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24 जनवरी 2011

यूपीःजनगणना में ड्यूटी शिक्षा से खिलवाड़

आशंका यही है कि शिक्षकों को जनगणना के कार्य में लगा दिए जाने के कारण प्राथमिक विद्यालयों में तालाबंदी की जो स्थिति बिजनौर में उत्पन्न हो गई है वही उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी होगी। इसका मतलब यह है कि जब तक जनगणना का काम चलेगा तब तक प्राथमिक विद्यालयों में पठन-पाठन ठप ही रहेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह स्थिति ऐसे समय उत्पन्न हुई है जब शैक्षिक सत्र अंतिम चरण में है और छात्रों ने वर्ष भर जो अध्ययन किया है उसका मूल्यांकन होना है। संदेह यह भी है कि जनगणना का कार्य हो जाने के बाद जब प्राथमिक शिक्षक विद्यालयों में लौटेंगे तब शेष पाठ्यक्रम को पूरा करने और परीक्षाएं आयोजित करने की औपचारिकता भर पूरी की जाएगी। इन स्थितियों में यह सहज ही समझा जा सकता है कि राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर क्या होगा? इससे अधिक निराशाजनक और क्या होगा कि एक ओर तो प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधारने का संकल्प व्यक्त किया जाता है और दूसरी ओर यह सामने आ रहा है कि शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यो में लगा दिए जाने के कारण अनेक जिलों में प्राथमिक विद्यालय बंद होने की नौबतआ गई है। यह स्थिति यह बताती है कि प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देना राज्य सरकार की प्राथमिकता सूची से बाहर है। नि:संदेह जनगणना का कार्य भी आवश्यक है, लेकिन यह समझना कठिन है कि ऐसे हर आवश्यक कार्य की जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधे पर ही क्यों थोप दी जाती है? सच तो यह है कि अनेक ऐसे विभाग हैं जिनसे इस तरह के कार्य आसानी से लिए जा सकते हैं, लेकिन अब इन कार्यो की जिम्मेदारी शिक्षकों को सौंप देना एक परिपाटी बन गई है। यह परिपाटी प्राथमिक शिक्षा पर बहुत भारी पड़ रही है, बावजूद इसके कोई भी यह देखने-समझने वाला नहीं है कि शिक्षकों को अपने बुनियादी दायित्वों को पूरा करने का अवसर मिलना चाहिए। पता नहीं राज्य सरकार गैर-शैक्षणिक कार्यो के प्रति शिक्षकों के विरोध और आपत्ति को सुनने के लिए तैयार है या नहीं, लेकिन उसे कम से कम उन राज्यों से तो सबक सीखना ही चाहिए जिन्होंने शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक कार्य लेना बंद कर दिया है(संपादकीय,दैनिक जागरण,लखनऊ,24.1.11)।

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