पंजाब में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के लिए भले ही बड़े-बड़े दावे किए जाते हों, हकीकत है कि राज्य के तकरीबन चार हजार उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से मात्र 207 स्कूलों में ही मानक के मुताबिक, शिक्षक और अन्य स्टॉफ नियुक्त हैं। सैकड़ों स्कूल तो बिना गुरुओं के चल रहे हैं। विभागीय आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाये तो पंजाब के चार हजार अपर प्राथमिक विद्यालयों में से मात्र दो सौ सात स्कूलों में ही पूरा स्टॉफ है। शेष स्कूल या तो एक ही अध्यापक के सहारे चले हुए हैं या फिर इक्का-दुक्का स्कूलों में ही दो से ज्यादा अध्यापकों की व्यवस्था है। एक तरफ केंद्र सरकार भारी भरकम पैसा खर्च करके राज्यों में सर्वशिक्षा अभियान चलाकर सबको साक्षर बनाने के साथ-साथ शिक्षा कानून को राज्यों में सख्ती से लागू करने में जुटी हुई है परंतु दूसरी तरफ यदि नजर दौड़ाई जाए को यह सब बेमानी सा प्रतीत हो रहा है और केंद्र व राज्य सरकार के सारे दावे व वादे भी हवा हवाई ही लगते हैं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, अमृतसर में 18, बरनाला 10, बठिंडा 17, फतेहगढ़ साहिब 21, फिरोजपुर 20, फरीदकोट 6, होशियारपुर 7, गुरदासपुर 3, जालंधर 11, कपूरथला 5, लुधियाना 9, मानसा 2, मोगा 9, मुक्तसर 24, मोहाली 10, पटियाला 17, रुपनगर 8 और संगरुर के 10 सरकारी अपर प्राथमिक स्कूल ही ऐसे हैं जिनमें पूरा स्टॉफ है। विभाग की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक, तरनतारन व शहीद भगत सिंह नगर का एक भी अपर प्राथमिक स्कूल ऐसा नहीं जिसके पास पूरा स्टॉफ हो। विभाग की ओर से जारी लिस्ट में 86 हाई, 86 मिडिल स्कूल व 121 सीनियर सेकेंडरी स्कूल है। होशियारपुर में मात्र सात स्कूलों में ही स्टॉफ पूरा है। मुक्तसर जिले में सबसे अधिक 24 अपर प्राइमरी स्कूल है जहां कि पूरा स्टॉफ है। गुरदासरपुर के सबसे कम मात्र तीन स्कूलों में ही पूरा स्टॉफ है। राज्य के स्कूली शिक्षा महानिदेशक ने भी इस बात को स्वीकारा है(लोकेश चौबे,दैनिक जागरण,होशियारपुर,26.11.2010)।
पंजाब मे हर विभाग का यही हाल है। बादलों को गरजने बरसने से समय मिले तो तो देखें।
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