विभिन्न मैनेजमेंट प्रवेश परीक्षाओं में लिखित परीक्षा पास करने के बाद अगला पड़ाव होता है, जीडी यानी ग्रुप डिस्कशन। इस परीक्षा में छात्रों को कुछ ग्रुप में बांट दिया जाता है। प्रत्येक ग्रुप में 10 से 12 प्रतियोगी हिस्सा लेते हैं। हरेक ग्रुप को कोई विषय दे दिया जाता है, जिस पर आपस में करीब 15 से 20 मिनट तक डिस्कशन करना होता है। इस परीक्षा में आपकी कई स्किल्स की जांच की जाती है, जैसे टीम में काम करने की आपकी क्षमता, कम्युनिकेशन स्किल और लीडरशिप क्वालिटी, रीजनिंग एबिलिटी, क्रिएटिविटी, किसी काम को करने के लिए आप कितनी पहल करते हैं, दृढ़ता, सहनशीलता आदि। इस बात पर खास गौर किया जाएगा कि आप ग्रुप या टीम में कैसा व्यवहार करते हैं। कैसे खरा उतरा जाए इस कसौटी पर, जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण टिप्स।
आंकड़ों की जानकारी जरूरी
ग्रुप डिस्कशन फैक्ट बेस्ड और नॉन फैक्ट बेस्ड, दोनों तरह से हो सकता है। मसलन ‘तालिबान और अमेरिका के बीच युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव’ एक फैक्ट बेस्ड विषय है, जबकि ‘चाइल्ड इज दि फादर ऑफ मैन’ नॉन फैक्ट बेस्ड विषय है। फैक्ट बेस्ड जीडी में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए विभिन्न विषयों से संबंधित आंकड़ों और तथ्यों पर मजबूत पकड़ होनी चाहिए। इसके लिए भारतीय अर्थव्यस्था, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे और अंतरराष्ट्रीय व्यापार जैसे क्षेत्रों की तैयारी आंकड़े समेत करनी चाहिए।
पहल करने से हिचकिचाएं नहीं
अगर दिए गए विषय का अच्छा ज्ञान है और उस पर पूरे आत्मविश्वास के साथ बोल सकते हैं, तो सबसे पहले बोलने से बिल्कुल न हिचकिचाएं। इससे चर्चा की दिशा न सिर्फ अपने पक्ष में मोड़ सकते हैं, बल्कि लीडर की तरह ग्रुप की अगुवाई भी कर सकते हैं। इसके विपरीत अगर आपको केवल समूह का नेतृत्व करने के मकसद से पहले बोलना शुरू कर देते हैं और विषय का ज्ञान आपको नहीं है, तो यह जल्दबाजी आपको महंगी पड़ेगी। ध्यान रखें कि फर्स्ट इम्प्रेशन, इज लास्ट इम्प्रेशन।
अगर प्रतियोगी आपसे पूछें ...
अगर कोई प्रतियोगी आपसे पूछता है कि अमुक मसले पर आप क्या कहना चाहते हैं, तो ऐसी स्थिति में आप कुछ इस तरह जवाब दे सकते हैं - मैं जेंटलमैन के प्वॉइंट से सहमत हूं और इसमें कुछ जोड़ना चाहता हूं। उनके तर्क के साथ अपना विचार जोड़कर अपना बात और अधिक स्पष्ट कर सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि आपका प्वॉइंट कोई और प्रतियोगी बोल देता है। ऐसी स्थिति न आए, इसके लिए पहले चार से पांच मिनटों में ही अपनी बात रख दें। अगर आप ज्यादा देर तक प्रतीक्षा करेंगे, तो कोई न कोई अपकी मुंह की बात छीन ही लेगा। पुराने प्वॉइंट से चिपके रहना और उसे बार-बार बोलना ठीक नहीं। फ्रेश और लॉजिकल प्वॉइंट बोलने की कोशिश करें।
जो ज्यादा बोलेगा, क्या वही जीतेगा?
