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24 जनवरी 2011

बोर्ड परीक्षाःप्रभावी उत्तर दिलाएंगे ज्यादा अंक

बोर्ड परीक्षा ही क्या, किसी भी परीक्षा में आप के ज्ञान, विषय के बारे में समझ और वर्ष भर के दौरान के समस्त अध्ययन का मूल्यांकन महज तीन घंटे की अवधि में आपके द्वारा लिखे गए उत्तरों की कसौटी के आधार पर किया जाता है।

जाहिर है, उत्तर लेखन, प्रस्तुतीकरण और पूछे गए प्रश्नों के समस्त पहलुओं को जो परीक्षार्थी सुंदर, सरल और भाषा की दृष्टि से उपयुक्तढंग से पेश करते हैं उन्हें ही अधिकाधिक अंकों से नवाजा जाता है। लेकिन अक्सर यह देखने में आया है कि छात्र पढ़ाई तो करते हैं पर उत्तर लिखने के विशिष्ट मानदंडों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं।

इसका नतीजा मेहनत के अनुकूल परीक्षाफल नहीं मिल पाने के रूप में सामने आता है। प्रस्तुत लेख में हम ऐसे ही कुछ अनछुए पहलुओं की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं जिनकी बदौलत सही ढंग से उत्तर लिखकर श्रेष्ठ नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।

उत्तर लेखन प्रारंभ करने से पहले समस्त निर्देश ध्यानपूर्वक पढ़ें। अगर विकल्पों का प्रावधान है तो इसी पढ़ने के क्रम में प्रश्नों का चयन कर लें।


उत्तर लिखने का सिलसिला ऐसे प्रश्नों से शुरू करें जिनके बारे में आप बिलकुल आश्वस्त हों। इससे परीक्षक के ऊपर अच्छा इंप्रेशन पड़ता है और फिर वह नंबर देने में आगे भी कोताही नहीं करता है।


उत्तर पुस्तिका में कांट-छांट बिलकुल नहीं करें। ओवर राइटिंग तो हरगिज नहीं। इससे यह छवि बनती है कि आपमें विषय की समझ को लेकर कहीं न कहीं कोई कन्फ्यूजन की स्थिति है। जाने-अनजाने यह संदेश परीक्षक तक पहुंचाना कोई समझदारी नहीं है।

उत्तर पुस्तिका के प्रत्येक पृष्ठ पर दाईं और बाईं तरफ हाशिया अवश्य छोड़ें, न सिर्फ इसमें देखने से उत्तर का प्रस्तुतीकरण अच्छा प्रतीत होता है बल्कि परीक्षक को भी कमेंट्स लिखने और अंक देने के लिए रिक्तस्थान की तलाश नहीं करनी पड़ती है।

उत्तर लेखन में प्रश्नों के मान अथवा शब्द संख्या के निर्देशों का कड़ाई से पालन करना चाहिए। ज्यादा या कम शब्दों के मामलों में परीक्षक को अंक देने में कंजूसी करने का बहाना मिल सकता है।

जान-बूझकर उत्तर पुस्तिका के पन्ने भरने के एकमात्र उद्देश्य से शब्दों के बीच ज्यादा जगह छोड़ना अथवा प्रत्येक पंक्ति के बाद एक रिक्त पंक्ति छोड़कर लिखने जैसी रणनीति का नकारात्मक असर ज्यादा पड़ सकता है। सामान्य शैली में लिखना ज्यादा फायदेमंद सिद्ध होता है।


राइटिंग स्पष्ट और पठनीय होनी चाहिए। इसमें जल्दबाजी करना काफी घातक साबित हो सकता है। अगर परीक्षक को शब्दों को समझने में जरा सी भी परेशानी होगी तो मान लीजिए कि इसका नुकसान आपको ही भुगतना पड़ेगा।


उत्तर लेखन में बिंदुवार पंक्तिदर पंक्ति अपनी बातें रखनी चाहिए। हो सके तो जितने अंकों का प्रश्न हो कम से कम उतने बिंदु तो अवश्य रखें।


बोर्ड परीक्षा में एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों की भाषा, शब्दावली आदि का जितना अधिक प्रयोग करेंगे उतने ही ज्यादा अंक परीक्षक से मिल सकेंगे।


अगर एक प्रश्न के कई खंड हों तो उन सबके उत्तर एक ही जगह दिए जाने चाहिए। अलग-अलग पृष्ठों पर उत्तर लिखने से परीक्षक को तलाशने में झुंझलाहट होगी और इसका खामियाजा भी अंक कटौती के रूप में सामने आ सकता है।


समस्त उत्तरों की सही क्रम संख्या अंत में अवश्य जांच लें। कभी-कभी जल्दबाजी में लिखना भूल सकते हैं या लिखने में गलती हो सकती है।


अंत में उत्तरपुस्तिका एक बार ध्यानपूर्वक पढ़नी न भूलें। छोटी-मोटी गलतियां नजर में आ सकती हैं जिनकी वजह से परीक्षक को अंक काटने का मौका मिल सकता है।


विश्वास रखें कि इन अति साधारण सी बातों का पालन करने मात्र से आपके प्राप्तांकों में काफी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है।
(अशोक सिंह,नई दुनिया,दिल्ली,24.1.11)।

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