बीएड पाठ्यक्रम संचालित करने वाले कॉलेजों में अगले सत्र से प्रबंधन कोटा खत्म हो जाएगा। इसके लिए सरकार ने गुप्त रणनीति बना ली है। छात्रों पर प्रबंधकों के दबाव को रोकने के लिए बैंकों में सीधे फीस जमा करने की व्यवस्था भी इसी साल से लागू हो जाएगी। जो प्रबंधन इस व्यवस्था को मानने से इनकार करेगा उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही उसकी मान्यता भी निरस्त कर दी जाएगी।
निजी कालेजों के प्रबंधन द्वारा छात्रों से अधिक फीस वसूली को रोकने के लिए महीने भर से चल रही कवायद में सरकार की बिलकुल नहीं चली। एक तरह से ताकतवर कॉलेजों के सामने सरकार ने आत्मसर्पण ही कर दिया। कालेजों ने काउसिंलिंग के दौरान ८० हजार से एक लाख तीस हजार रुपए तक की फीस रखे जाने की वकालत की थी। उच्च न्यायालय ने भी कुछ कालेजों के लिए ५० हजार रुपए की फीस रखने का सुझाव दिया था। इस आधार पर प्रदेश में बीएड के १०२४ कॉलेजों में तीन तरह की फीस ली जा सकती है । कुछ कॉलेजों में फीस नहीं ब़ढ़ेगी लेकिन काफी कालेजों में ५१ हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए के बीच तीन श्रेणियों में फीस रखे जाने पर विचार चल रहा है। इसके लिए ६२ चार्टर्ड एकाउंटेंट की मदद से औपचारिकताएं पूरी कराई जा रही हैं ।
लेकिन सरकार ने इन विद्यालयों के पर कतरने के लिए भी एक गुप्त योजना तैयार की है। सरकार का मानना है कि जब फीस ब़ढ़ रही है तो प्रबंधन कोटा ही खत्म कर दिया जाए।
बीएड प्रवेश परीक्षा कराने के एवज में आए लाखों रुपए की धनराशि का पूरा ब्योरा न देने के मामले में शासन ने लखनऊ व आगरा विवि की ऑडिट जांच के आदेश दिए गए हैं । आशंका जताई जा रही है कि इस मामले में लाखों का हेर फेर किया गया है।रिपोर्ट मांगे जाने के बाद भी विवि द्वारा रिपोर्ट न देने के एवज में ऑडिट जांच के आदेश दिए गए हैं। गत वर्ष लखनऊ विवि ने राज्य सरकार पर संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा आयोजित कराई थी। अर्हता नियम, पेपर लीक और काउंसिलिंग कराने तक में विवादों से घिरे रहे विश्वविद्यालय ने इस परीक्षा से करो़ड़ों रूपए की आय की थी। इसमें सामान्य-ओबीसी वर्ग के लिए आठ सौ ヒपए का फार्म तथा एससी-एसटी के लिए चार सौ का फार्म तय किया गया(नई दुनिया,दिल्ली,30.5.11)।
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