ऐसा नहीं है कि जो व्यक्ति ज्यादा समय तक बोलेगा, उसे ज्यादा नंबर मिलेंगे। दरअसल जीडी के दौरान जब कोई व्यक्ति टॉपिक पर अच्छी पकड़ होने के चलते ज्यादा बोलता है, तो इससे अन्य के दिलोदिमाग में यह धारणा घर कर जाती है कि जो ज्यादा बोलता है, वही बाजी मारता है। लेकिन ध्यान रहे कि केवल ज्यादा बोलने के लिए बोलना घाटे का सौदा साबित होता है। आपके शब्दों में कुछ ठोस बात होनी चाहिए। गुणवत्ता और मात्रा में गुणवत्ता को ही चुनना चाहिए। यानी जरूरी नहीं कि आप कितना बोलते हैं, बल्कि जरूरी है कि क्या बोल रहे हैं। दूसरों को अपने विचार व्यक्त करने का मौका देना चाहिए। 15 से 20 मिनट के डिस्कशन में कम से कम चार बार तो बोलना ही चाहिए। हर बार न्यूनतम 25 से 30 सेकंड तक बोलना सही रहता है। वैसे ऐसा जरूरी नहीं कि आप चार बार ही बोलें। अगर आपके पास अच्छे प्वॉइंट्स हैं, तो इससे ज्यादा बार भी बोल सकते हैं।
सीखो विपक्ष में बोलने की कला
अगर सभी टॉपिक के पक्ष में अपना मत रख रहे हैं, तो विपक्ष में बोलने की काबिलियत होनी चाहिए। इससे पैनल की नजरों में आप ज्यादा आएंगे और अतिरिक्त अंक हासिल करेंगे। लेकिन विपक्ष का रास्ता तभी अपनाएं, जब वाद-विवाद करने योग्य लॉजिकल प्वॉइंट्स हों और अच्छी मिसाल हों। इसके
लिए वाकपटुता चाहिए। किसी के तर्क को काटते वक्त विनम्रता बरतनी चाहिए। किसी को भी पूरी तरह गलत न बताएं। आप कह सकते हैं - इस मसले पर मैं कुछ अलग विचार रखता हूं...। विपक्ष में बोलने से चर्चा में जीवंतता आती है। बोलते वक्त आपकी परिपक्वता और भाषा में ठहराव बहुत जरूरी है। किसी प्रतियोगी को नीचा दिखाने या उसे टोन मारने की कोशिश बिल्कुल न करें, क्योंकि पैनल धैर्य और टीम में काम करने की स्किल्स तलाशता है।
डिस्कशन में बारी-बारी से बोलने का प्रयास न करें, क्योंकि ये एक वास्तविक चर्चा नहीं कहलाएगी। कई बार ऐसा होता है कि दिए गए विषय की जानकारी आपको नहीं होती। ऐसे में आपको चाहिए कि अन्य प्रतियोगियों की बातों को आप ध्यान से सुनें और उन्हीं की बातों में से आइडिया चुराने की कोशिश करें। आइडिया मिलने पर प्वॉइंट्स बनाकर बोलें।
प्रैक्टिस बेहद जरूरी
हर परीक्षा की तरह जीडी में भी प्रैक्टिस से ही सफलता की चाबी मिलती है। आपको कई राउंड्स में समूहों के बीच विभिन्न विषयों पर चर्चा करने का अभ्यास करना चाहिए। इससे परीक्षा के दौरान पहले राउंड में आकर्षक और प्रभावशाली तरीके से अपना तर्क सभी के समक्ष रखने में आप कामयाब हो पाएंगे। पहले राउंड में बोलते वक्त काफी तनाव होता है, लेकिन प्रैक्टिस करने के बाद आपका तनाव और उसके कारण होने वाली हिचकिचाहट, दोनों कम हो जाएंगे।
ज्ञान बढ़ाने के मुख्य स्रोत
कामयाबी के लिए पढ़कर, देखकर और सुनकर अपना ज्ञान भंडार बढ़ाना चाहिए। इसके लिए रोजाना अखबार, पत्रिकाएं, ईयर बुक, बीते वर्ष के स्पेशल इश्यू, जिसमें उस वर्ष की मुख्य झलकियां हों, जरूर पढ़ें। न्यूज चैनल पर समसामयिक मुद्दों पर होने वाले वाद-विवाद और विशेष प्रोग्राम को जरूर देखें। इकोनॉमिक्स में एफडीआई, स्टॉक मार्केट, उदारीकरण, रोजगार की स्थिति, पूंजी, रुपये व डॉलर, मुद्रास्फीति, आयात-निर्यात, समाजवाद व पूंजीवाद आदि पढ़ें। सेक्टर बेस्ड तैयारी के लिए आईटी, आईटीईएस, बैंकिंग, इंश्योरेंस रिटेल, टेलीकॉम, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर आदि की जानकारी रखें। इन क्षेत्रों की पिछले वर्षों व वर्तमान की स्थित और भविष्य में इनमें क्या संभावनाएं मौजूद हैं, सभी का खाका आपके दिमाग में बना होना चाहिए।
तैयारी योग्य कुछ महत्वपूर्ण विषय
मैनेजमेंट
-क्या हमें प्रबंधकों से ज्यादा स्वरोजगारी की जरूरत है?
-एमबीए डिग्री होल्डर की ऊंची सैलरी स्थायी है या नहीं?
-क्या एमबीए का क्रेज ऊंचे वेतन की वजह से है?
-कॉरपोरेट वर्ल्ड में काम करते-करते सामाजिक क्षेत्र में कैसे योगदान दिया जा सकता है?
-क्या भारतीय व्यक्तिगत तौर पर टीम की अपेक्षा बेहतर काम कर सकते हैं?
-बिजनेस में बाजी मारने के लिए ज्ञान की तुलना में क्या सकारात्मक नजरिए का ज्यादा महत्व है?
-क्या एमबीए डिग्री धारकों को अनुचित वेतन मिल रहा है?
-क्या बिजनेस के लिए मैनेजमेंट एजुकेशन जरूरी है?
अर्थव्यवस्था
-भारतीय गांव - हमारी ताकत या कमजोरी?
-इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी हिस्सेदारी जरूरी है?
-क्या एमएनसी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों का रंग फीका कर दिया है?
सामान्य अभिरुचि
-क्या लिव-इन रिलेशनशिप सही है? शादी से पहले क्या यह बेहतर विकल्प है?
-अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब कैसे दिया जाए?(जितिन चावला,अमर उजाला,दिल्ली,8.2.11)
एक ज़रूरी पोस्ट।
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