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17 जून 2011

यूपी के आयुर्वेदिक कॉलेजों पर तलवार

मानक और संसाधन पूरे न होने के चलते यूपी के सभी आठ आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों की मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है। तमाम चेतावनी के बाद भी इन कॉलेजों में हायर फैकल्टी पूरी नहीं है। नाराज सीसीआइएम टीम की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार कॉलेजों की मान्यता खारिज करने पर विचार कर रही है। लखनऊ, बनारस, झांसी, हंडिया (इलाहाबाद), अतर्रा (बांदा), मुजफ्फरनगर, समेत रहेलखंड मंडल के पीलीभीत व बरेली में स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) के निशाने पर हैं। भारत सरकार के निर्देश पर सीसीआइएम की टीमों ने हाल ही में आयुर्वेदिक कॉलेजों में मुआयना कर रिपोर्ट दी है। खासतौर पर हायर फैकल्टी रीडर और प्रोफेसर की कमी सभी कॉलेजों में सामने आई। कॉलेजों में कैडेबर (विच्छेदन के लिए शरीर) की व्यवस्था भी नहीं मिली। टीम ने इसे प्रायोगिक व व्यवहारिक ज्ञान को गंभीर माना है। ललित हरि राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पीलीभीत समेत सभी कॉलेजों में इस कमी को लेकर 2008-09 व 2009-10 के सत्र में भारत सरकार ने यूपी में आयुर्वेद चिकित्सा महानिदेशक व प्रमुख सचिव आयुर्वेद शिक्षा को नोटिस जारी किए थे। इसके बाद मान्यता खत्म करने पर विचार किया गया। दाखिला ले चुके छात्रों द्वारा कोर्ट में चले जाने के कारण कुछ राहत मिल गई थी। इस मसले पर कई बार डीपीसी (डिपार्टमेंट प्रमोशन कमेटी) के जरिए कुछ सीटें भरी भी गईं, लेकिन संसाधनों की कमी बनी हुई है। अब केंद्र सरकार प्रदेश के लापरवाह रुख पर सख्त है। सीसीआइएम सभी आयुर्वेदिक कॉलेजों की मान्यता ही खत्म करने पर विचार कर रही है(प्रसून शुक्ल,दैनिक जागरण,पीलीभीत,17.6.11)।

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