बेशक, सरकार की यह लंबी योजना है। मगर साथ में अनूठी भी। इस योजना के साकार होने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांति का आगाज हो जाएगा। इससे साक्षरता के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रसार को भी बढ़ावा मिलेगा। समाज के हर वर्ग के बच्चों को सामान्य से लेकर तकनीकी व चिकित्सा शिक्षा पाने के लिए अन्य राज्यों में या ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही उनमें प्राध्यापक, प्रोफेसर, डाक्टर व इंजीनियर बनने की जिज्ञासा और जज्बा भी पैदा होगा। इसी उद्देश्य के साथ राज्य सरकार शिक्षण संस्थानों के बीच की दूरी को कम करने की योजना को मूर्त रूप देने जा रही है। इनमें आंगनबाड़ी, माध्यमिक विद्यालय, आईटीआई, पालीटेक्निक, इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेज शामिल हैं। इस कार्य में अनुग्रह नारायण सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान और राष्ट्रीय सूचना केन्द्र से मदद ली जा रही है। इनके सहयोग से सबसे पहले पटना जिले के फुलवारीशरीफ प्रखंड में पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी। गौरतलब है कि इसी प्रखंड में आल इंडिया मेडिकल साइंस (एम्स) की शाखा का निर्माण भी हो रहा है। राज्य सरकार की सबसे पहले माध्यमिक विद्यालयों के बीच की दूरी को मानक के अनुरूप लाने की योजना है। मानक के अनुरूप इनके बीच की दूरी 5 किलोमीटर होनी चाहिए। जबकि इस समय इनके बीच की दूरी 8 से 10 किलोमीटर तक है। कहीं- कहीं एक माध्यमिक विद्यालय से दूसरे माध्यमिक विद्यालय की दूरी 12 किलोमीटर तक है। अब इस दूरी को मानक के अनुरूप लाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटना जिले में स्कूल मैपिंग प्लान को अंजाम दिया जा रहा है। फिर यह योजना सूबे के शेष जिलों में इसी वर्ष लागू की जाएगी(दैनिक जागरण,पटना,6.1.11)।
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