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26 जुलाई 2010

गेमिंग में करिअर

गौतम हमेशा से ही पढ़ाई में कमजोर रहा। ऐसा नहीं था कि उसके दिमाग की तेजी में कमी थी, चीजों को देखकर समझने, सीखने और उन पर प्रतिक्रिया करने में ये आम बच्चों से कहीं अधिक तेज था, पर उसका रुझान हमेशा से ही कंप्यूटर और वीडियो गेम्स की तरफ रहा। श़ुरुआत में तो सिर्फ उसे डांट ही सुननी पड़ती थी। पर जब उसकी मां को पता चला कि ८० अरब डॉलर की एनीमेशन इंडस्ट्री में इस क्षेत्र में अच्छा कॅरिअर भी बनाया जा सकता है तो गौतम को प्रोत्साहन भी मिलने लगा। गौतम जैसे न जाने कितने युवा है जो न सिर्फ गेम्स के शौकीन हैं बल्कि इस इंडस्ट्री में अपनी काबिलियत के दम पर एक अच्छे भविष्य का सपना भी देख सकते हैं। हाल ही के कुछ वर्षों में एक ये बदलाव भी देखने को मिला है कि घरों के आस- पास के पार्कों में खेलने आने वाले बच्चों की तदाद कम हो गई है। तकनीकीकरण और कंप्यूटराइजेशन के इस युग में बच्चे अपना कंप्यूटर और एक्स बॉक्स के साथ समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं। यही है भारत में गेमिंग इंडस्ट्री का आगमन।

भारत में गेमिंग इंडस्ट्री

भारत में कंप्यूटर गेम्स, ऑनलाइन गेम्स और मोबाइल गेम्स का बाजार आज काफी तेजी से उठ रहा है। अगर मूल गेमिंग इंडस्ट्री के आंकड़े उठाए जाएं तो भारत में ४ से ६ बड़ी गेम्स निर्मात कंपनियों है और लगभग १०० मध्यम वर्ग की निर्मात कंपनियां, "धुव्र इंटरएक्टिव", "इंडिया गेम्स" , "पैराडॉक्स स्टूडियो", "स्कॉफट्स व "गेमक्षेत्र" इनमें से कुछ प्रमुख है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी गेमिंग कंपनी इलेक्ट्रॉनिक आर्ट्स ने भी अपनी मोबाइल गेमिंग इकाई हैदराबाद में खोली है। इन आंकड़ों के अनुसार भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री फिलहाल करीब ४५० करोड़ रुपए की लागत रखती है और वर्ष २०१२ तक ये १४०० करोड़ रुपए का आंकड़ा भी छू लेगी।

रोजगार के अवसर

इस मांग को देखते हुए गेमिंग इंडस्ट्री में तकनीकी विशेषज्ञों की मांग बढ़ रही है। इस वर्ष के अंत तक एनिमेशन इंडस्ट्री में लगभग ३ लाख लोगों की आवश्यकता पड़ेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, वर्तमान में एनिमेशन उद्योग में करीब ३ लाख लोगों की जरूरत है। इस उद्योग में मुख्य रूप से प्रोफेशनल लोगों की किल्लत है।

यही नहीं, गेम डिजाइन विशेषज्ञों के साथ साथ प्रशिक्षित गेम डिजाइनरों की भी भारी मांग है। इस दिशा में आपूर्ति की लिए मैक जैसी संस्थानों ने "गेम डिजाइन व इंटरग्रेशन" में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स जैसे कई अन्य कोर्स लांच किए हैं। इन पाठ्यक्रमों में गेम तकनीक के साथ साथ गेम इंजन इंटरग्रेशन भी सिखाया जाएगा।

इस दिशा में आगे मूविज व टीवी प्रसारण जैसे क्षेत्रों में जाने के रास्ते भी खुल जाते हैं। फिलहाल भारत में लगभग ३०० पंजीकृत एनिमेशन कंपनियां है जिनमें १२,००० से अधिक लोग नौकरी करते हैं और करीब ३,००० फ्रीलांसर काम करते हैं। वित्त वर्ष २००७ में भारतीय एनिमेशन उद्योग की कुल संपति करीब १,५९५ करोड़ रुपए आंकी गई थी जो कि प्रति वर्ष २४ से ३० प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है।

एक ताजा सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय मनोरंजन और मीडिया इंडस्ट्री, जो कि वर्ष २००६ में ११ अरब रुपए की थी, वर्ष २०११ में बढ़कर २९ बिलियन रुपए हो जाएगी। इसी तरह गेमिंग इंडस्ट्री, जो कि उस समय २ अरब रुपए की है, बढ़कर (लगभग ६८ प्रतिशत वृद्धि) २८.५ अरब तक पहुंच जाएगी। विशेषज्ञों का यह भी मानना हैकि एनिमेशन उद्योग में गेमिंग के अलावा फिल्मों में ब़ढ़ता इस्तेमाल एनिमेशन जगत से इतर काफी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएगा।

प्रिंस ऑफ पर्शिया से लेकर जीटीए सेन एंड्रयूच, कॉल ऑफ ड्युटी, ऐंससेंस क्रीड मास इफेक्ट जैसे गेम्स आज युवाओं के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। तो अगर आपका बच्चा गेम्स में अधिक रुचि लेता है तो इस विषय में गंभीरता से सोचिए। क्या पता, खेल-खेल में वो अपना भविष्य संवार ले!!!(दीपिका,मेट्रो रंग,नई दुनिया,दिल्ली,26.7.2010)

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