पिछड़ों को सब्सिडी देने का दावा करने वाली पंजाब सरकार राज्य के कम आय वर्ग के लोगों को शिक्षा ऋण में ब्याज माफी का लाभ दिलाने में असमर्थ रही है। पिछले केंद्रीय बजट में प्रावधान किया गया था कि निर्बल आय वर्ग के लोगों को शिक्षा ऋण में ब्याज सब्सिडी दी जाएगी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की इस योजना के तहत, राज्य सरकार को ना तो किसी तरह का हिस्सा जमा करवाना था और ना ही कोई योगदान डालना था। केवल इस योजना को राज्य में लागू करना था। मंत्रालय ने इस संबंध में चार अप्रैल को राज्य के शिक्षा सचिव व वित्त सचिव को नोटिफिकेशन की कापी भी भेज दी। इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन के चेयरमैन व प्रबंधकीय निदेशक ने भी सभी बैंकों को 25 मई को आदेश जारी कर दिए। योजना के तहत साढ़े चार लाख रुपये सालाना तक की आय वाले उन सभी लोगों को ब्याज सब्सिडी का लाभ मिलना था जो उचित योग्यता रखते हों। योजना को वर्ष 2009-10 शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाना था। बारहवीं कक्षा के बाद किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से तकनीकी या व्यावसायिक कोर्स करने के लिए 10 लाख तक के लोन की इस योजना के लिए जिला प्रशासन को उत्तरदायी बनाया गया है। कम आय का प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार तहसीलदार को सौंपा गया लेकिन हैरानी की बात है कि राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन की कापी तहसीलदारों तक पहुंचाई ही नहीं जिसकी वजह से वे आय का प्रमाण पत्र जारी ही नहीं कर सके। ऐसे में सैकड़ों परिवार केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ लेने से वंचित रह गए। पटियाला के तहसीलदार सुभाष भारद्वाज कहते है कि अभी तक एक-दो लोगों ने ही संपर्क किया है। लेकिन नोटिफिकेशन की कापी न होने के कारण वे कुछ भी नहीं कर सकते। मुख्यालय से पत्र मंगवा कर वे प्रमाण पत्र जारी कर देंगे(भूपेश चड्ढा,दैनिक जागरण,पटियाला,26.11.2010)।
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