इंदौरःकॉलेजों पर शिकंजा, मचा हड़कंप
उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर कॉलेजों के खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई शनिवार को भी जारी है। दोपहर में रजिस्ट्रार डॉ. परीक्षित सिंह और उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. नरेंद्र धाकड़ के नेतृत्व ने देवास नाका स्थित एक कॉलेज पहुंचकर छापामार कार्रवाई की। टीम देर शाम तक छापे मारेगी।
कई कॉलेजों में जाएगी टीम: इस दौरान लगभग आधा दर्जन कॉलेजों में टीम जाएगी। टीम के साथ अब कुछ ऐसे अधिकारी- कर्मचारी भी शामिल हैं, जो दस्तावेजों की मौके पर ही तकनीकी जांच कर सकें। सूत्रों के मुताबिक इस कार्रवाई से कई कॉलेजों में हड़कंप मचा हुआ है। कार्रवाई के दौरान कॉलेजों से एडमिशन और डिग्री संबंधी दस्तावेज जब्त किए जा रहे हैं।
जारी रहेगी कार्रवाई: जानकारी के मुताबिक सोमवार को जिन कॉलेजों पर कार्रवाई होना है, उसकी लिस्ट तैयार हो गई है और इनमें कई बड़े कॉलेज हैं। डॉ. धाकड़ ने बताया यह कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। लगभग सभी कॉलेजों में कार्रवाई की जाएगी। जिन कॉलेजों की शिकायतें मिली हैं, पहले वहां कार्रवाई की जा रही है(दिनेश जोशी,दैनिक भास्कर,इन्दौर,4.12.2010)।
हटेंगे डी-ग्रेड सब-इंजीनियर
प्रदेशभर में सरकारी स्कूल भवनों की बदहाली के पीछे सिविल कार्यों में भारी अनदेखी को राज्य शिक्षा केंद्र (आरएसके) ने गंभीरता से लिया है।
तय की थी ग्रेडिंग: आरएसके ने ए से डी तक की ग्रेडिंग प्रत्येक सब-इंजीनियर के लिए तय की थी। अब डी ग्रेड वालों को आगे सेवा में नहीं रखा जाएगा वहीं सी गे्रड वालों को शोकाज नोटिस दोबारा दिए जाएंगे। उचित जवाब नहीं मिलने पर उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। आरएसके ने पोर्टल इंट्री को माध्यम बनाकर प्रदेश के 50 जिलों की ग्रेडिंग की थी, इसमें 28 को सी, 10 को डी, 11 को बी और एक जिला ए ग्रेड में था। ग्रेडिंग का आधार स्कूल भवन, बाउंड्रीवॉल, शौचालय, किचन शेड के निर्माण और मॉनीटरिंग जैसे विषय थे।
निगम की गलती भी सामने आई: स्थानीय जिला शिक्षा केंद्र के सहायक परियोजना समन्वयक सुरेश बैस के मुताबिक इंदौर में दो सब-इंजीनियर डी ग्रेड में थे, जिसमें से एक ऋतु उपाध्याय इस्तिफा दे चुकी है वहीं अन्य लक्ष्मी मालवीय का काम निगम सीमा में है। निगम के कारण 50 से ज्यादा काम अधूरे है। फिलहाल रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है। सी ग्रेड में आए सब इंजीनियरों को कारण बताओ नोटिस दिए जा रहे है।
यह ग्रेड मिली थी जिलों को
ए- सागर
बी - 11 (इंदौर संभाग का एक भी जिला नहीं)
सी- 28 (इंदौर, झाबुआ, अलिराजपुर, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, धार)
डी- 10 (इंदौर संभाग से बड़वानी शामिल)
(जिला वार ग्रेडिंग के अलावा इंजीनियरों की व्यक्तिगत ग्रेडिंग भी थी)
(हरि नारायण शर्मा,दैनिक भास्कर,इन्दौर,4.12.2010)
ग्वालियरःशिकंजे में कॉलेज, तीन के खिलाफ एफआईआर
खुद को मध्यप्रदेश के बाहर के विश्वविद्यालयों से मान्यताप्राप्त बताकर छात्रों से धोखाधड़ी करने वाले तीन कालेज के खिलाफ शहर पुलिस ने शानिवार को धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर लिया। दो कालेज के खिलाफ शुक्रवार को प्रकरण दर्ज किया गया था। अब मात्र एक कालेज नुसरोल बची है जिसके खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है।
