हरियाणा में पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को अब वार्षिक परीक्षाओं का भूत नहीं सताएगा। प्रत्येक सरकारी स्कूल में कक्षा इंचार्ज ही विद्यार्थियों की परीक्षा लेंगे और इससे संबंधित रिकार्ड तैयार करेंगे। खेलकूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के अंक अलग से जोड़े जाएंगे। हरियाणा मौलिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश भर सभी मौलिक शिक्षा अधिकारियों की चंडीगढ़ में हुई बैठक में इस फैसले को अमलीजामा पहनाने के आदेश जारी किए हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 से प्रदेश में 6 से 14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को स्कूलों से जोड़कर उनकी मौलिक शिक्षा सुनिश्चित करना है। इस अधिनियम के लागू होने के बाद बच्चे परीक्षाओं के तनाव से दूर रहेंगे। इस संबंध में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बीरबल चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार के शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों की परीक्षाएं नहीं लेने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि बच्चों को कक्षा स्तर पर ही टेस्ट देना होगा। अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेने पर विद्यार्थियों को अलग से अंक दिए जाएंगे। हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के जिला सचिव विनोद कुमार का कहना है कि बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं को लेकर पहले भी अध्यापक संघ सरकार व शिक्षा विभाग से पुरानी परीक्षा प्रणाली को खत्म कर बच्चों की सतत मूल्यांकन प्रणाली लागू किए जाने की वकालत कर चुका है। उन्होंने कहा कि अधिकांश बच्चे परीक्षा में पास होने के लिए केवल रट्टा लगाते हैं, सीखते नहीं(संजय वर्मा,भिवानी,दैनिक जागरण,4.11.2010)।
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