कानूनी जानकारों की जरूरत व्यक्ति और समाज को हमेशा से ही रही है। एक ओर कानून और इसके महत्व को लेकर अब आम लोग भी काफी जागरूक हो चुके हैं, तो वहीं दूसरी ओर समाज की जटिल होती प्रकृति ने कानून के कार्यक्षेत्र को और विस्तार दे दिया है। सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बदलते वक्त के साथ लॉ के एक्सपर्ट की डिमांड निरंतर बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि लीगल प्रोफेशन आज समाज में बेहद सम्माननीय माना जाता है, जिसकी पढ़ाई एक बेहतर कैरियर की दिशा निर्धारित करती है। वैसे किसी भी कॉलेज से कानून की पढ़ाई से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी ले लें। इस संबंध में बार काउंसिल ऑफ इंडिया से सलाह ली जा सकती है।
कैसे-कैसे कोर्स
कानून की पढ़ाई के लिए छात्रों का स्नातक होना जरूरी है। ऐसे छात्र तीन वर्षीय एलएलबी (पोस्टग्रेजुएट कोर्स) में एडमिशन ले सकते हैं। 12वीं के बाद पांच वर्षीय बीएएलएलबी (अंडरग्रेजुएट कोर्स) में दाखिला लिया जा सकता है। लॉ पढ़ाई के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है, जैसे क्रिमिनल लॉ, सिविल लॉ, इनकम टैक्स लॉ, इंटरनेशनल लॉ, लेबर लॉ, पेटेंट लॉ, कॉरपोरेट लॉ, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ, ह्यूमन राइट्स, रीयल एस्टेट लॉ, एनवॉयरमेंट लॉ, साइबर लॉ, को-ऑपरेटिव लॉ आदि। विभिन्न संस्थानों द्वारा विशेष क्षेत्रों में डिप्लोमा व पीजी डिप्लोमा जैसे कोर्सेज भी कराए जाते हैं। एलएलबी के बाद एलएलएम का कोर्स किया जा सकता है।
प्रवेश परीक्षा
कुछ संस्थानों में स्नातक में मिले अंकों को आधार बनाया जाता है, पर अधिकांश संस्थानों में नामांकन के लिए प्रवेश-परीक्षा से गुजरना होता है। इसमें सबसे प्रमुख है कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट , जिसके माध्यम से सात विधि संस्थानों में प्रवेश मिलता है। एलएलबी में दाखिले के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अधिकतम आयु सीमा 30 वर्ष, जबकि पांच वर्षीय इंटिग्रेटेड लॉ कोर्स के लिए 20 वर्ष तय की गई है। अधिकांश प्रवेश परीक्षाओं में रीजनिंग, जनरल अवेयरनेस, न्यूमेरिकल एप्टीट्यूड, लीगल एप्टीट्यूड और प्रीलिमिनरी पोलिटिकल साइंस से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं।
कार्य की रूपरेखा
इसमें सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में जॉब के मौके मिल जाते हैं। सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए इंडियन लीगल सर्विस या स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। सरकारी जॉब के तहत लॉ ऑफिसर, असिस्टेंट एडवाइजर, डिप्टी लीगल एडवाइजर, लीगल एडवाइजर के रूप में नियुक्ति होती है। इसी तरह डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज, मजिस्ट्रेट, सब-मजिस्ट्रेट, अटॉर्नी जनरल, एडवोकेट जनरल, पब्लिक प्रॉसीक्यूटर, ओथ कमिश्नर, नोटरी, पब्लिक डिफेंडर आदि के रूप में काम करने के मौके मिलते हैं। इसके अलावा बैंकों तथा इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स व एक्साइज डिपार्टमेंट में भी जॉब के अवसर मिलते हैं। इंडियन डिफेंस में भी इनकी जरूरत होती है। इसके लिए समय-समय पर रिक्तियां निकलती रहती हैं। विभिन्न फर्म्स में कंपनी सेक्रेटरी के रूप में भी वकीलों की नियुक्ति होती है। इसके अलावा लीगल कंसल्टेंट, टीचर, कानूनी लेखक आदि के रूप में काम करने के मौके मिलते हैं। एनजीओ में भी कानूनी जानकारों की सेवाएं ली जाती हैं। एडवोकेट के रूप में प्रैक्टिस करते हुए हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक अपने भविष्य की रूपरेखा तय की जा सकती है।
व्यक्तिगत योग्यता
इस क्षेत्र में सफलता के लिए संबंधित क्षेत्र में कानूनी जानकारी के साथ-साथ अत्यंत ही सक्रिय रहने की जरूरत है। कम्युनिकेशन स्किल के अलावा लिखने की बेहतर क्षमता भी होनी चाहिए। तर्क-वितर्क करने की क्षमता के साथ-साथ धैर्य और लोगों से मिलने-जुलने में रुचि भी जरूरी है। इस प्रोफेशन में सफलता के लिए परीक्षा के अंकों से भी बढ़कर व्यक्तिगत योग्यता आपकी सफलता का आधार बनती है।
एजुकेशनल लोन
कई ऐसे विषय हैं, जिनके लिए लोन लेना मुश्किल नहीं होता। लॉ भी उनमें से एक है। देश-विदेश में अध्ययन के लिए जरूरी शर्तों को पूरा करने पर 10 से 20 लाख रुपये तक का लोन मिल जाता है। विजया बैंक, आंध्रा बैंक आदि विभिन्न बैंकों से लॉ की पढ़ाई के लिए लोन लिया जा सकता है।
आमदनी
डिग्री मिलने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया अथवा स्टेट बार काउंसिल के साथ पंजीकृत होना पड़ता है। उसके बाद ही एक वकील के रूप में काम करने की इजाजत मिलती है। सरकारी नौकरी में निर्धारित वेतनमान के अनुसार सैलरी मिलती है, पर निजी क्षेत्र में सैलरी आपके अनुभव पर निर्भर करती है। इस फील्ड में प्राइवेट प्रैक्टिस में आमदनी की कोई सीमा नहीं है(के.राजीव,अमर उजाला,दिल्ली,15.9.2010)।
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