पिछले एक सप्ताह से ग्वालियर में निजी विवि नियामक आयोग की टीम काजेल व शिक्षण संस्थानों का निरीक्षण कर रही है। इसमें सिंबायोसिस, ईसीपीसी, नुसरोल, अपार्क, सीआईटीएम व ओम शिक्षा समिति का निरीक्षण किया था जिसमें ये कालेज खुद को निजी विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त बता रही थी लेकिन ये बिना मान्यता से फर्जी ढंग से संचालित हो रही थी। इस पर कंपू, इंदरगंज, विवि व ग्वालियर थाना पुलिस ने कालेज संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर लिया। शुक्रवार को ईसीपीसी, अपार्क व सीआईटीएम व सिंबायोसिस के संचालकों के खिलाफ पुलिस ने धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया था(प्रदीप शर्मा,दैनिक भास्कर,4.12.2010)।
होशियार और कमजोर बच्चों के लिए होंगी अलग कक्षाएं
दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम सुधारने के लिए लोक शिक्षण संचालनालय अब ग्रेडिंग फार्मूले का सहारा लेने जा रहा है। ग्रेडिंग के आधार पर होशियार छात्रों के लिए विशेष कक्षाएं और कमजोर छात्रों के लिए निंदानात्मक (व्याख्यात्मक) कक्षाएं लगाई जाएंगी। जबकि सामान्य कक्षाएं पहले की तरह चलती रहेंगी।
त्रैमासिक और छैमाही परीक्षा के आधार पर दसवीं कक्षा के छात्रों को पांच श्रेणियों में बांटा जाएगा। इनमें ए, बी, सी ग्रेड के विद्यार्थियों के लिए विशेष कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। जबकि डी और ई ग्रेड (कमजोर विद्यार्थी) के विद्यार्थियों के लिए निंदानात्मक कक्षाएं लगाई जाएंगी। विशेष कक्षाएं शाम 4 से 5 बजे तक लगाई जाएंगी। जबकि निंदानात्मक कक्षाएं प्रात: 10 से 12 बजे तक लगाई जाएंगी।
इस बीच सामान्य कक्षाएं अपने तय समय अनुसार लगती रहेंगी। जिला शिक्षाधिकारी मोहर सिंह सिरकवार ने बताया कि कमजोर विद्यार्थियों (डी एवं ई ग्रेड) की सीखने की प्रक्रिया में ए, बी, और सी श्रेणी के विद्यार्थी बाधक होते हैं। इसलिए लोक शिक्षण राज् अकादमिक समन्वय ने ए बी सी श्रेणी के छात्रों को निदानात्मक कक्षाओं से दूर रखने के निर्देश दिए हैं(हरेकृष्ण डुबोलिया,दैनिक भास्कर,ग्वालियर,4.12.2010)।
सिखाओ योग और लो पुरस्कार
योग को प्रोत्साहन देने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग अब योग पुरस्कार देगा। योग के क्षेत्र में काम कर रही संस्था को यह पुरस्कार राज्य स्तरीय चयन समिति देगी। पुरस्कार स्वरुप संबंधित संस्था या व्यक्ति को एक लाख रुपए, शाल व प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।
आज भी यथावत है महत्व: विभाग के अवर सचिव बाबूलाल जैसवार के आदेश के मुताबिक भारत की इस प्राचीन पद्धति का महत्व आज भी यथावत है। योग का प्रचार-प्रसार जनसामान्य के बीच हो, इसके लिए राज्य शासन यह सम्मान उस संस्था या व्यक्ति को देगा जिसने योग के क्षेत्र में पिछले दस साल तक काम किया हो। पुरस्कार चयन मध्यप्रदेश योग परिषद द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी करेगी। नए वर्ष में यह सम्मान शुरू किया जाएगा। उक्त पुरस्कार का बजट लोक शिक्षण संचालनालय देगा।
स्कूलों में भी की थी शुरूआत: इससे पहले पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मणसिंह गौड़ ने स्कूलों में योग की शुरूआत करवाई थी। इसके लिए योग शिक्षक भी नियुक्त किए गए थे। समय-समय पर विभाग इस संबंध में निर्देश भी देता है, हालांकि अधिकांश स्कूलों में इसका पालन नहीं होता(हरि नारायण शर्मा,दैनिक भास्कर,इन्दौर,4.12.2010)।
जबलपुरःसर्व शिक्षा अभियान में ड्रेस और साइकिल की बंदरबांट
सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत बंटने वाली नि:शुल्क गणवेश और साइकिल वितरण को कागजों पर सभी स्थानों पर बांट लिया गया है, जबकि हकीकत यह है कि जिले के 20 से 25 प्रतिशत स्कूलों में दो जोड़ी गणवेश पूरी तरह नहीं बंटी है। इसके साथ ही साइकिलों का वितरण भी कई स्कूलों में नहीं हुआ है।
इसी तरह एजुकेशन पोर्टल पर जो आंकड़े फीड किये जाते हैं, उन्हें भी अप-टू-डेट कर दिया गया है। जन शिक्षा केन्द्रों तथा विद्यालयों में कई विषयों की पुस्तकों का वितरण अभी तक नहीं हुआ है, जबकि शासन स्तर पर इन्हें काफी पहले उपलब्ध करा दिया गया है।
पुस्तकें दीमक खा रहीं
पीएसएम के पास स्थित कार्यालय में लाखों रुपयों की किताबें दीमक खा रही हैं। मॉनीटरिंग के नाम पर कागजों में निरीक्षण चल रहे हैं। मौके पर जाकर कोई हकीकत नहीं देखी जा रही, इसका परिणाम यह है कि मनमर्जी से स्कूल खुल रहे हैं और बंद हो रहे हैं। इसी तरह जनपद शिक्षा केन्द्र के अंतर्गत आने वाले अधिकारियों को समय पर वेतन न मिलना भी एक कठिन समस्या है, इसको लेकर भी बैठक में विचार-विमर्श हो सकता है(दैनिक भास्कर,4.12.2010)।
रानी दुर्गावती विविः44 में से ‘36’ छात्र फेल
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग के एमएससी द्वितीय सेमेस्टर के तकरीबन सभी छात्र विगत दिनों घोषित परीक्षा परिणाम में फेल हो गए हैं। पढ़ाई करने वाले होनहार छात्रों तक को शून्य से लेकर दो या तीन अंक मिले हैं। यह देखकर छात्रों में रोष व्याप्त है। छात्रों ने एकजुट होकर इसकी शिकायत कुलसचिव से की।
कुलसचिव आरडी मुसलगांवकर ने बताया कि छात्रों के अंक काफी कम आए हैं। यही वजह है कि छात्र उनसे मिलने आए थे। परिणाम इतना खराब है कि कक्षा में मौजूद 44 छात्रों में से केवल 8 छात्र ही पास हुए हैं और बाकी 36 छात्र एटीकेटी व फेल का शिकार हुए हैं। छात्रों ने बताया कि उनकी कक्षा में पढ़ाई नहीं होती, संबंधित विषयों के प्रैक्टिकल नहीं होते हैं। उसके बाद परिणाम इतना खराब आया है, जिसकी उम्मीद छात्रों को नहीं थी।
कुलपति से मिले
पता चला है कि एमएससी प्रथम सेमेस्टर के छात्रों ने भी विगत चार दिनों पहले कुलपति से मुलाकात में यह बताया कि उनके 3 पेपर की कक्षा आज तक लगनी शुरू नहीं हुई है। इधर दिसम्बर के अंत या जनवरी के प्रथम सप्ताह में छात्रों की सेमेस्टर परीक्षाएं है और कोर्स पूरा तो क्या शुरू भी नहीं हुआ है। कुलसचिव ने विभाग को पत्र लिखकर जवाब मांगा है(दैनिक भास्कर,जबलपुर,4.12.2010)।
करोड़ों तक पहुंचा फर्जी डिग्री कारोबार
ग्वालियर अंचल में बड़े पैमाने पर शिक्षा माफिया सक्रिय हैं, जो बाहरी प्रदेशों के विश्वविद्यालयों से संबद्धता का झांसा देकर छात्रों से जमकर धन कूट रहे हैं। हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग की छापामार कार्रवाई में सामने आया है कि अंचल में आधा सैकड़ा फर्जी कॉलेज चल रहे हैं, जो सालाना 30 से 35 करोड़ रु. कमा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार अंचल में चल रहे फर्जी कॉलेज बाहरी प्रदेशों के विवि से संबद्धता दर्शा कर दूरस्थ शिक्षा के नाम पर स्नातक एवं स्नातकोत्तर की प्रोफेशनल डिग्री बांट रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शहर के सात कॉलेजों में अब तक हुई छापामार कार्रवाई में मिले दस्तावेज के आधार पर एक छात्र से औसतन प्रोफेशनल कोर्स के नाम पर 30 से 35 हजार रुपए वसूल किए जाते हैं। जानकारी के मुताबिक अंचल में फर्जी कॉलेज/ स्टडी सेंटर्स में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या प्रतिवर्ष 10 हजार से अधिक है। इस हिसाब से फर्जी कॉलेजों का सालाना का व्यापार लगभग 30 से ३५ करोड़ रुपए का बताया जा रहा है।
