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24 जनवरी 2011

हिंदी गुलामों की नहीं, बराबरी की भाषा

प्रसिद्ध संगीतकर गुलजार का कहना है कि गाने फाइन आर्ट की तरह होते हैं इसलिए गानों को रिमिक्स करने से उनका इतिहास तबाह हो रहा है। जयपुर साहित्य उत्सव में "गाता रहे मेरा दिल" सत्र को संबोधित करते हुए गुलजार ने कहा कि हेमंत कुमार के गानों को हेमंत कुमार का ही रहने दीजिए। गुलजार ने उपस्थित श्रोताओं से सवाल किया कि यदि रिमिक्स करने से गानों की आत्मा और उनके मूल्यों पर असर नहीं प़ड़ता है तो जाइए अंजता और ऐलोरा को भी री-पेंट कर दीजिए।

गुलजार के मुताबिक गीतों में जिंदगी की खुशी और खूबसूरती छिपी रहती है। गाने चंद लफ्ज अथवा संगीत भर नहीं होते बल्कि वो अपने दौर की कहानी कहते हैं, इसलिए किसी को भी गानों को रिमिक्स करने का हक नहीं है। गुलजार ने कहा कि टेक्नोलॉजी बुरी नहीं होती, लेकिन मौजूदा दौर में जिस तरह से टेक्नोलॉजी ने लोगों को गुलाम बना लिया है, उसने जिंदगी की खुबसूरती छीन ली है।


गीतकार जावेद अख्तर ने मौजूदा दौर के गानों और साहित्य पर गहरी चिंता व्यक्त की। जावेद अख्तर ने कहा कि जिस तरह आज लोगों के जीवन में ठहराव की कमी हो रही है उसी तरह गानों में भी ठहराव गायब होता जा रहा है। अख्तर ने कहा कि आज के रोमांटिक गानों में भी रोमांस के लिए जगह नहीं बची है। आज लोगों का जीवन फास्ट हो गया है और इस दौ़ड़ती-भागती जिंदगी में लिटरेचर भी फास्ट फूड की तरह होता जा रहा है। इससे पहले "ऐसी हिंदी कैसी हिंदी" सत्र को संबोधित करते हुए प्रसार भारती की अध्यक्ष और साहित्यकार मृणाल पांडे ने कहा कि हिंदी एक दरिया है, जिसमें तरह-तरह की भाषाएं नदी और नालों की तरह आकर मिलती हैं, लेकिन इन नदी-नालों से हिंदी को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्य भाषाओं के शब्दों के मिश्रण से हिंदी कमजोर नहीं बल्कि ओर सुदृ़ढ़ हुई है। हालांकि इंटरनेट और अंग्रेजी माध्यम का एक संगठित तबका हिंदी को चुनौती दे रहा है, लेकिन हिंदी की ज़ड़ें इतनी गहरी हैं कि यह तबका इसे नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। हिंदी में गाली-गलौच को भद्दा बताते हुए मृणाल पांडे ने कहा कि शब्दों की कमी पर गाली-गलौच पैदा होता है। हिंदी में यदि जनभाषा के शब्द आएंगे तो अभद्र भाषा अपने आप परे हट जाएगी।

साहित्यकार सुधीश पचौरी ने कहा कि हिंदी गुलामों की भाषा नहीं बल्कि बराबरी की भाषा है। पचौरी ने कहा कि आधुनिक कार्पोरेट वर्ग कमाता तो हिंदी में है, लेकिन भौंकता अंग्रेजी में है। पचौरी ने कहा कि हिंदी एक तरफ संचार की सशक्त भाषा बन रही है वहीं वह मनोरंजन की भाषा के रूप में भी स्थापित हुई है। सुधीश पचौरी ने कहा कि हिंदी इस समय देश के ४२ करो़ड़ लोगों की भाषा है। हिंदी के प्रति सरकारों की उदासीनता पर चिंता जताते हुए पचौरी ने कहा कि इस समय देश में कोई भी सरकार ऐसी नहीं है जो हिंदी भाषा के शब्दकोष को ओर सुदृ़ढ़ बनाने की पहलकदमी करे। टीवी एंकर और ब्लॉगर रवीश कुमार ने कहा कि शब्दों की समझ संदर्भों से पैदा होती है। रवीश कुमार के मुताबिक हिंदी बाजार और संस्कृति की ही नहीं बल्कि राजनीति की भी भाषा है। टेलीविजन चैनलों की भाषा पर चिंता जताते हुए रवीश ने कहा कि टेलीविजन चैनल हिंदी को नचा रहे हैं, इसलिए यहां उत्तेजना और तेवर की कीमत पर भाव गायब हो रहे हैं। फिल्म अभिनेता ओमपुरी ने कहा कि हिंदुस्तानी भाषा हिंदी और उर्दू का मिश्रण है। 

ओमपुरी ने कहा हिंदी को पब्लिक स्कूली शिक्षा, सरकार और हिंदी सिनेमा से सबसे ज्यादा खतरा है, क्योंकि इन तीनों माध्यमों में धीरे-धीरे हिंदी को किनारे किया जा रहा है। २५ जनवरी तक चलने वाले जयपुर साहित्य उत्सव में देश-विदेश के २०० से ज्यादा नामी साहित्यकार, फिल्मकार और गीतकार हिस्सा ले रहे हैं(नई दुनिया,दिल्ली संस्करण,23.1.11 में जयपुर की रिपोर्ट)।

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