सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापक, प्राचार्य और अधिकारियों की पदोन्नति के पहले उच्च शिक्षा को अब वरीयता के झंझटों से नहीं जूझना होगा। बल्कि आपत्ति लगाने वाला खुद ही घेरे में आ जाएगा। इतना ही नहीं, गलती मिलने पर प्राचार्य के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। यह सब होने जा रहा है वरीयता के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा बनाई जा रही विशिष्ट रिकार्ड शीट (ईआर शीट) के जरिए। विभाग ने प्रदेश भर के अमले की त्रुटि रहित वरीयता बनाने के लिए एक नया सिस्टम लागू किया है। इस सिस्टम में न केवल गलतियों को रोकने के लिए कई चेक लगाए गए हैं, बल्कि हर चरण के लिए समय सीमा भी तय की गई है। पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड इस विशिष्ट शीट में एक-एक इंच जगह के इस्तेमाल के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। इस नई व्यवस्था में खासबात यह है कि यह शीट संबंधित अधिकारी व शिक्षक को ही चेक करना होगी। किसी भी तरह की कमी या भिन्नता होने पर उसे सुधारकर अपने प्राचार्य को लौटाएंगे। संबंधित अधिकारी या शिक्षक द्वारा सुधारी गई जानकारी की जांच कर प्राचार्य द्वारा साफ्टवेयर भी भरी जाएंगी। साथ ही इसकी दो प्रतियां उक्त अधिकारी को देंगे। संतुष्ट होने पर शिक्षकों द्वारा निर्धारित स्थान में हस्ताक्षर किए जाएंगे। पूरी जानकारी की मूल प्रति से मिलान करने की जिम्मेदारी भी प्राचार्य की होगी। खासबात यह है कि प्राचार्यो द्वारा यह जानकारी सीधे आयुक्त कार्यालय को रजिस्टर्ड डाक या विशेष वाहक से भेजी जाएगी। पूरी शीट में किसी तरह की काटछांट करने की अनुमति नहीं होगी। काटछांट होने पर आयुक्त कार्यालय द्वारा डाक स्वीकार ही नहीं की जाएगी। लियन वालों के लिए भी अनिवार्य : प्रतिनियुक्ति और लियन पर दूसरे विभाग या कार्यालयों में कार्यरत शिक्षकों व अधिकारियों के लिए भी इस शीट को भरना अनिवार्य होगा। ऐसे शिक्षकों को अपनी शीट खुद ही भरकर संचालनालय की अतिरिक्त संचालक डॉ. इंदुप्रभा तिवारी को देना होगी। संचालनालय के इस कदम से निर्धारित अवधि के बाद भी लियन या प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत अमले का भी रिकार्ड खुद ब खुद बन जाएगा। मुश्किल में आएंगे घर बैठे शिक्षक : तबादलों के बाद अपने नए कालेज में आमद न देने वाले शिक्षक इस व्यवस्था से मुश्किल में आ सकते हैं। संचालनालय के निर्देशों के मुताबिक रिलीव हो चुके अमले की जानकारी प्राचार्य नहीं भर सकेंगे। ऐसे शिक्षकों को उसी कालेज के प्राचार्य से जानकारी भरवाना होगी, जहां के लिए उन्हें रिलीव किया गया है। सबसे अधिक परेशानी उन शिक्षकों को होगी, जिन्होंने तबादले के बाद भी नए कालेज में आमद दर्ज नहीं कराई है। लंबे समय से घर बैठे शिक्षक इस नए सिस्टम से जुड़ ही नहीं सकेंगे और न ही उनका कोई रिकार्ड तैयार होगा। परिणाम स्वरूप उन्हें भविष्य में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। प्राचार्य को खास जिम्मेदारी : इस पूरे सिस्टम में प्राचार्य को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। अव्वल तो शिक्षकों द्वारा बताई गई कमियों और नए सिरे से दी गई जानकारी की जांच करना होगा। मूल प्रति से मिलान भी प्राचार्य ही करेंगे। इसके अलावा हर पेज पर अपने और संबंधित स्टाफ के हस्ताक्षर कराना होगा। इतना ही नहीं, किसी भी तरह के मतभेद पर प्राचार्य अपना अभिमत देंगे। इसके अलावा ईआर शीट पर निर्धारित स्थान के अलावा कहीं कुछ लिखा नहीं जाएगा। काटछांट भी नहीं की जाएगी। सबसे खासबात होगी समय सीमा। निर्धारित समय के बाद किसी का भी रिकार्ड जमा नहीं होगा। वहीं समय सीमा में कार्य न होने पर प्राचार्य के खिलाफ बिना किसी नोटिस के विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। अन्य विभागों के लिए आदर्श : उच्च शिक्षा का यह प्रयोग सफल होने पर प्रदेश के अन्य विभागों के लिए आदर्श साबित हो सकता है। इस तरह का कंप्यूटराइज्ड डाटा और रिकार्ड केंद्रीयकृत रूप से उपलब्ध हो सकेगा। वहीं त्रुटिरहित वरीयता सूची तैयार होना एक उपलब्धि होगी। इससे समयबद्ध पदोन्नति देने में भी आसानी हो जाएगी(दैनिक जागरण,भोपाल,२७.११.२०१० )।
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