150 से अधिक कोर्स: अंचल में फैले फर्जी कॉलेज एवं स्टडी सेंटर में विनायक मिशन यूनिवर्सिटी एवं पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी के नाम पर 150 कोर्स में प्रवेश दिया जा रहा है, जो डिप्लोमा एवं डिग्री स्तर के हैं।
प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा फर्जी कॉलेजों के खिलाफ अब तक चलाई गई मुहिम को लेकर शनिवार को भोपाल में बैठक होगी। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में फर्जी कॉलेजों के खिलाफ आगामी कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा। छापामार कार्रवाई में मिले दस्तावेजों के आधार पर सामने आया है कि अंचल में प्रतिवर्ष 10 हजार से अधिक छात्रों को फर्जी कॉलेजों द्वारा डिग्रियां बांटी जा रही हैं। प्रोफेशनल कोर्स के नाम पर प्रत्येक छात्र से 30 से 35 हजार रुपए फीस के तौर पर वसूल किए जाते हैं-डॉ. यूएन शुक्ला, ओएसडी, मप्र निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग
कॉलेज संचालकों पर केस दर्ज
प्रदेश से बाहर के विश्वविद्यालयों से संबद्धता बताकर छात्रों को गुमराह करने वाले शिक्षण संस्थान संचालकों के खिलाफ उच्च शिक्षा विभाग ने एफआईआर दर्ज कराना शुरू कर दी है। इसके तहत पुलिस ने शुक्रवार को ईसीपीसी और सिंबॉयसिस कॉलेज संचालक के खिलाफ धोखाधड़ी और विश्वविद्यालय अधिनियम के उलंघन का केस दर्ज कर लिया है। वहीं अपार्क व सीआईटीएम के संचालकों पर भी प्रकरण दर्ज होगा। उच्च शिक्षा विभाग भोपाल के अधिकारी एचबी खांडेकर के आवेदन पर शुक्रवार को कॉलेज संचालक सौजन्य गुप्ता पुत्र रामबाबू गुप्ता के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया।
इसके अलावा ग्वालियर थाना क्षेत्र के हजीरा चौराहा स्थित शिक्षण संस्थान सिंबॉयसिस के संचालक प्रीतम किरार, निवासी किरार प्लाजा हजीरा के खिलाफ भी धोखाधड़ी व विवि अधिनियम के तहत शुक्रवार को केस दर्ज किया गया। कंपू थाना क्षेत्र में अस्पताल रोड स्थित इंजीनियर्स कंबाइन प्रोफेशनल कॉलेज (ईसीपीसी) का उच्च शिक्षा विभाग की टीम ने बुधवार को निरीक्षण कर, उसके फर्जी ढंग से संचालित होने की रिपोर्ट भोपाल भेजी थी।
शिवपुरीःमहाविद्यालय में सीसीई परीक्षाएं बनीं मखौल
महाविद्यालय में चल रही सीसीई (सतत एवं व्यापक मूल्यांकन) परीक्षाएं मखौल बन कर रह गई हैं। शिक्षक छात्रों को पेपर एवं उत्तर पुस्तिका देकर इतिश्री कर ले रहे हैं, वहीं छात्र घर से प्रश्नपत्र हल करके जमा कर रहे हैं। जबकि इनके नम्बर भी सेमेस्टर परीक्षाओं के कुल प्राप्तांकों में जोड़े जाते हैं।
शासकीय श्रीमंत माधवराव सिंधिया महाविद्यालय में समस्त नियमित विद्यार्थियों की सेकेंड सीसीई परीक्षा 2 दिसम्बर को दोपहर 12 बजे से आयोजित की गईं। इन परीक्षाओं के लिए न तो विद्यार्थी तैयारी करके आए और न ही महाविद्यालय में ऐसा माहौल था। खास बात यह है कि इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले विद्यार्थियों को उनके नजदीकी प्रोफेसर्स पूर्व से ही वे प्रश्र बता देते हैं, जो उनसे परीक्षा में पूछे जाने हैं। स्थिति यहां तक गड़बड़ा चुकी है कि विद्यार्थियों को प्रश्रपत्र और उत्तर पुस्तिका ही दे दी जाती है कि वे उन्हें भरकर ले आएं।
विज्ञान के कुछ छात्र-छात्राएं कॉलेज में परीक्षा देते हुए नजर आए, लेकिन कक्ष का माहौल ऐसा था, मानों वे क्लास अटेंड कर रहे हों। ये विद्यार्थी न केवल आपस में एक-दूसरे की कॉपियों में ताकाझांकी कर रहे थे, बल्कि एक ही बैंच पर दो-तीन विद्यार्थी बैठकर परीक्षा दे रहे हैं।
