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01 जुलाई 2011

उत्तराखंडःपाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन न होने पर भड़के शिक्षामंत्री

शिक्षण सत्र शुरू होने के बावजूद कक्षा एक से आठ तक की 52 पाठय़ पुस्तकों का अब तक प्रकाशन न होने और मान्यता मिलने के बाद भी स्कूलों का संचालन न होने से भड़के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों का आड़े हाथ लिया है। शिक्षा मंत्री ने उच्चाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे दोषी अधिकारियों कर्मचारियों और पुस्तकों के प्रकाशकों के विरुद्ध कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करें। विधानभवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों की बैठक में इस बात पर अचरज जाहिर किया कि अप्रैल से शिक्षण सत्र शुरू होने के बावजूद पाठय़ पुस्तकों का प्रकाशन नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य के साथ करने वालों को किसी भी तरह बख्शा न जाए। हाल में मान्यता प्राप्त 81 विद्यालयों का संचालित न हो पाना भी खेदजनक है, जबकि उन्हें अप्रैल में ही शुरू हो जाना चाहिए था। उन्होंने इसके लिए अधिकारियों को लापरवाही और बहानेबाजी करने से बाज आने की भी चेतावनी दी। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों से अध्यापक विहीन तालाबंद स्कूलों की जानकारी भी तलब की और 263 बंद विद्यालयों की सभी जरूरतें पूरी कर उन्हें संचालित करने के निर्देश दिए। शिक्षा मंत्री ने सभी उच्चाधिकारियों से स्कूलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निदेशक, अपर निदेशक, उपनिदेशक, सहायक निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी, सहायत शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, उपखंड शिक्षा अधिकारी, सीआरसी समन्वयक प्रदेश के 12 हजार दुर्गम विद्यालयों में जाकर अध्यापकों, विद्यार्थियों की उपस्थिति , मिड डे मील आदि का निरीक्षण कर हर माह रिपोर्ट पेश करें और की गई कार्रवाई का विवरण भी दें(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,1.7.11)।

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