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11 दिसंबर 2010

चंडीगढ़ः12 वर्ष पहले चुने 31 पीसीएस अधिकारियों की नियुक्ति को हरी झंडी

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आखिकार 12 वर्ष पूर्व चयनित 31 पीसीएस (न्यायिक) अधिकारियों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी। आज 17 अधिकारियों को नियुक्ति आदेश जारी किये गये।
उल्लेखनीय है कि पंजाब लोक सेवा आयोग (पीपीएससी) में घोटाले के बाद फुल कोर्ट ने पीपीएससी चेयरमैन रवि सिद्धू के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों को रद्द करने की सिफारिश की थी। इन 12 वर्षों में कई तो अन्य जगहों पर चुने जा चुके हैं परन्तु 1998, 1999 तथा 2000 बैच के याचिकाकर्ता अधिकारियों के बर्खास्तगी के आदेश स्वयं हाईकोर्ट ने कानूनी पहलू के तहत पलट दिये। नियुक्ति आदेश तब आये जब हाईकोर्ट की पुनर्विचार याचिका जो तीन माह पूर्व दायर की गयी थी, को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट की फुल कोर्ट ने 25 मई, 2002 में चार जजों की एक कमेटी गठित करते हुए प्रस्ताव पास किया कि प्रेस और इलेक्ट्रानिक मीडिया में इस कोर्ट के कुछ जजों और उनके संबंधियों पर लगे आरोप काफी चिंतित करने वाले हैं। 12 अगस्त, 2002 को फुल कोर्ट ने कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकारते हुए सभी चार बैचों के अधिकारियों की सेवाएं समाप्त करने की सिफारिश की थी।
इस मामले के न्यायिक पहलू के तहत हाईकोर्ट के तीन जजों के बेंच ने याचिकाकर्ता अधिकारियों की पुनर्नियुक्ति के आदेश जारी किये। बेंच की ओर से जस्टिस भल्ला ने आदेश दिये कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह लगे कि 1998 बैच की नियुक्ति प्रक्रिया में कुछ गलत है। इसलिए न्यायिक पहलू के तहत उनसे रोटी नहीं छीनी जा सकती। यह आदेश जारी करने के तुरंत बाद हाईकोर्ट ने प्रशासनिक पहलू के तहत इन निर्देशों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया। इस पर तीन जजों की पीठ जिसमें जस्टिस दीपक वर्मा, जस्टिस बीएस चौहान तथा जस्टिस केएस राधाकृष्णन ने आदेशों को पलटने से इनकार कर दिया। इस पर हाईकोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने कहा कि पुनर्विचार याचिका तथा उससे संबद्ध पेपर देखने के बाद ऐसा कुछ नहीं लगा जिस कारण आदेशों पर पुनर्विचार किया जाये। अत: याचिका को खारिज किया जाता है(सौरभ मलिक,दैनिक ट्रिब्यून,चंडीगढ़,11.12.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. जब ऐसे दागी अफसरों को खुले आम छोड दिया जाता है तो भ्रष्टाचार खत्म करने का सपना लेना ही बेकार है। अब तो न्याय से भी विश्वास उठता जाझा है।अति दुखद।

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