कुछ ऐसा रहा नजारा
तीन दिसम्बर को बीए प्रथम सेमेस्टर की सीसीई परीक्षा थी। दोपहर लगभग 12 बजे प्रभारी प्राचार्य केके जैन खुद ही छात्र-छात्राओं को लगभग हांकते हुए एक कक्ष में ले जा रहे थे। साथ ही उन्होंने अपने नजदीकी विद्यार्थियों को निर्देश दिए कि सभी बच्चों को बुलाकर लाया जाए। छात्र-छात्राओं की भीड़ धीरे-धीरे कक्ष की ओर बढऩे लगी और कुछ विद्यार्थी तो आपस में यह पूछ रहे थे कि इस कमरे में क्या हो रहा है।
इतना ही नहीं प्रभारी प्राचार्य से भी एक छात्र ने पूछ लिया कि सर इसमें क्या हो रहा है। इस पर प्राचार्य ने उसे डांटा। कुछ ही देर में एक बड़े कक्ष में छात्र-छात्राओं की भीड़ लग गई। कमरे में बिजली के होल्डर तो लगे थे, लेकिन उनमें बल्व नहीं थे, जिसके चलते कमरे के पिछले हिस्से में अंधेरा छाया हुआ था। क
इन्हें खुद नहीं पता कि हमें क्या करना है: प्राचार्य
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य केके जैन से जब इन अव्यवस्थाओं के बारे में चर्चा की तो उनका कहना है कि यह तो जनता महाविद्यालय है, जिसमें बच्चे इस तरह भागते हैं मानों किसी गांव में कोई वाहन आने पर जानवर दौड़ लगाते हैं। इन विद्यार्थियों को खुद नहीं पता कि उन्हें क्या करना है और यहां किसलिए आए हैं। विदेशों के पैटर्न पर हमारे देश में उच्च शिक्षा के तरीके बदल दिए हैं, इसलिए उन्हें रूटीन में आने में वक्त लगेगा।
बेरोजगारों को मिलेगा रोजगार
मेपसेड भोपाल द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के शिक्षित बेरोजगारों में कुशलता का विकास कर रोजगार प्राप्ति के अवसर में वृद्धि हेतु भारत सरकार के अन्तर्गत संस्थाओं में आईडीईएमआई मुंबई, इंडो, जर्मन, टूल, रूम, इंदौर, औरंगाबाद, सीपेड, भोपाल, अपेरल ट्रेनिंग एण्ड डिजाइन सेंटर इंदौर इत्यादि तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम में आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग मधु गुप्ता ने बताया कि इस योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के उद्देश्य से इस योजना के बारे में समग्र जानकारी उपलब्ध कराने के लिए संस्थावार सूचना दी गई है। आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा भी उक्त योजना के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है(दैनिक भास्कर,श्योपुर,4.12.2010)।
52 संस्थानों पर कार्रवाई,97 फीसदी निकले फर्जी
प्रदेश में अब तक कुल ५२ संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इनमें ९७ फीसद संस्थान फर्जी तरीके से संचालित होना साबित हुए हैं। सूत्रों के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग इस मुहिम को और व्यापक पैमाने पर चलाने का विचार कर रहा है। अब तक की कार्रवाई की समीक्षा शनिवार को विभागीय प्रमुख सचिव प्रभांशु कमल करेंगे। दूसरी तरफ उच्च व तकनीकी शिक्षामंत्री शनिवार शाम इंदौर पहुँचेंगे। संभावना है कि वे इंदौर में अभी तक हुई कार्रवाई की समीक्षा करें, क्योंकि इंदौर में भी बड़े पैमाने पर संस्थानों पर छापे मारे गए हैं।
असमंजस में पड़े छात्रों को समझ नहीं आ रहा कि वे किस इंस्टीट्यूट और किस विवि पर भरोसा करें। लिहाजा विद्यार्थियों को कॉलेज और कोर्स चुनने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
*प्रवेश लेने से पहले कॉलेज का नाम एआईसीटीई और संबंधित विवि का नाम यूजीसी की वेबसाइट पर चेक कर लें।
*कॉलेज के मान्य होने की तस्दीक एआईसीटीई, डीटीई और आरजीपीवी की वेबसाइट पर जाकर करें।
