायोगिक परीक्षाओं के 9 परीक्षक शामिल हैं। इसी प्रकार सेकंडरी परीक्षा के कुल 240 परीक्षकों को उत्तर-पुस्तिका मूल्यांकन में गलतियां करने पर परीक्षक कार्य से वंचित किया गया है। इनमें से 237 तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड किए गए। शेष तीन परीक्षकों को हमेशा के लिए परीक्षक कार्य से वंचित कर दिया गया है।

इसलिए किया ब्लैक लिस्टेड

बोर्ड ने जिन परीक्षकों को ब्लैक लिस्टेड किया है, उनमें कुछ तो ऐसे लापरवाह परीक्षक बताए गए हैं जिन्होंने उत्तर पुस्तिकाएं जांची ही नहीं और पुस्तिका के मुख्य पृष्ठ पर अंक दे दिए। बाद में बोर्ड ने इन उत्तर पुस्तिकाओं को दोबारा दूसरे परीक्षक से जंचवाया।


कुछ परीक्षकों ने उत्तर पुस्तिकाओं में आधे प्रश्न जांच लिए, आधे छोड़ दिए तथा कुछ ने अंकों की गणना में ही गलती कर दी। कुछ ने उत्तर पुस्तिका के मुख्य पृष्ठ पर अंकों को दर्ज ही नहीं किया। कुछ ने गलत तरीके से अंक दर्ज कर दिए। इन सब कारणों के चलते इन परीक्षकों को ब्लैक लिस्टेड किया गया।

2014 में होगी समीक्षा
बोर्ड सचिव के मुताबिक तीन साल तक अब बोर्ड इन परीक्षकों से उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन नहीं कराएगा। बोर्ड प्रबंधन 2014 की परीक्षा से पूर्व इन परीक्षकों की स्थिति की समीक्षा करेगा, उसके बाद तय किया जाएगा कि इन्हें फिर परीक्षक बनाया जाए या नहीं।

..इसलिए जाहिर नहीं करते नाम
बोर्ड सूत्रों का कहना है कि इन लापरवाह परीक्षकों के नाम बोर्ड प्रबंधन इसलिए जाहिर नहीं करता कि पता लगने पर परीक्षार्थी वअभिभावक कहीं उनसे दुर्व्यवहार न कर बैठें। हालांकि परीक्षकों की इस लापरवाही से अनेक बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है।(दैनिक भास्कर,अजमेर,25.1.11)

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