* प्रदेश के बाहर के विवि के नाम से संचालित कोर्स में प्रवेश लेने से बचें।
*दूरस्थ शिक्षा कोर्स में प्रवेश पर सीधे संबंधित विवि से पत्राचार करें।
*बाहरी यूनिवर्सिटी के किसी भी लर्निंग सेंटर को न चुनें। ङ"ख८ऋ
दर्जन भर कॉलेजों की जाँच
तीन में मिली गड़बड़ी, अब बारी बड़ी मछलियों की
बाहरी विवि से संबद्धता लेकर कोर्स चला रहे उच्च शिक्षण संस्थानों पर छापे की कार्रवाई तीसरे दिन भी जारी रही। शुक्रवार को विवि के रजिस्ट्रार के साथ उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों की टीम ने ११ कॉलेजों की जाँच की।
अधिकारियों ने तीन कॉलेजों में संबद्धता संबंधित गड़बड़ी मिलने की पुष्टि की है। आगे की कार्रवाई में अब शहर के कुछ बड़े कॉलेज निशाने पर आ सकते हैं। शुक्रवार शाम साढ़े पाँच बजे तक कॉलेजों में जाँच का दौर चलता रहा। रजिस्ट्रार डॉ.परीक्षितसिंह जाँच की अगुवाई कर रहे थे। दिनभर में जाँच के घेरे में आए १२ में से ९ गुजराती समाज द्वारा संचालित होने वाले कॉलेज थे। गुजराती समाज की सभी नौ शिक्षण संस्थाओं को जाँच टीम ने क्लीनचिट दे दी है।
दरअसल गुजराती समाज के किसी भी कॉलेज में किसी भी बाहरी विवि से संबंधित कोई भी कोर्स नहीं पाया गया। कॉलेज प्रशासन ने लिखित में अधिकारियों को दिया कि उनके यहाँ सिर्फ देवी अहिल्या विवि से संबंधित कोर्स ही चलाए जा रहे हैं।
जाँच टीम पलासिया स्थित आईलीड इंस्टीट्यूट, आईआईएफए इंस्टीट्यूट और रेडिएंट इंफोटेक पहुँची। तीनों संस्थानों में बीबीए, एमबीए और डीसीए जैसे कोर्स संचालित किए जा रहे थे। आईलीड इंस्टीट्यूट ने दक्षिण भारत की विनायका यूनिवर्सिटी से संबद्धता ली थी। आईलीड के चेयरमैन जगदीश वर्मा के अनुसार केंद्र और राज्य स्तर पर नियमों में आ रहा विरोधाभास इसकी वजह बना है। हमने जाँच टीम के अधिकारियों को सारे दस्तावेज मुहैया करवा दिए हैं। हमारे यहाँ विद्यार्थियों को पर्याप्त सुविधाएँ भी दी जा रही हैं। यदि स्थानीय स्तर पर संबद्धता प्राप्त करने जैसी कोई शर्त है तो हम उसे भी पूरा कर लेंगे। इधर रेडिएंट इंस्टीट्यूट जयपुर की किसी यूनिवर्सिटी से संबद्धता के आधार पर चलाया जा रहा था। यहाँ अधिकारियों ने संबद्धता संबधित दस्तावेजों की जब माँग की तो कॉलेज के कर्मचारियों ने चेयरमैन के न होने की बात कह दी। आईआईएफए इंस्टीट्यूट में भी बीबीए और एमबीए कोर्स संचालित हो रहे थे। यहाँ तमिलानाडु की किसी यूनिवर्सिटी से संबद्धता होने की बात कही गई। रजिस्ट्रार डॉ. परीक्षितसिंह के अनुसार तीनों कॉलेजों के खिलाफ शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है। शासन के निर्देश के अनुसार आगे इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जा सकती है।
अधिकारियों ने साफ किया कि अधिनियम की धारा ७ (२) के अंतर्गत राज्य से बाहर के विवि से संबद्धता लेकर कोर्स संचालित नहीं किए जा सकते। यही कार्रवाई का आधार बना है। फिलहाल मैनेजमेंट कोर्स चला रहे संस्थान निशाने पर हैं। छापों से पहले किसी तरह की लिस्ट भी नहीं बनाई जा रही। छापों की कार्रवाई अब तक छोटे इंस्टीट्यूट पर केंद्रित रही। शनिवार से शहर के बड़े कॉलेजों को भी छापों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल कई बड़े कॉलेज अपने कैंपस में एक-दो कोर्स बाहरी विवि से मान्यता लेकर चला रहे हैं। विवि ने इनकी पहचान कर ली है।
फर्जी उच्चशिक्षण संस्थाओं में आमतौर पर डिस्टेंस लर्निंग, विदेशी या बाहरी विवि के नाम से डिग्री दी जाती है। मैनेजमेंट कोर्स के नाम पीजीपी प्लस एमबीए की डिग्री देने का चलन है। जबकि तकनीकि कोर्स में ऐसे संस्थान खुद या किसी बाहरी विवि के नाम से डिप्लोमा मुहैया करवाते हैं। इस वक्त सबसे ज्यादा माँग एमबीए और मैनेजमेंट के अन्य कोर्स की डिग्रियों की है। फर्जी संस्थान आमतौर पर छोटी सी जगह और बिल्डिंग के ऊपरी तल पर चलाए जा रहे हैं। जबकि विवि द्वारा कॉलेजों को संबद्धता देने के मामले में उनका भूतल पर होना जरूरी शर्त होता है। डिग्रियों का सबसे ज्यादा धंधा पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, विनायका यूनिवर्सिटी, पेरियार यूनिवर्सिटी, सिक्किम मनिपाल यूनिवर्सिटी के नाम पर हो रहा है। इसके अलावा राजस्थान और विदेश की कुछ यूनिवर्सिटी के नाम से भी कोर्स ऑफर किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों को इन विवि के कोर्स में प्रवेश लेने से बचना चाहिए।फर्जी उच्चशिक्षण संस्थाओं में आमतौर पर डिस्टेंस लर्निंग, विदेशी या बाहरी विवि के नाम से डिग्री दी जाती है। मैनेजमेंट कोर्स के नाम पीजीपी प्लस एमबीए की डिग्री देने का चलन है। जबकि तकनीकि कोर्स में ऐसे संस्थान खुद या किसी बाहरी विवि के नाम से डिप्लोमा मुहैया करवाते हैं। इस वक्त सबसे ज्यादा माँग एमबीए और मैनेजमेंट के अन्य कोर्स की डिग्रियों की है। फर्जी संस्थान आमतौर पर छोटी सी जगह और बिल्डिंग के ऊपरी तल पर चलाए जा रहे हैं। जबकि विवि द्वारा कॉलेजों को संबद्धता देने के मामले में उनका भूतल पर होना जरूरी शर्त होता है। डिग्रियों का सबसे ज्यादा धंधा पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, विनायका यूनिवर्सिटी, पेरियार यूनिवर्सिटी, सिक्किम मनिपाल यूनिवर्सिटी के नाम पर हो रहा है। इसके अलावा राजस्थान और विदेश की कुछ यूनिवर्सिटी के नाम से भी कोर्स ऑफर किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों को इन विवि के कोर्स में प्रवेश लेने से बचना चाहिए(नई दुनिया,इन्दौर,4.12.2010)।
होमगार्डों को वर्षभर नौकरी देने की योजना फेल!
पुलिस के कदम से कदम मिलाकर चलने वाले होमगार्डों को सालभर नौकरी देने की योजना ठंडे बस्ते में पड़ गई है। एक बार फिर बजट के अभाव में एक हजार से अधिक होमगार्डों को घर बैठाया जा रहा है। यह होमगार्ड किसी एक जिले के नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश से हैं। खासकर रायसेन, रतलाम, सीहोर, विदिशा,उज्जैन और राजगढ़ सहित कुछ ऐसे जिले हैं, जहां तैनात होमगार्डों की संख्या में कटौती की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक पूरे प्रदेश में १६ हजार ५ होमगार्ड के जवान हैं, जिसमें ५५० पद काफी अरसे से खाली हैं। पंद्रह हजार से अधिक होमगार्डों में से ८ हजार ६६६ जवानों को रोटेशन प्रणाली के तहत नियमित नौकरी दी जाती है। इसके अलावा ४ हजार ३५ होमगार्डों को अतिरिक्त रखने के साथ ही करीब एक हजार जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
वहीं करीब छह सौ होमगार्ड भोपाल और इंदौर सहित अन्य बड़े शहरों में विभिन्न विभागों में सुरक्षाकर्मी के रूप में तैनात हैं। बताया जाता है कि पूरे प्रदेश से करीब एक हजार होमगार्डों को बजट के अभाव में घर बैठने को कह दिया गया है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक विभाग ने सभी होमगार्डों को नियमित रखने के लिए सप्लीमेंट्री बजट में साढ़े तेरह करोड़ का बजट मांगा था। इसमें से ७ करोड़ की राशि मिली है, जिसमें पांच करोड़ मानदेय और दो करोड़ भोजन भत्ता के लिए मिला है। ऐसी स्थिति में सभी होमगार्डों को नहीं रखा जा सकता है,क्योंकि नौकरी करने के बाद उन्हें वेतन देने में दिक्कत आएगी। लिहाजा विभाग ने करीब एक हजार होमगार्डों को घर बैठने के लिए कह दिया है।
जवान मिले डीजी से
होमगार्डों के जवानों का एक प्रतिनिधिमंडल नियमतीकरण को लेकर होमगार्ड डीजी नंदन दुबे से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में होमगार्डों को नियमित करने के अलावा वेतन ब़ढ़ाने सहित कई अन्य मांगें शामिल थे। श्री दुबे ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों को शीघ्र ही शासन को भेज दिया जाएगा।
होमगार्डों की ट्रेनिंग शुरू
अधिकारियों के मुताबिक विभिन्न जिलों में पदस्थ करीब एक हजार होमगार्डों को एक दिसंबर से ट्रेनिंग दी जा रही है। इन्हें ट्रेनिंग के दौरान परेड, होमगार्ड एक्ट और डयूटी के संबंध अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वाह करने के टिप्स दिए जाते हैं(नई दुनिया,भोपाल,4.12.2010)।
होमगार्डों को वर्षभर नौकरी देने की योजना फेल!
पुलिस के कदम से कदम मिलाकर चलने वाले होमगार्डों को सालभर नौकरी देने की योजना ठंडे बस्ते में पड़ गई है। एक बार फिर बजट के अभाव में एक हजार से अधिक होमगार्डों को घर बैठाया जा रहा है। यह होमगार्ड किसी एक जिले के नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश से हैं। खासकर रायसेन, रतलाम, सीहोर, विदिशा,उज्जैन और राजगढ़ सहित कुछ ऐसे जिले हैं, जहां तैनात होमगार्डों की संख्या में कटौती की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक पूरे प्रदेश में १६ हजार ५ होमगार्ड के जवान हैं, जिसमें ५५० पद काफी अरसे से खाली हैं। पंद्रह हजार से अधिक होमगार्डों में से ८ हजार ६६६ जवानों को रोटेशन प्रणाली के तहत नियमित नौकरी दी जाती है। इसके अलावा ४ हजार ३५ होमगार्डों को अतिरिक्त रखने के साथ ही करीब एक हजार जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
वहीं करीब छह सौ होमगार्ड भोपाल और इंदौर सहित अन्य बड़े शहरों में विभिन्न विभागों में सुरक्षाकर्मी के रूप में तैनात हैं। बताया जाता है कि पूरे प्रदेश से करीब एक हजार होमगार्डों को बजट के अभाव में घर बैठने को कह दिया गया है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक विभाग ने सभी होमगार्डों को नियमित रखने के लिए सप्लीमेंट्री बजट में साढ़े तेरह करोड़ का बजट मांगा था। इसमें से ७ करोड़ की राशि मिली है, जिसमें पांच करोड़ मानदेय और दो करोड़ भोजन भत्ता के लिए मिला है। ऐसी स्थिति में सभी होमगार्डों को नहीं रखा जा सकता है,क्योंकि नौकरी करने के बाद उन्हें वेतन देने में दिक्कत आएगी। लिहाजा विभाग ने करीब एक हजार होमगार्डों को घर बैठने के लिए कह दिया है।
जवान मिले डीजी से
होमगार्डों के जवानों का एक प्रतिनिधिमंडल नियमतीकरण को लेकर होमगार्ड डीजी नंदन दुबे से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में होमगार्डों को नियमित करने के अलावा वेतन ब़ढ़ाने सहित कई अन्य मांगें शामिल थे। श्री दुबे ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों को शीघ्र ही शासन को भेज दिया जाएगा।
होमगार्डों की ट्रेनिंग शुरू
अधिकारियों के मुताबिक विभिन्न जिलों में पदस्थ करीब एक हजार होमगार्डों को एक दिसंबर से ट्रेनिंग दी जा रही है। इन्हें ट्रेनिंग के दौरान परेड, होमगार्ड एक्ट और डयूटी के संबंध अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वाह करने के टिप्स दिए जाते हैं(नई दुनिया,भोपाल,4.12.2010)।
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